- मुख्यमंत्री ने किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा, हिमनद झीलों के खतरे का होगा पुनर्मूल्यांकन
गंगटोक: आर्मी के त्रिशक्ति कोर ने मात्र 18 दिन के अंदर उत्तरी सिक्किम में मंगन और चुंगथांग को वैकल्पिक मार्ग से जोड़ दिया है।तीस्ता नदी पर बेली ब्रिज को स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से तैयार किया गया है। बता दें कि चार अक्टूबर को आई बाढ़ ने सिक्किम में भारी तबाही मचाई थी। इसमें आम लोगों की जान-माल के साथ-साथ बुनियादी ढांचे पर भी काफी असर पड़ा था और सड़कें आदि तबाह हो गई थीं। चल रहा है निर्माण:आर्मी के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने एक बयान में बताया कि बीआरओ मंगन-तुंग-चुंगथांग रूट को सही करने में जुटी हुई है। इस बीच त्रिशक्ति कोर की ट्रूप्स और बीआरओ ने स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से मंगन-सांकलांग-थेंग-चुंगथांग के वैकल्पिक रूट को खोलने में जुटी हुई है। उन्होंने बताया कि इसके लिए तीस्ता नदी की मैंगन-सैंकलांग क्रॉसिंग पर दो बेली ब्रिज बनाने की जरूरत थी। लगातार काम करते हुए पहले ब्रिज को 22 अक्टूबर को सुबह 11 बजे तक तैयार कर लिया गया था।
अभी लगेगा समय: बता दें कि उत्तरी सिक्किम का बड़ा हिस्सा चार अक्टूबर से ही मंगन से कटा हुआ था। बयान के मुताबिक तात्कालिक ऐक्शन लेते जुए चुंगथांग और सांकलांग-मंगन क्रॉसिंग पर फुटब्रिज और जिप लाइंस को तैयार किया गया था। इनके जरिए लोगों का आवागमन और सहायता सामग्री पहुंचाने का काम हो रहा है। मुख्य मंगन-तुंग-चुंगथांग सड़क के बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त होने के कारण, टोंग में क्षतिग्रस्त पुल स्थल से संपर्क करने और एक नए पुल का निर्माण करने से पहले नागा गांव के माध्यम से सड़क को मिलाया जा रहा है। इसमें समय लगेगा।
मुख्यमंत्री ने किया क्षेत्र का दौरा : चुंगथांग में मुख्यमंत्री का सड़क एवं पुल विभाग के मंत्री सामडुप लेप्चा, आईटीबीपी 11वीं बटालियन के सेनानी रतन सिंह सोनल, मंगन जिले के जिलाधिकारी हेम कुमार छेत्री, चुंगथांग के एसडीएम किरण ठटाल ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री तमांग बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर लोगों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान बाढ़ प्रभावित परिवारों को अनुग्रह राशि प्रदान करेंगे।चार अक्टूबर की सुबह दक्षिणी ल्होनाक झील के फटने के बाद तीस्ता नदी में आई बाढ़ से सिक्किम के चार जिलों में जानमाल का व्यापक नुकसान हुआ है। चुंगथांग में 1200 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना का बांध जमींदोज हो चुका है। पुल और सड़क मार्ग ध्वस्त हो जाने के बाद चुंगथांग का संपर्क टूट गया है। सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, उत्तरी सिक्किम में बाढ़ के कारण चार लोगों की मौत हुई है। 23 लोग अभी भी लापता हैं। करीब 30300 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
इस जिले में बाढ़ से 566 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। यहां बनाए गए दो राहत शिविरों में अब भी 95 लोग हैं। बाढ़ में 58 दुकानें और 26 पुल बह गए हैं। मुख्यमंत्री के साथ ग्रामीण विकास मंत्री सोनाम लामा, मुख्यमंत्री के सचिव एसडी ढकाल, राहत आयुक्त अनिलराज राई और सीएमओ भी चुंगथांग गए हैं।
केंद्र सरकार हिमनद झीलों से होने वाले खतरे का पता लगाने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग से जमीनी सर्वेक्षण के जरिये देश में सभी हिमनद झीलों के खतरे का पुनर्मूल्यांकन करेगी।
योजना पर चल रहा काम : यह निर्णय इस महीने की शुरुआत में भारी बारिश के कारण सिक्किम के ल्होनक झील में उफान से आई विनाशकारी बाढ़ के बाद लिया गया है। बाढ़ के परिणामस्वरूप कम से कम 60 लोगों की मौतें हुईं और व्यापक क्षति भी हुई। इसके कारण चुंगथांग बांध भी नष्ट हो गया, जिसे तीस्ता-3 बांध के रूप में भी जाना जाता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के एक सूत्र ने कहा, ''देश में हिमनद झीलों की संवेदनशीलता का एक व्यापक मूल्यांकन आवश्यक है। इन झीलों के बारे में हमारी वर्तमान समझ मुख्य रूप से 'रिमोट सेंसिंग' (सुदूर संवेदन) पर आधारित है। अब हम सभी हिमनद झीलों का जमीनी मूल्यांकन करने की योजना बना रहे हैं। इस अभ्यास के बिना इनके संभावित जोखिम का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।''हिमनद झीलें, ग्लेशियर के पिघलने और उसके निकट इस पानी के जमा होने से बनती हैं। हिमनद झील बाढ़ तब आती है, जब ग्लेशियर के पिघलने से अचानक पानी उस झील से बाहर आता है। इसके परिणामस्वरूप निचले इलाके में अचानक बाढ़ आ जाती है। यह बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों और पर्यावरण, दोनों के लिए बेहद विनाशकारी और खतरनाक हो सकती है।।सिक्किम में तबाही की मुख्य वजह बढ़ता तापमान, ग्लेशियरों का पिघलना, भारी वर्षा, अनियंत्रित निर्माण और प्रदूषण है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन का कई गुना बढ़ना भी इसका एक बड़ा कारण है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय में हिमानी झीलों की संख्या में वृद्धि के साथ ऐसी और आपदाएं हो सकती हैं। इस महीने की शुरुआत में सिक्किम में अचानक आई बाढ़ से हजारों लोग विस्थापित हुए, प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं नष्ट हो गईं और बड़ी संख्या में लोग मारे गए. विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य हिमालयी राज्य भी इसी तरह के खतरे में हैं. जीएलओएफ एक विनाशकारी बाढ़ है जो हिमनद झील वाले मोराइन बांध की विफलता के कारण उत्पन्न हुई है। पर्यावरण विशेषज्ञ अंजल प्रकाश ने बताया कि कमजोर क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं, जहां जलवायु परिवर्तन के कारण कई हिमनद झीलें तेजी से बढ़ रही हैं। विशेषज्ञ जीएलओएफ को पिघलते ग्लेशियरों के लिए जिम्मेदार मानते हैं, जो क्षेत्र में मानव-प्रेरित प्रदूषण और अनियंत्रित निर्माण के कारण बढ़ते तापमान का परिणाम है। भूकंप और ब्लैक कार्बन उत्सर्जन जैसे कारक भी भूमिका निभाते हैं। पर्यावरण इंजीनियर मोहम्मद फारूक आजम के मुताबिक जलवायु परिवर्तन दो तरह से काम कर रहा है। @रिपोर्ट अशोक झा
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