भारत के अन्य राज्यों की तुलना में असमिया या कहा जाए तो पूर्वोत्तर के व्यंजन- भोजन सबसे अज्ञात भोज्य शैली हैं। इसके बारे में भारत के ज्यादातर लोग कुछ नहीं जानते हैं। स्थिति इतनी विकट है कि आप असम जाकर भी वहां क्या खाना है इसके बारे में कुछ नहीं जानते। नतीजा होता है कि ज्यादातर लोग असम को लेकर यह भी धारणा बना लेते हैं कि वहां के सभी व्यंजन मांसाहारी होते हैं। वहां के खानपान में बीफ बहुतायत है। वहां मछली का भरपूर उपयोग होता है। असम में वह सब खाया जाता है जो शेष भारत के इलाकों में नहीं खाया जाता है। कुछ हद तक यह सही भी है। इन्हीं वजहों से असम जाकर भी लोग वहां के स्थानीय खानपान से अपरिचित ही रह जाते हैं। शेष भारत के लिए आज भी रहस्य बना असम और पूर्वोत्तर के खानपान में हम यही जान पाए हैं कि वहां मोमोज खाया जाता है। लेकिन नहीं असम की खानपान की शैली भी पूर्वोत्तर की भांति ही सतरंगी है।
ऐसे में जब तक आप असम नहीं जाते, बहुत से लोग असमिया व्यंजनों को पसंद नहीं करते। हाँ यह जरूर है कि असम और पूर्वोत्तर में भौगोलिक और प्राकृतिक वजहों से ताजा फलों, सब्जियों की कमी है। इतना ही नहीं मांसाहारी खाने भी प्राकृतिक वजहों से सुलभता से उपलब्ध नहीं हैं। इस का परिणाम है कि पूरे इलाके में उत्पादों को सुखाने पर केंद्रित हैं क्योंकि ताजा उपज हमेशा उपलब्ध नहीं होती है। हालांकि प्रचुर मात्रा में ताजे पशु प्रोटीन और सब्जियों के साथ, वे खाना पकाने की विभिन्न तकनीकों को पसंद करते हैं और भोजन की एक अनूठी विशेषता विकसित करते हैं। चावल, मछली, दाल और मांस प्रमुख खाद्य पदार्थ हैं जो आपको असम में असमिया व्यंजनों में मिलेंगे।
हम भी यह तय कर ही गए थे कि असम में होंगे, तो असमिया खाद्य पदार्थों की दुनिया में उतरेंगे। यही किया भी और वास्तव में हम इस राज्य के भोजन की विशिष्टता की सराहना करने पर मजबूर हुए। और हमें यह जानकर सबसे बड़ी हैरानी हुई कि असम में नाश्ता के रूप में लोग चूड़ा-दही और गुड़ खाते हैं। वैसे ही जैसे बिहार में खाया जाता है। असम में खासकर बिहू त्योहार के दौरान लोग दही-चूड़ा जरूर खाते हैं। यहां इसे असमिया जोलपान कहा जाता है। हालांकि अगर आप मांसाहारी हैं तो आपके लिए यहां खानपान की बेहतर व्यवस्था है। विशेषकर बत्तख का मांस यहां के भोजन में खूब अलग अलग तरीके से बनता है। डक मीट असम का मशहूर व्यंजन है, जिसे खास त्यौहार या अवसर पर पकाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि असम लोगों का कोई भी त्यौहार इस खास डिश के बिना अधूरा है।
इतना ही नहीं असम के अधिकांश देवी मंदिरों में बलि प्रथा है। स्वाभाविक है इसी अनुरूप प्रसाद स्वरूप मांस पकता भी है और लोग खाते भी हैं चाहे वह किसी जाति का हो। वहीं आलू पिटिका, पीठा, गोयरु पायस ऐसे शाकाहारी व्यंजन हैं जो असम में चाव से खाया जाता है। तो हमने भी इसमें से ही कुछ शाकाहारी डिश का स्वाद लिया।
लेकिन सबसे यादगार रहा कामाख्या मंदिर में खाया गया प्रसाद। यहां हर दोपहर प्रसाद स्वरूप खिचड़ी, पूरी, सब्जी, गोयरु पायस, हलवा भक्तों को परोसा जाता है। दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक जितने भक्त यहां आते हैं सबको प्रसाद परोसा जाता है। पारंपरिक असमिया स्वाद आप इसमें भी महसूस कर सकते हैं। हमने भी किया।
और गुवाहाटी में बाला तिरुपति मंदिर में दक्षिण भारतीय भोजन का एक बेहतरीन स्टॉल है। मेदू बड़ा और डोसा का टेस्ट लेने से हम यहाँ नहीं चूके। अपनी प्राकृतिक सुंदरता, संस्कृति, त्यौहारों और स्वादिष्ट खाने के लिए जाना जाने वाला असम एक यादगार स्वाद भी हमारी जुबान पर छोड़ गया। (मोकामा के कलमकार प्रियदर्शन शर्मा की कलम से )
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