कोलकाता: इस बार शरद पूर्णिमा के दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने वाला है। इसको लेकर खीर को खुले आकाश रखने को लेकर लोगों में संचय है। आप जान ले की खीर कैसे रखना है। शरद पूर्णिमा में ऐसे रखें खीर: इस बार कई साल बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण लगने जा रहा है और इस दिन रात में खीर भी खुले आसमान में रखी जाती है, ताकि उसमें चन्द्रमा से अमृत वर्षा हो सके, लेकिन इस साल खीर को पूरी रात बाहर ना रखें, इससे वह दूषित हो जाएगी। ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 01 बजकर 05 मिनट में लगने जा रहा है और समाप्ति 02 बजकर 23 मिनट पर होगी। इसलिए ग्रहण समाप्त होने के बाद ही यानि 02 बजकर 23 मिनट के बाद ही स्न्नान कर खीर बनाएं और फिर उसे खुले आसमान के नीचे रखें और सुबह भगवान का भोग लगाकर खीर का प्रसाद ग्रहण करें। आश्विन पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा होती है। इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर दिन शनिवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है और इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है. इस दिन चंद्रमा की दूधिया रोशनी में दूध की खीर बनाकर रखी जाती है और बाद में इस खीर को प्रसाद की तरह खाया जाता है. मान्यता है कि इस खीर को खाने से शरीर को रोगों से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। समस्त देवी-देवताओं का आवाह्न करें और वस्त्र, अक्षत, आसन, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी व दक्षिणा आदि अर्पित करने के बाद पूजा करनी चाहिए. संध्याकाल में दूध की खीर में घी मिलाकर अर्धरात्रि के समय भगवान को भोग लगाना चाहिए। रात्रि के समय चंद्रमा के उदय होने के बाद चंद्र देव की पूजा करें और खीर का नेवैद्य अर्पित करें। रात में खीर से भरे बर्तन को चन्द्रमा की अमृत समान चांदनी में रखना चाहिए और अगले दिन सुबह प्रसाद रूप में सबको बांटना चाहिए। इस दिन भगवान शिव-माता पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा करनी चाहिए। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के संग शरद पूर्णिमा की रात महारास रचाया था। शरद पूर्णिमा को व्रत रखकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और उसके बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करते हैं। सत्यनारायण भगवान की पूजा करते हैं और कथा सुनते हैं। इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा होती है. धन और वैभव की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी से जुड़े ज्योतिष उपाय किए हैं, लेकिन चंद्र ग्रहण के सूतक काल के कारण रात में चंद्रमा और लक्ष्मी पूजा कैसे करेंगे?साल की 12 पूर्णिमा में से शरद पूर्णिमा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। ये पूर्णिमा तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी की उपासना कर कोजागर पूजा की जाती है, ये पूजा सर्वसमृद्धिदायक मानी गई है। शरद पूर्णिमा का चांद 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है जो अपनी किरणों के जरिए अमृत की बरसात करता है। इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर 2023 को है। इस दिन 6 शुभ योग का संयोग बन रहा है।आरोग्य, धन, सुख प्राप्ति के लिए शरद पूर्णिमा सबसे खास है। शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी का धरती पर आगमन होने से भक्तों के धन-धान्य से भरपूर रहने का आशीर्वाद मिलता है। वहीं इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, जो स्वास्थ के लिए औषधीय का काम करती है। यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है और फिर इसका सेवन किया जाता है। कहते हैं ये खीर अमृत के समान हो जाती है. मानसिक शांति के लिए भी इस दिन चंद्रमा की पूजा अचूक मानी गई हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों संग महारास रचाया था, जिसे देखने के लिए मनुष्य क्या देवी-देवता भी विवश हो गए थे। पंडित अभय झा के अनुसार हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन माह में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे निकट होता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। साथ ही इस बार चंद्र ग्रहण भी 28 अक्टूबर, शनिवार को ही लगने जा रहा है, जो कि भारत में दृश्यमान होगा। मान्यता के अनुसार, इस दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए इस दिन चंद्रमा को भोग में खीर अर्पित की जाती है। फिर उस भोग को खुले आकाश के नीचे रखा जाता है, जिससे की भोग में चंद्रमा की रोशनी पड़ सके और जीवन अमृतमय हो सके।
शरद पूर्णिमा की अवधि : पूर्णिमा तिथि इस बार 28 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 29 अक्टूबर, रविवार को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट पर होगा। इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को ही पड़ रही है।।
शरद पूर्णिमा पर कब बनाएं खीर: शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाना बेहद शुभ माना जाता है. ज्योतिषियों की मानें तो ग्रहण का सूतक काल लगने से पहले ही खीर बना लें।।इस दिन सूतक शुरु होने से पहले खीर में तुलसी का पत्ता डाल दें। चंद्रग्रहण शुरु होने से पहले इस खीर को आप चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि ग्रहण शुरु होने से पहले खीर को वहां से हटा लें। चंद्रग्रहण से पहले यानी सूतक काल में यदि आप खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं तो इस बात का ख्याल रखें की खीर उतनी ही बनाएं जो ग्रहण शुरु होने से पहले खत्म हो जाए।
शरद पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम: आर्थिक समस्या को दूर करने के लिए शरद पूर्णिमा की रात में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें. साथ ही उन्हें 5 कौड़ियां अर्पित करें। नौकरी-व्यापार में सफलता पाने के लिए भी शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और हनुमान जी के सामने चौमुखी दीपक जलाएं।
3. शरद पूर्णिमा के दिन तुलसी माता की पूजा करना शुभ होता है. इस दिन शाम के समय मां तुलसी की पूजा करें।
चंद्र ग्रहण की अवधि: 28-29 की रात को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में भी दृश्यमान होगा. चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर की रात 11:32 मिनट पर शुरू होगा. इस दौरान, 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 24 मिनट पर खत्म होगा यानी ये एक घंटा 19 मिनट का होगा. ग्रहण का आरंभ मध्य रात्रि 1 बजकर 5 मिनट, मध्य 1 बजकर 44 मिनट और ग्रहण का मोक्ष 2 बजकर 40 मिनट पर होगा. इस ग्रहण का सूतक काल 28 अक्टूबर की शाम 4 बजकर 5 मिनट पर लग जाएगा। यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है।
शरद पूर्णिमा उपाय: शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुईं थी. कहते हैं देवी लक्ष्मी इस दिन रात्रि में धरती पर विचरण करने आती है, मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर निशिता काल मुहूर्त में देवी को खीर का भोग लगाने से आर्थिक सुख में वृद्धि होती है लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा की रात चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। ऐसे में ग्रहण के बाद देर रात 02.22 के बाद ही लक्ष्मी पूजा करें।शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को 5 पान के पत्ते उनके चरणों में अर्पित करें. अगले दिन इन पान के पत्तों को आप सुखाकर एक लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। कहते हैं इससे तिजोरी कभी खाली नहीं होगी। धन आगमन बढ़ता जाएगा। @ रिपोर्ट अशोक झा
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