उत्तर बंगाल में चाय की प्याली में उठा बोनस का तूफान
सितंबर 22, 2023
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सिलीगुड़ी: उत्तर बंगाल के अर्थव्यवस्था की रीढ माने जाने वाली चाय बागानों के इन दिनों बोनस की मांग को लेकर सियासी तूफान मचा हुआ है। यह आंदोलन बोनस पर सहमति नहीं बनने तक और उबाल आएगा। इसकी जानकारी भाजपा और वामपंथी चाय बागान श्रमिको के संगठन नेताओं ने दी है। दुर्गा पूजा पूर्व उत्तर बंगाल के 375 चाय बागान में रहने वाले 8 लाख से अधिक श्रमिकों के लिए गुरुवार को दूसरी बार बोनस पर मलिक पक्ष के साथ सहमति नहीं बनी। इसको लेकर उत्तर बंगाल के चाय के प्याली में तूफान मचा हुआ है। शुक्रवार सुबह से चाय बागान श्रमिक यूनियन ने चाय बागान श्रमिकों के लिए 20 प्रतिशत पूजा बोनस की मांग को लेकर गेट मीटिंग का किया जा रहा है। बोनस पर फैसला नहीं होने पर संगठन के मुख्य सलाहकार और केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला ने मालिकों पर नाराजगी जताई है और कहा की चाय श्रमिको की मांग को लेकर पहली अक्टूबर को महती जनसभा सिलीगुड़ी में होगी।
14 सितंबर को पहली और 21 को दूसरी बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। पहली बैठक में मालिक पक्ष 8.33 फीसद और दूसरी बैठक में 8.50 फीसद बोनस देने को राजी हुए। जिसे सुनकर सभी श्रमिक यूनियनों ने एक बार में इसे खारिज कर दिया। श्रमिक संगठन 20 प्रतिशत की मांग पर अड़े हुए है। कोलकाता में बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स के बैठक कक्ष में सुबह से देर तक मैराथन बैठक होने के बावजूद मालिक अपने फैसले से नहीं हटे। निर्णय लिया गया कि तीसरी बोनस बैठक पांच व छह अक्टूबर को कोलकाता में होगी। उत्तर- बंगाल के डुआर्स-तराई के लगभग 8 लाख स्थायी और अस्थायी श्रमिकों के लिए इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था। बेनतीजा बोनस बैठक की खबर मिलते ही चाय श्रमिक वर्ग में निराशा छा गयी। प्लांटेशन एसोसिएशन की सलाहकार समिति (सीसीपीए) के महासचिव अरिजीत राहा के अनुसार, बोनस समझौते को चाय उद्योग की परंपराओं के अनुसार क्रियान्वित किया जाएगा। श्रमिक प्रतिनिधियों को बागान की वित्तीय स्थिति बतायी गयी है। मजदूरों के संयुक्त संगठन ज्वाइंट फोरम के शीर्ष नेता जियाउल आलम ने कहा, ''यह बेहद दु:खद है। बोनस राउंड में देरी की वजह मालिकों का रवैया ठीक नहीं है। 20 प्रतिशत दर बोनस केवल कुछ अतिरिक्त नकदी नहीं है। यह उस मजदूर की पूंजी है जिसने खून-पसीना बहाया है। मंच के एक अन्य नेता मणिकुमार दर्नाल ने कहा कि चाय उद्योग में ऐसा कुछ नहीं हुआ है जिसे आपदा कहा जा सके। अधिकांश उद्यान अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। कमाई भी अच्छी है तो बोनस देने में क्यों हो रही देरी। जिन बागानों की खराब स्थिति है। लेकिन अन्य पूरी तरह ठीक है। ऐसे में 20 प्रतिशत से कम की समग्र बोनस दर स्वीकार करना संभव नहीं है। भाजपा के प्रभुत्व वाले भारतीय चाय वर्क्स यूनियन के अध्यक्ष जुगल किशोर झा ने कहा कि 20 प्रतिशत से कम बोनस स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं है। यही बात तृणमूल चाय बागान श्रमिक संघ के चेयरमैन नकुल सोनार ने भी कही। तराई डुआर्स प्लांटेशन वर्क्स यूनियन के अध्यक्ष मनोज कारकिदुली ने कहा, ''मालिकों का साढ़े आठ प्रतिशत बोनस का प्रस्ताव न केवल हास्यास्पद है, बल्कि अपमानजनक भी है। उत्तर बंगाल चाय बागान कर्मचारी संघ के महासचिव अभिजीत रॉय ने कहा, उम्मीद है कि मालिक स्थिति को समझेंगे और अगली बैठक में स्वीकार्य समाधान बनाने की राह पर चलेंगे लेकिन उस स्थिति में भी समय कम लगेगा। बागान कर्मचारियों की स्टाफ-सब-स्टाफ संयुक्त समिति के संयोजक आशीष बसु ने कहा, 'हमने कभी भी कठोर रवैया नहीं अपनाया है। 20 प्रतिशत बोनस को लेकर अभी भी आशान्वित हूं। खराब चाय बागान की वास्तविक वित्तीय स्थिति पर विचार करने के बाद कुछ बागानों को पहले ही छूट दी जा चुकी है। इस बार भी ऐसा ही होगा। @ रिपोर्ट अशोक झा
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