गंगटोक: सिक्किम में अचानक आई बाढ़ में मृतकों की संख्या बढ़कर 69 हो गई है। इसमें नौ सैनिक भी शामिल हैं। 105 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। आईटीबीपी ने चुंगथांग में 56 लोगों को बचाया है। एसएसडीएमए की और से कहा गया है की 105 लोग अभी भी लापता हैं। इनकी तलाश की जा रही है। पाक्योंग जिले में 78 लोग, गंगटोक जिले में 23, मंगन में 15 और नामची में छह लोग लापता हैं। अधिकारियों ने बताया कि तलाशी अभियान के लिए विशेष रडार, ड्रोन और सेना के डॉग तैनात हैं। त्रिशक्ति कोर भारतीय सेना ने उत्तरी सिक्किम में फंसे 63 विदेशी नागरिकों सहित 1700 पर्यटकों को सहायता प्रदान करना जारी रखा है । त्रिशक्ति कोर भारतीय सेना के जवान लापता जवानों की तलाश जारी रखे हुए हैं। 23 में से एक को 4 अक्टूबर को जीवित बचाया गया था और अब तक 8 शवों की पहचान की जा चुकी है। बाकी लापता जवानों की तलाश जारी है। इस बीच, त्रिशक्ति कोर के जवान उत्तरी सिक्किम के लाचेन, लाचुंग, थांगु और चुंगथांग क्षेत्रों में फंसे 1700 पर्यटकों को सहायता प्रदान कर रहे हैं। भोजन, चिकित्सा सहायता, संचार सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। मौसम खराब रहने के कारण, भारतीय सेना पर्यटकों को वहां से निकाले जाने तक सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। बिहार के पूर्णिया से चार मजदूर अभी नही मिल पा रहे है लापता मजदूरों में मोहम्मद मुमताज (51) पिता डोमर अली, जावेद आलम (33) पिता जकिर आलम, मोहम्मद नसीमुद्दीन (54) और मोहम्मद मकबूल (52) पिता स्व हबीब अली शामिल हैं। यह सभी अमौर थाना के भवानीपुर पंचायत के वार्ड 14 और 15 के रहने वाले हैं। इसकी जानकारी सिक्किम सरकार को दी गई है। सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने डिक्चू के बाढ़ प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया और वहां की वास्तविक स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने जिन परिवारों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये हैं, उन सभी परिवारों को तत्काल राहत के तौर पर 50,000 रुपये दिये हैं और मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की है। साथ ही मुख्यमंत्री ने पीड़ितों को अपनी तरफ से 10-10 हजार रुपये की तत्काल सहायता भी प्रदान की।
केंद्र हर संभव मदद को तैयार, बंगाल के बंदरबांट का क्या?
केंद्र सरकार द्वारा बंगाल के आपदा पीड़ितों के साथ भेदभाव किए जाने का पूरी ताकत के साथ सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने खंडन किया है। दार्जिलिंग के लोकसभा सांसद राजू बिष्ट ने आरोप लगाया है कि तीस्ता नदी में आयी बाढ़ से व्यापक तबाही के बाद इतने समय बाद भी पश्चिम बंगाल का कोई भी मंत्री झांकने नही आया। जब राज्यपाल और भाजपा सांसद ने कमान संभाला तो मुख्यमंत्री के निर्देश पर टीएमसी की टीम आई है। एक भी उच्च पदस्थ अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में नहीं आया है। बिस्ट के मुताबिक, राज्य सरकार के पास बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने का समय नहीं है। जहां करीब 350 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और हजारों लोगों की जान चली गई है। सांसद ने कहा कि ध्यान न देना एक बात है, लेकिन क्षेत्र की जनता के प्रति इतनी घोर उदासीनता मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देती। उन्होंने आगे कहा, इलाके के प्रति नफरत और भेदभाव इस हद तक है कि बुजुर्गों, बीमारों, महिलाओं और बच्चों समेत हजारों लोग फिलहाल ऐसे राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। जहां पीने का पानी, शौचालय, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। और खाना पकाने के बर्तन उपलब्ध नहीं हैं। बिस्ट ने आरोप लगाया कि उन राहत शिविरों में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई जहां बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों को रखा गया था।बिस्टvने कहा कि आपदा से बचे लोगों के लिए बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में काम करने के बजाय, जीटीए चलाने वाले लोग केवल राहत कोष के बारे में चिंतित हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसी तरह की त्रासदी 2021 में भी इस क्षेत्र में आई थी, जब बेमौसम बारिश बाढ़ और बाढ़ लेकर आई थी। उस समय भी बिष्ट ने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल की पूरी मंत्रिपरिषद ने इस क्षेत्र में आई त्रासदी को स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया था।उन्होंने कहा, उस समय मेरे प्रयासों से केंद्र सरकार ने पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्य शुरू करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को 475.04 करोड़ रुपये आवंटित किये थे। बिस्ट ने कहा, मैं जानना चाहता हूं कि उस फंड में से कितना हिस्सा 2021 की आपदा के पीड़ितों को प्रदान किया गया? क्या दार्जिलिंग और कालेबुंग पहाड़ियों में किसी को एक रुपया भी मिला? या उस फंड का बिल जीटीए की लाल कोठी में लगाया गया था? या फिर कलकत्ता में कम हो गया? विवरण के अनुसार, केंद्र सरकार से धन का आवंटन राज्य प्रशासन द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर किया जाता है। बिष्ट ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार और उसके नौकरशाहों ने इस मामले पर रिपोर्ट तैयार करने पर कोई ध्यान नहीं दिया है।उन्होंने कहा, मैं फिलहाल इस आपदा में हुए नुकसान की सूची और विवरण तैयार कर रहा हूं और अपने निष्कर्ष प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के सामने पेश करूंगा। उन्होंने कहा, मैंने पहले ही राज्यपाल से संपर्क किया है, जो कल कुछ प्रभावित इलाकों में पहुंचे थे और उनसे पश्चिम बंगाल सरकार को अपने बचाव और राहत प्रयासों को तेज करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, त्रासदी की भयावहता को देखते हुए सब कुछ संभव है और मदद की सख्त जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार हमारे क्षेत्र के लोगों के साथ एकजुट है और केंद्र सरकार पूरी वित्तीय सहायता भी देगी, लेकिन मुझे संदेह है कि केंद्र द्वारा भेजी गई सहायता राशि या तो लालकोठी में या नवान्न में गायब हो जाएगी, जैसा कि 2021 में हुआ है। @ रिपोर्ट अशोक झा
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