अशोक झा
कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच खींचातानी चल ही रही थी कि गृह मंत्रालय ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को प्रदेश से बाहर यात्रा को लेकर गृह मंत्रालय ने उन्हें अलर्ट किया है। गृह मंत्रालय ने उन्हें निर्धारित ट्रैवल लिमिट से अधिक की यात्रा करने से रोका है. गौरतलब है कि राज्यपाल ने राज्य के बाहर 73 बार यात्रा की है, जिसके बाद वो अब गृह मंत्रालय की नजर में आ गए हैं. यह पहली बार है कि पश्चिम बंगाल में किसी राज्यपाल को गृह मंत्रालय ने अपनी ट्रैवल लिमिट पर ध्यान देने को कहा है। सूत्रों ने बताया कि पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने इस साल 73 बार अंतरराज्यीय यात्राएं की हैं। गृह मंत्रालय की ओर से इस संबंध में एक आधिकारिक सूचना जारी की गई है, जिसमें राजभवन के अधिकारियों से राज्यपाल की सभी यात्राओं का ब्यौरा लेने को कहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सोमवार को कोलकाता दौरे से दो दिन पहले अचानक राजभवन में इस संबंध में एक कॉल आया। गृह मंत्रालय की सख्ती के बाद अब राज्यपाल सीवी आनंद बोस को राज्य से बाहर जाने से पहले दिल्ली की अनुमति लेनी होगी।
ऐसे में अब राज्यपाल अपनी मर्जी से केरल या अन्य किसी राज्य की यात्रा में नहीं जा सकते हैं। सूत्रों से पता चला है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस नियमित रूप से हर महीने की 12 तारीख को केरल की यात्रा पर जाते हैं, जहां वो एक मंदिर में विशेष पूजा भी करते हैं। उनके केरल यात्रा के कारण 12 अक्टूबर को भी वो कोलकाता में अनुपस्थित थे। ऐसे में गृह मंत्रालय की रोक लगाने के बाद साल के बचे दो महीनों में राज्यपाल की केरल यात्रा पर सवाल उठता है। बता दें कि पिछले कुछ महीनों में, राज्यपाल ने कई बार केरल-दिल्ली-कोलकाता तथा कोलकाता-दिल्ली-केरल मार्ग पर यात्रा की. यहां तक कि ज्यादातर मामलों में वह एक या दो दिनों के बाद उसी स्थान पर दोबारा यात्रा करते हुए पाए गए हैं। नतीजतन, अब राज्यपाल का 73 बार अंतरराज्यीय यात्राओं का कोटा पूरा हो चुका है। बोस ने बाहरी राज्यों के अलावा पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्थानों का भी दौरा किया है. ये सभी यात्राएं सरकारी खजाने को महंगी पड़ीं है। राज्यपाल के लिए इन विभिन्न स्थानों की यात्रा के लिए टिकटों की एक्सप्रेस बुकिंग या व्यवस्था के लिए तीन ट्रैवल एजेंसियां लगी हुई हैं।
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