- सिक्किम के मुख्यमंत्री ने लिया जायजा, की गयी कई घोषणाएं
सिलीगुड़ी: बंगाल के पड़ोसी राज्य सिक्किम में आई बाढ़ तबाही लेकर आई है। सिक्किम में बादल फटने से बाढ़ ने काफी तबाही मचाई लेकिन यह बाढ़ पश्चिम बंगाल के लिए भी मुसीबत बनकर टूटी है। उत्तरी सिक्किम में बादल फटने से तीस्ता नदी में आई बाढ़ में मृतकों की संख्या बढ़कर 51 हो गई, जिनमें 11 सैन्यकर्मी हैं। इनमें 26 शव सिक्किम और 25 शव पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के विभिन्न इलाकों से मिले हैं। 142 लोग अब भी लापता हैं, जबकि घायलों की संख्या 26 है। आपदा प्रबंधन को लेकर बंगाल के राज्यपाल एक बार फिर उत्तर बंगाल आ रहे है। वह लगातार राहत शिविर का दौरा करेंगे। इधर
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और लोगों से बातचीत की। कहा की आपदा का सामना करते हुए जिसने हमारे राज्य के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। एनडीआरएफ और एसएसडीएमए के कई अधिकारी, कर्मी और समर्पित स्वयंसेवक बचाव और राहत कार्यों में अथक प्रयास कर रहे हैं। इस संदर्भ में, आज की गई घोषणाओं को दोहराना चाहता हूं। राज्य सरकार ने सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड के सहयोग से सिक्किम के आपदाग्रस्त क्षेत्रों के लिए एक विशेष वित्तीय राहत पैकेज तैयार किया है। हमने भी रुपये का राहत पैकेज आवंटित किया है। मंगन जिले के लिए 25 करोड़ रुपए गंगटोक, पाक्योंग और नामची जिलों में से प्रत्येक के लिए 15 करोड़ । यह आवंटन राज्य और केंद्र सरकार दोनों द्वारा प्रदान की गई राहत सहायता के अतिरिक्त है। राज्य सरकार उन लोगों को सब्सिडी देगी जो हमारे राज्य में आवश्यक वस्तुओं, सब्जियों और अन्य खाद्य पदार्थों का परिवहन करते हैं। इस उपाय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लंबे यात्रा मार्गों के कारण होने वाले अतिरिक्त खर्च से हमारे स्थानीय निवासियों के लिए बिक्री मूल्य में वृद्धि न हो। किसी भी सामान का भंडारण और अधिक कीमत वसूलना स्वीकार नहीं किया जाएगा। इन विनियमों का उल्लंघन करने वालों को उनके लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द करने का सामना करना पड़ेगा। राज्य सरकार मंगन जिले के गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क और नेटवर्क कनेक्टिविटी बहाल करने के लिए सभी संभावित रास्ते तलाशने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वर्तमान में राज्य के बाकी हिस्सों से पूरी तरह से कटा हुआ है।
सिक्किम मे गंगटोक से लेकर दूरदराज तक के कई कस्बों में हर तरफ तबाही दिख रही है। कई भारी-भरकम गाड़ियां और मशीनें दबी हैं तो कहीं पुल और सड़कें साफ हो गई हैं। उत्तर सिक्किम में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। सिक्किम में सैकड़ों लोग राहत शिविरों में हैं। मकान दफ्न हो गए हैं, गाड़ियां मलबे में दबी हुई हैं।रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। एनआरडीएफ, एसडीआरएफ और वायुसेना के हेलीकॉप्टर बचावकार्य में जुटे हैं। सिक्किम मे गंगटोक से लेकर दूरदराज तक के कई कस्बों में हर तरफ तबाही दिख रही है। कई भारी-भरकम गाड़ियां और मशीनें दबी हैं तो कहीं पुल और सड़कें साफ हो गई हैं। उत्तर सिक्किम में सबसे ज्यादा तबाही हुई है। सिक्किम में सैकड़ों लोग राहत शिविरों में हैं। मकान दफ्न हो गए हैं, गाड़ियां मलबे में दबी हुई हैं। सिक्किम में गंगटोक से लगाकर दूरदराज के तमाम इलाकों में बाढ़ और सैलाब ने जमकर तबाही मचाई है। मजबूत पुल तीस्ता के बहाव के आगे टूटकर बिखर गया। भारी-भरकम मशीनों से लेकर ट्रक और बसें मलबे मे दब गई और रास्तों का कहीं कोई नामोनिशान नहीं बचा। इस निर्माणाधीन पुल को भी बाढ़ से भयंकर नुकसान पहुंचा। पुल का एक हिस्सा दिख रहा है। ये पुल करीब-करीब पूरा हो चुका था लेकिन अब इसका एक बड़ा हिस्सा नदारद है। इसी बीच अचानक सिक्किम के रगपो में तीस्ता नदी के किनारे ये धमाका हुआ। आशंका है की भारतीय सेना के उन्हीं गोला बारूद का हिस्सा है, जो सिक्किम सैलाब के दौरान बह गए थे। सिक्कम में मची इस तबाही को देखकर वैज्ञानिक भी डरे हुए हैं। जिस तरह से कुदरत ने उथल-पुथल मचा रखी है, कहीं ये और भी बड़े खतरे का सिग्नल तो नहीं है क्योंकि सिक्किम भूकंप की सबसे खतरनाक सिस्मक ज़ोन-5 में आता है।यानी यहां 8 से 9 तीव्रता वाले भूकंप की आशंका बनी रहती है।चार अक्टूबर को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) के कारण झील में जल स्तर तेजी से बढ़ गया था।।इससे मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची जिलों में भारी नुकसान हुआ। साथ ही चुंगथांग बांध से पानी छोड़ा गया और तीस्ता नदी का जलस्तर बढ़कर बाढ़ आई, जिसमें भारी तबाही हुई। बाढ़ से 2,376 घर क्षतिग्रस्त, 25 हजार लोग प्रभावित
एसएसडीएमए के मुताबिक बाढ़ से चार जिलों के 27 इलाके प्रभावित हुए हैं। 2,376 घरों को नुकसान पहंचा है। इन जिलों में 25,065 लोग प्रभावित हुए हैं। अभी तक 26 लोग घायल हुए हैं। अब तक 2413 लोगो को सुरक्षित निकाला गया है। इस समय राज्य में कुल 22 रीलिफ कैंप बनाए गए हैं, इनमें 6,875 लोग रह रहे हैं। बाढ़ में 13 पुल ढह गए हैं।
चार और सैन्य की पहचान
बाढ़ की चपेट में आने से बलिदान हुए सात जवानों में से चार की पहचान हो गई है। इनकी पहचान बिन्नागुड़ी सैन्य स्टेशन के गोपाल मद्दी, 64 ब्रिगेड, बेंगडुबी के नायक भवानीसिंह चौहान, अलीपुरद्वार में मधुबागान के नायक एनजी प्रसाद और बिमल उरांव के रूप में हुई।
खतरे से सचेत करने वाली प्रणाली होती तो टल सकती थी तबाही
वैज्ञानिक और सरकार के अधिकारी ल्होनक झील पर ग्लेशियर से होने वाली बाढ़ के खतरे से सचेत करने वाली प्रणाली पर काम कर रहे थे। इसका पहला चरण पूरा हो चुका है और पिछले महीने ल्होनक झील के स्तर पर निगरानी के लिए एक कैमरा और कुछ मौसमी उपकरण भी तैनात किए जा चुके हैं। वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर यह प्रणाली काम कर रही होती तो बाढ़ की अग्रिम चेतावनी से मिलने के बाद लोगों को निकालने के लिए थोड़ा अतिरिक्त समय मिल जाता और सिक्किम की इस भीषण तबाही को टाला जा सकता था। @ रिपोर्ट अशोक झा
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