अशोक झा
कोलकाता: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के सिलीगुड़ी समेत पूरे बंगाल में जगद्धात्री पूजा पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेषण पर्व बंगाल में माता जगद्धात्री की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इन दिनों, नव दुर्गा की पूजा के अलावा जगद्धात्री पूजा का विशेष महत्व है। बंगाल के साथ उड़ीसा में भी कुछ स्थानों पर यह बड़े उत्साह से किया जाता है। पूरे बंगाल में जगधात्री पूजा का विशेष महत्व है। यह दुर्गा पूजा के ठीक एक महीने बाद मनाया जाता है। बंगाल में माता जगधात्री की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। कार्तिक माह में मनाई जाने वाली इस पूजा में मां जगधात्री के चार हाथों में कई हथियार होते हैं। जगह-जगह शेर पर सवार माता रानी की भव्य प्रतिमाएं पंडाल की सुंदरता बढ़ा रही हैं। मां जगधात्री मां दुर्गा का ही एक रूप हैं। जगधात्री का शाब्दिक अर्थ है जगत की माता या जगत की धारक। क्यों मनाते हैं जगधात्री पूजा: शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा बुराई का नाश करती हैं और अच्छाई को जागृत करती हैं। यही कारण है कि जगधात्री पूजा पूरे उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह पूजा चार दिनों तक पूरे विधि-विधान से की जाती है। वह तंत्र से आती है और मां काली और दुर्गा के साथ सत्व का रूप रखती है। इन्हें रजस और तमस का प्रतीक माना जाता है। कब है जगद्धात्री पूजा और शुभ मुहू्र्त और पूजा विधि के बारे में। (जगद्धात्री माता कब है): यह त्योहार दुर्गा नवमी के एक महीने बाद मनाया जाता है। इस उत्सव की शुरुआत चंदनगर राज्य से हुई थी। चार दिवसीय उत्सव उत्साह और प्रदर्शनी के साथ आयोजित किया जाता है। जगद्धात्री पूजा कार्तिक माह में अष्टमी से दशमी शुक्ल पक्ष तक मनाई जाती है। इस साल जगद्धात्री पूजा 21 नवंबर को मनाई जाएगी।
(जगद्धात्री पूजा विधि): यह पूजा मां दुर्गा की पूजा के समान ही की जाती है। सबसे पहले, लोग ज्ञान प्राप्त करते हैं जो उन्हें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की अनुमति देता है। इस पर्व का उद्देश्य अहंकार का नाश करना है।इस उत्सव के दौरान पंडाल में जगद्धात्री की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाती है। यहां का माहौल बिल्कुल दुर्गा पूजा जैसा है। मूर्ति को सुंदर लाल साड़ी और विभिन्न आभूषण से सजाया जाता है। देवी की मूर्ति को फूल मालाओं से भी सजाया गया है। देवी जगद्धात्री और देवी दुर्गा का स्वरूप बिल्कुल एक ही है। इसका आयोजन नवरात्रि उत्सव की तरह ही किया जाता है।
क्या है माँ जगधात्री का स्वरूप: माँ जगधात्री सिंह पर सवार हैं और उनका तेजस्विता सूर्य की लालिमा के समान है। माता की तीन आंखें और चार भुजाएं हैं। माता रानी अपने हाथों में शंख, धनुष, बाण और चक्र धारण करती हैं। माता जगधात्री साड़ी में बेहद खूबसूरत लगती हैं। मां जगधात्री पूजा मुहूर्त 2023: द्रिक पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि 21 नवंबर को सुबह 03:16 बजे शुरू होगी और 22 नवंबर को सुबह 01:09 बजे समाप्त होगी।
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