अशोक झा
सिक्किम में अचानक बाढ़ और तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। इसकी कहानी 2013 में केदारनाथ में आई आपदा जैसी ही है। उत्तरी सिक्किम में जिला है मंगन। मंगन का ऊंचाई वाला इलाका है चुंगथांग। चुंगथांग के हिमालय में बना है साउथ ल्होनक लेक। यह एक झील है जो ल्होनक ग्लेशियर पर बनी है। यानी यह एक ग्लेशियल लेक है। इसी ग्लेशियल लेक के ऊपर बादल फटे। तेज गति से पानी गिरा। तेज बहाव और दबाव से लेक की दीवारें टूट गईं। ऊंचाई पर होने की वजह से पानी तेजी से निचले इलाकों में बहकर गया। तीस्ता नदी उफान पर आ गई। यह ग्लेशियर 17,100 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है। करीब 260 फीट गहरी। 1.98 किलोमीटर लंबी और आधा किलोमीटर चौड़ी। कुल मिलाकर यह 1.26 वर्ग किलोमीटर में फैली है। आप सोचिए इस झील से जब पानी नीचे आया होगा, तब वो अपने साथ ढेर सारा मलबा और पत्थर लेकर नीचे आया। हरे रंग में दिखने वाली तीस्ता नदी पीले और मटमैले रंग में बहने लगी। साउथ ल्होनक झील सिक्किम के हिमालय क्षेत्र के उन 14 ग्लेशियल लेक्स में से एक है, जिनके फटने का खतरा पहले से था।
पहले से पता था कि झील फट सकती है
इस झील को ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के प्रति बेहद संवेदनशील बताया गया था। इस झील का क्षेत्रफल लगातार बढ़ता जा रहा था। क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ल्होनक ग्लेशियर पिघलता जा रहा है। पिघलते ग्लेशियर से निकला पानी इसी झील में जमा हो रहा था। 4 अक्टूबर को जब इसके ऊपर बादल फटा तो झील की दीवारें टूट गईं।झील फटने से निचले इलाकों में दिक्कत: उत्तरी सिक्किम में झील के फटने की वजह से तीस्ता का पानी बढ़ गया है. इस वजह से गजोलड्बा, डोमोहानी, मेखलीगंज, घीश और बांग्लादेश का कुछ इलाका प्रभावित हो सकता है।।मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे के लिए रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. इसी साल मार्च में केंद्र सरकार ने संसद में एक डरावनी रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में बताया था कि हिमालय के ग्लेशियर अलग-अलग दर से पर तेजी से पिघल रहे हैं। साथ में यह भी माना कि जलवायु परिवर्तन की वजह से हिमालय की नदियां किसी भी समय प्राकृतिक आपदाएं ला सकती हैं। यानी कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्वी राज्यों तक हिमालय से आफत आ सकती है।
संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने की थी जांच
सरकार की तरफ से दी गई रिपोर्ट पर संसद की स्टैंडिंग कमेटी जांच-पड़ताल कर रही थी। वह यह देख रही है कि देश में ग्लेशियरों का प्रबंधन कैसे हो रहा है. अचानक से बाढ़ लाने वाली ग्लेशियल लेक आउटबर्स्टस को लेकिन क्या तैयारी है। खासतौर से हिमालय के इलाको में। यह रिपोर्ट 29 मार्च 2023 को लोकसभा में पेश किया गया है। दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने भी इस मामले को सदन में उठाया था।
जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने बताया कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ग्लेशियरों के पिघलने की स्टडी कर रही है। लगातार ग्लेशियरों पर नजर रखी जा रही है। 9 बड़े ग्लेशियरों का अध्ययन हो रहा है। जबकि 76 ग्लेशियरों के बढ़ने या घटने पर भी नजर रखी जा रही है। अलग-अलग इलाकों में ग्लेशियर तेजी से विभिन्न दरों से पिघल रहे या सिकुड़ रहे हैं ग्लेशियर। सरकार ने कहा था नदियों का फ्लो तो कम होगा, आपदाएं आएंगी
