जीवित्पुत्रिका व्रत इस साल 6 अक्टूबर को रखा जाएगा। दरअसल यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि मे किया जाता है। इससे पहले नहाय खाय एक दिन पहले यानी सप्तमी को किया जाता है।
संतान की सुखी जीवन, निरोगता एवं लंबी उम्र के लिए हर साल पितृपक्ष हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि जीवित्पुत्रिका पर्व रखा जाता है। यह व्रत बंगाल,उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और कहीं-कहीं मध्यप्रदेश में भी महिलाएं खासतौर पर रखती है। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत ही खास होती है क्योंकि इस दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है जिसे कई जगहों पर जितिया या जिउतिया नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत विशेष तौर पर पूर्वांचल क्षेत्र में रखा जाता है और इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति व संतान की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।आइए जानते हैं इस साल कब है।
जितिया व्रत पूजा कब है?
जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत इस साल 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। यह व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की खुशहाली व लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से प्रारंभ होगी और 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी।
जितिया में किस भगवान की पूजा की जाती है?
जितिया व्रत को जीवित पुत्रिका व्रत के रूप में जाना जाता है, जहां जीवित वाहन भगवान की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह पूजा व्रत करने वाली महिला के बच्चों को लंबी आयु, स्वास्थ्य, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती है।जीवित्पुत्रिका व्रत पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में का विशेष पर्व है. इस दिन महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना से 24 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. साथ ही यह व्रत संतान की खुशहाली और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना से भी रखा जाता है. जीवित्पुत्रिका व्रत हर साल अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है जो कि पंचांग के अनुसार इस साल 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को रखा जाएगा. जीवित्पुत्रिका व्रत 3 दिनों तक चलता है और इसकी शुरुआत अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से होती है। इस बार सप्तमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी और 7 अक्टूबर को सुबह 8 बजकर 9 मिनट पर इसका समाप्त होगी। सप्तमी तिथि से एक दिन पहले नहाय-खाय होता है जो कि 5 अक्टूबर को है। यानि जीवित्पुत्रिका व्रत 5 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक रखा जाएगा। 6 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा, जिसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। इसके अलावा 6 अक्टूबर को रात 9 बजकर 32 मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है जो कि 7 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
क्यों करते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत?
धर्म शास्त्रों के अनुसार महाभारत के युद्ध में जब अश्वत्थामा के पिता की मौत हो गई थी तो वह पांडवों से पिता की मौत का बदला लेने के लिए उनके शिविर में घुस गए। शिविर में उस समय 5 लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला। कहते हैं कि वह पांचों पांडव नहीं बल्कि पांडवों व द्रोपदी की 5 संतानें थी। जिसके बाद अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली। दिव्य मणि छिनने के बाद अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला। लेकिन भगवान कृष्ण ने उत्तरा की अजन्मी संतान को अपने सभी पुण्यों का फल देकर गर्भ में पुन: जीवित कर दिया. जन्म के बाद इस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार तभी से महिलाएं संतान प्राप्ति व संतान की सलामती के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं। इतना ही नहीं, इस महीने साल 2023 के दूसरे और अंतिम सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण भी लगने वाले हैं। आइए आपको इस महीने आने वाले व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट बताते हैं।
अक्टूबर माह के व्रत और त्योहार
बुधवार, 4 अक्टूबर- रोहिणी व्रत, छठा श्राद्ध
शुक्रवार, 6 अक्टूबर- श्री महालक्ष्मी व्रत समापन, जीवित्पुत्रिका व्रत
सोमवार, 9 अक्टूबर एकादशी श्राद्ध
मंगलवार, 10 अक्टूबर- मघा श्राद्ध, इंदिरा एकादशी
बुधवार, 11 अक्टूबर- प्रदोष व्रत
गुरुवार, 12 अक्टूबर- मासिक शिवरात्रि
शनिवार, 14 अक्टूबर- सर्वपितृ अमावस्या, सूर्य ग्रहण
रविवार, 15 अक्टूबर- शारदीय नवरात्रि प्रारंभ
बुधवार, 18 अक्टूबर- तुला संक्रांति, विनायक चतुर्थी
गुरुवार, 19 अक्टूबर- ललिता व्रत
शुक्रवार, 20 अक्टूबर- सरस्वती आवाहन, स्कंद षष्ठी
शनिवार, 21 अक्टूबर- सरस्वती पूजन
रविवार, 22 अक्टूबर- सरस्वती विसर्जन, श्री दुर्गाष्टमी
सोमवार, 23 अक्टूबर- महानवमी, शारदीय नवरात्रि का समापन
मंगलवार, 24 अक्टूबर- नवरात्रि पारण, दुर्गा विसर्जन, दशहरा (विजय दशमी), बुद्ध जयंती
बुधवार, 25 अक्टूबर- पापांकुशा एकादशी
गुरुवार, 26 अक्टूबर- प्रदोष व्रत
शनिवार, 28 अक्टूबर- शरद पूर्णिमा व्रत, महर्षि वाल्मिकी जयंती, अश्विन पूर्णिमा
रविवार, 29 अक्टूबर- कार्तिक मास आरंभ, चंद्र ग्रहण
अक्टूबर में ग्रहण
शनिवार, 14 अक्टूबर- सूर्य ग्रहण
रविवार, 29 अक्टूबर- चंद्र ग्रहण
अक्टूबर ग्रह गोचर
बुध गोचर- 1 अक्टूबर
शुक्र गोचर- 2 अक्टूबर
मंगल गोचर- 3 अक्टूबर
सूर्य गोचर- 18 अक्टूबर
बुध गोचर- 19 अक्टूबर
राहु गोचर- 30 अक्टूबर
केतु गोचर- 30 अक्टूबर
@ पंडित अशोक झा
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