--------------------------
हिंदी दिवस की सभी को बधाई ! लेकिन दुःख होता है, जब कुछ हिंदी के पत्रकार स्वयं को मज़बूत करने की अपेक्षा , अंग्रेजी पर भड़ास निकाल कर खुश हो लेते है ! सच्चाई हमेशा सच्चाई रहती है, और यह सत्य है कि हिंदी के न्यूज़पेपर्स अंग्रेजी की अपेक्षा कई गुना ज्यादा बिकते है और बिकना भी चाहिए क्यूंकि यह भारतीय भूभाग के एक बड़े क्षेत्र की आम भाषा है! यही तस्बीर हिंदी चैनलों की है ! दुःख होता है, जब बड़े-बड़े पत्रकार , साहित्यकार स्वीकार करते है कि हिंदी पत्रकारिता का स्तर घट रहा है! यानि जब हम ग़ुलाम थे, पराड़कर जी जैसे अहिन्दी भाषी पत्रकार थे तब भी हिंदी सुदृढ़ थी ! आज तो प्रधान मंत्री से लेकर मुख्य मंत्री तक सभी हिंदी में ज्यादा बात करते है ! राजभाषा के नाम पर अरबो रूपए भी खर्च होते है ! तब हिंदी पत्रकारिता का, हिंदी चैनलों का स्तर क्यों गिर रहा है ! क्यों व्यापारी अपने तिज़ोरी भर रहे है, अंग्रेजी -माध्यम स्कूलों के नाम पर ! कही ही तो दोष है ! यह सत्य है, कि हिंदी मातृभाषा , राष्ट्रभाषा है और ये भी सत्य है हिंदी संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा नहीं ! हिंदी इसलिए महान भाषा है क्यूंकि इसमे भारतीय संस्कृति कि झलक मिलती है ! जैसे भारतीय संस्कृति सभी को समाहित कर लेती है. हिंदी भी वैसा ही करती है ! दुःख तो तब होता है जब हिंदी के मठाधीश , तिज़ोरी भरने के लिए हिंगलिश की मार्केटिंग करते है ! गुजारिश है, अंग्रेजी को कोसने कि जगह, जो हिंदी की रोटी खाते है वह तो कम से कम हिंदी को मज़बूत करने कि दिशा में काम करे !
------------------- ( द पायनियर के वाराणसी ब्यूरोचीफ रमेश सिंह की कलम से)
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/