सरकार ने माना है कि ग्लेशियरों के पिघलने से नदियों के बहाव में अंतर तो आएगा ही। साथ ही कई तरह की आपदाएं आएंगी। जैसे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF), ग्लेशियर एवलांच, हिमस्खलन आदि। जैसे केदारनाथ और चमोली में हुए हादसे थे। इसकी वजह से नदियां और ग्लेशियर अगर हिमालय से खत्म हो गए। तो पहाड़ों पर पेड़ों की नस्लों और फैलाव पर असर पड़ेगा। साथ ही उन पौधों का व्यवहार बदलेगा जो पानी की कमी से जूझ रहे हैं। लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान की वजह से हिमालय पर Cold Days कैसे घटते जा रहे हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमालय का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्लेशियर पिघलने की दर बढ़ जाती है। स्टडी में बताया गया है कि हिमालय के इन ग्लेशियरों ने अपना 40% हिस्सा खो दिया है. ये 28 हजार वर्ग KM से घटकर 19,600 वर्ग KM पर आ गए हैं। इस दौरान इन ग्लेशियरों ने 390 क्यूबिक KM से 590 क्यूबिक KM बर्फ खोया है. इनके पिघलने से जो पानी निकला, उससे समुद्री जलस्तर में 0.92 से 1.38 मिलीमीटर की बढ़ोतरी हुई है।दरअसल, सिक्किम के मंगन जिले की लोनाक झील के कुछ हिस्सों में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण तीस्ता नदी के निचले हिस्से में बहुत तेजी से जल स्तर में वृद्धि हुई. मंगन, गंगटोक, पाकयोंग और नामची जिलों में बड़ा नुकसान पहुंचा है. उत्तरी सिक्किम में ल्होनक झील के कुछ हिस्सों में झील के फटने से पानी का स्तर लगभग 15 मीटर/सेकंड के उच्च वेग के साथ बढ़ गया। सुबह 6 बजे मेली साइट को 227 मीटर तक पार कर गया, जो खतरे के स्तर से करीब 3 मीटर ऊपर था. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार, बाढ़ 3 अक्टूबर, 2023 की आधी रात के बाद आई। 4 अक्टूबर को करीब एक बजे चुनथांग से तीस्ता नदी में बड़ी बाढ़ की सूचना मिली। दोपहर 2:30 बजे तक बाढ़ शेष जिलों के निचले इलाकों तक पहुंच गई, जिससे सार्वजनिक संपत्तियों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बड़ा नुकसान हुआ। चुंगथांग और उसके आसपास के मंगन जिले के अंतर्गत संचार नेटवर्क प्रभावित हुआ है. प्रशासन तुरंत एक्शन में आया और निचले इलाकों से लोगों को निकालने का काम शुरू किया. राज्य होम गार्ड और नागरिक सुरक्षा, गंगटोक और एनडीआरएफ टीम को प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किया गया है। अब तक नुकसान की यह सूचना मिली: मंगन जिला: टूंग ब्रिज ढहने के कारण चुंगथांग का संपर्क टूट गया. फिदांग पुल ढह गया। फिदांग में चार पक्के मकान बह गए। डिक्चू में दो घर बह गए. जीआरईएफ सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, नदी के किनारे के घर खतरे में हैं और संगखालंग में दो जीआरईएफ मजदूरों के लापता होने और फिदांग से एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना है। टूंग में जीआरईएफ क्रशर प्लांट और पुराना पुलिस बैरक बह गया है और चार लोगों के लापता होने की सूचना है। संगखालंग में फॉरेस्ट गेस्ट हाउस और सरकारी क्वार्टर की दो यूनिट बह गईं।
गंगटोक: चार घायलों को सिंगटम अस्पताल ले जाया गया है. SDRF द्वारा 25 लोगों को बचाया गया है। अन्य लोगों का रेस्क्यू जारी है। नामची जिला: एलडी काजी ब्रिज बह गया। इंद्रेनी पुल बह गया. नामफिंग साईं मंदिर में एक राहत शिविर स्थापित किया गया. अब तक 500 लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है। प्रणामी मंदिर में स्थायी राहत व्यवस्था की गई है।
पाकयोंग जिला: दो को मामूली चोटें आई हैं. एक की मौत हुई है. एक व्यक्ति रंगपो पीएचसी में निगरानी में है।
सेना के 23 जवान लापता हैं और बारदांग में एक व्यक्ति को बचा लिया गया है।
क्या बादल फटने का संबंध जलवायु परिवर्तन से है?
