दुनिया एक किताब है और जो लोग यात्रा नहीं करते वे केवल एक पृष्ठ पढ़ते हैं। ऐसे ही जिंदगी भी एक सफर ही है, इसमें कई राह हैं। इन्हीं राहों से हर सफर में एक नया मुकाम मिलता है। एक मुकाम पूरा हुआ नहीं कि दूसरे मुकाम का सफर शुरू हो जाता है। इसलिए दुनिया की किताब को तभी पढ़ सकते हैं जब सफरनामा किया जाए।
झमाझम बारिश के बीच इस सफरनामा की शुरुआत हुई। इस बरस बिहार में बारिश काफी कम हुई है। जिस भादो को लेकर कहा जाता था... भादो मतलब कादो (कीचड़), उस भादो में उमस भरी गर्मी में धूल उड़ रही थी। ऐसे में इंद्रदेव के मेहरबान होने से करोड़ों बिहारियों को राहत मिली है। देर से ही सही भादो की मेहरबानी रास आ रही है। यूं भी किसी शुभ संकल्प की शुरुआत के समय बूंदाबांदी को हमारे यहां शुभता का संकेत माना जाता है।
तो अधभीगे ही हमारे सफर की शुरुआत हुई है। विविधता में एकता वाला हमारा देश इतना बहुरंगा है कि इसके हर सफर में आप नए लोगों से मिलकर एक नई दुनिया के बारे में जानते हैं। तो इस सफरनामा वाले किताब में कई नए पन्ने जुड़ रहे हैं।
ऐसे भी हजारों मील की यात्रा की शुरुआत एक कदम बढ़ाने से ही शुरू होती है। एक नए मुकाम का यह सफर कई यादगार मोड़ों से होकर गुजरेगा ही। सबकी एक नई कहानी होगी। और यही हमारा सफरनामा है। (मोकामा के कलमकार प्रियदर्शन शर्मा की कलम से)
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