द वैक्सीन वार देखी तो कोविड के वो भयावह दिन याद आ गए। छुट्टी ले चुकी थी गांव जाना था। तभी डिपार्टमेंट से लेटर आया कि सारे हेल्थवर्कर की अवकाश रद्द हो गए हैं। कोविड से लड़ने की तैयारी हो रही थी हमारे पास संसाधन के नाम पर कुछ नहीं था। सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छिपी नहीं है सब वाकिफ है। पीपीई किट तो दूर मास्क तक नही था। जैसे जैसे कोविड फैलता जा रहा था डर बढ़ता जा रहा था। मेरे अस्पताल में कुल 12 स्टाफ थे पीपीई किट न मिला तो हमने रेनकोट को पीपीई किट बना लिया था। मैने अपने हेलमेट का वाइजर को निकालकर फेस कवर किया। गर्मी से जान निकल जाती थी इसके वावजूद हम सारे हॉस्पिटल में डटे रहे | मुझे याद है हमारे अस्पताल में पहला कोविड टेस्ट पॉजटिव मिला तो सबके रोंगटे खडे हो गए थे। अब हर रोज 10-12 मरीज पॉजटिव मिलना शुरू हुए बढ़ते बढते आंकडा सौ दौ सो ढाई सौ पार कर गया। मेरे अस्पताल के 12 स्टाफ में से 9 कोविड पॉजिटिव हो चुके थे। मै अपनी बारी का इंतजार कर रही थी। सब डर रहे थे वहीं मेरा डर पूरी तरह खत्म हो चुका था। रोज पूजा कर महादेव से प्रार्थना करती थी हे महादेव जो होगा सो होगा। सब तुम पर छोड़ती हूँ। ड्यूटी करना जारी रखा। किराए के मकान में रहती हूँ | नीचे सारे फ्लोर पर मकान मालिक की ज्वाइंट फैमिली थे पूरे 15 लोगों का परिवार। सबको एक ही डर था कि मै अपने अस्पताल से कोरोना लेकर बिल्डिंग में न आ जाऊं। सबसे ऊपर की मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल करते समय भी गलोव्स और जूते पर सर्जिकल कवर लगाती। कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे दिल्ली NCR मे तबाही मचा रखी थी। कोविड मेरी बिल्डिंग तक आ गया मकान मालिक का पूरा परिवार पॉजटिव हो गया, क्या बच्चे क्या जवान सब के सब ... कोविड पॉजटिव। मै हर तीसरे चौथे दिन अपना टेस्ट कराती हर बार निगेटीव रिपोर्ट आती। महादेव ने हर बार बचाया। सोचती अगर महादेव ने बचा ही दिया तो अब अपनी ताकत दिखाती हूँ। मकान मालिक को सारे दोस्त और रिश्तेदार छोड़ चुके थे किसी ने नहीं पुछा। मैने PPE किट पहन अस्पताल में मरीज संभाला साथ ही मकान मालिक के परिवार को भी। उनमे से दो की हालत इतनी बिगड़ी कि पूरी रात खांसी से परेशान चिखते चिल्लाते रोते रहते। अस्पतालो में जगह नही थी। हालात बेकाबू हो गए थे। कोविड की कोई दवा तो थी नहीं। मैने रिस्क लिया और अपने अनुभव से कुछ स्ट्रोग एंटीबायोटिक्स खिलाया। महादेव की कृपा रही बच गए। पिछले साल मकान मालिक पूरे परिवार के साथ फरीदाबाद नये मकान मे शिफ्ट हो गए l हर महीने किराया भेजती हूँ तो व्हाट्सप पर मैसेज आता है कि कंचन तुमसे किराया लेने मे बुरा लगता है लेकिन अगर तुम न होती तो .... ( बाइक से दुनिया की सबसे ऊंची सड़क की यात्रा करने वाली झारखंड की आदिवासी लड़की कंचन उगुरसंडी की कलम से)
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