विशेषज्ञों ने बार-बार बादल फटने की प्रक्रिया में वृद्धि को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा है. डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जुलाई 2021 तक हिमालयी क्षेत्र में कम से कम 26 बार बादल फटने की घटना हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते वैश्विक समुद्री तापमान के कारण महासागर तेजी से गर्म हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप नमी युक्त हवा हिमालयी क्षेत्र में पहुंच रही है, जिसकी वजह से बादल फट रहे हैं।
जिले के गाजोलडोबा तीस्ता बैराज से आज तीन अज्ञात शव बरामद किए गए है। जिसे इलाके में सनसनी मच गई। दरअसल, पहाड़ों पर लगातार बारिश के कारण तीस्ता पर बने डैम बीती रात टूट गया है।लापता जवानों की तलाश जारी
नार्थ सिक्किम में ल्होनक झील पर बादल फटने से भारी तबाही हुई है। इस वजह से लाचेन घाटी में तीस्ता नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया है। रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि इससे सिंगताम के पास बारदांग में खड़े सेना के वाहन डूब गए। उन्होंने बताया कि सेना के 23 जवानों के लापता होने की खबर है और 41 वाहन कीचड़ में धंसे हुए हैं। तलाश एवं बचाव अभियान जारी है। रक्षा अधिकारियों के अनुसार, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) बचाव अभियान चला रहा है और अभी तक 80 स्थानीय लोगों को बचा लिया गया है। गंगटोक जिले में सिंगताम पर बना एक पुल बुधवार को तीस्ता नदी में बाढ़ आने के कारण पूरी तरह से बह गया। इस पुल को इंद्रेणी पुल के नाम से भी जाना जाता है। 120 मीटर लंबा यह संस्पेंशन पुल तीस्ता नदी पर बना एक महत्वपूर्ण मार्ग था। तीस्ता बैराज से तीन शव बरामद किए गए हैं। हालांकि, अभी तक उनकी पहचान नहीं हो पाई है। जबकि 23 सैन्यकर्मियों के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है। उनकी तलाश की जा रही है।
सिक्किम को लेकर बंगाल सरकार का प्लान :
ममता सरकार ने चुनौतियों से निपटने के लिए एक्शन प्लान बनाया है। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव एचके द्विवेदी ने बताया कि बाढ़ से हमारे राज्य के तीन जिले भी प्रभावित हुए हैं। वहीं, सिक्किम में बाढ़ के बाद पाकयोंग, गंगटोक, नामची और मंगन जिलों के सभी स्कूल 8 अक्टूबर तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। इधर, केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार दोपहर एक बजे तीस्ता नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे था। इसके आसपास बाढ़ की स्थिति नहीं है। माना जा रहा है कि तीस्ता पर तीन स्टेशनों मेल्ली, सिंगतम और रोहतक पर जल स्तर खतरे के निशान से नीचे है, लेकिन इसके करीब मंडरा रहा है।
'पानी का बहाव कम होने पर बांध की मरम्मत कराएंगे'
बंगाल सरकार के मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए तैयारियों के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा, हमने मंगलवार रात से ही निकासी शुरू कर दी थी। बादल फटने से 3 जिले प्रभावित हुए हैं. इस दौरान सीएम ममता बनर्जी ने कहा, सुबह तीन बजे हमें इसकी जानकारी हुई। दार्जिलिंग और कलिम्पोंग सिक्किम से कट गए हैं। दिल्ली की घटना के कारण मैं देर रात तक जाग रही थी। सिक्किम सीएस ने मुझे फोन किया और मुझे सूचित किया। जैसे ही पानी का बहाव कम होगा, हम बांध की मरम्मत करा देंगे। लेकिन अब हमें लोगों की मदद करनी होगी। हमने दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में लोगों को बचाया है। हम प्रभावित इलाके में पूरी मदद करेंगे '24 घंटे हालात की निगरानी': उन्होंने कहा, डीवीसी ने पानी छोड़ दिया है। नहीं तो बांध टूट जायेंगे। ऐसा हमें बताया गया है। इसलिए खानाकुल और उदयनारायणपुर, बांकुरा का निचला इलाका प्रभावित है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को तैनात किया गया है। मैं चौबीसों घंटे स्थिति पर नजर रख रहा हूं. निचले इलाके से 10 हजार लोगों को निकाला गया है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अनुसार, मेल्ली स्टेशन पर जलस्तर 214.63 मीटर है, जबकि खतरे का स्तर 224 मीटर है. सीडब्ल्यूसी ने कहा, बाढ़ की प्रवृत्ति बढ़ रही है. जल स्तर डेंजर लेबल से नीचे है। चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण पानी का स्तर 15-20 फीट तक अचानक बढ़ गया। सिंगताम स्टेशन पर वर्तमान जल स्तर 351.31 मीटर है. जबकि खतरे का स्तर 355.09 मीटर है. सीडब्ल्यूसी ने कहा, जल स्तर चेतावनी स्तर से नीचे है. इसलिए, सिंगताम के आसपास बाढ़ की कोई स्थिति नहीं है. फिलहाल, इस स्थान के लिए बाढ़ का कोई पूर्वानुमान उपलब्ध नहीं है. रोथक स्टेशन पर वर्तमान जल स्तर 360.06 मीटर है, जबकि खतरे का स्तर 364.98 मीटर है।
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