देश दुनिया में उत्तर बंगाल कभी टी, टिंबर, ट्रास्पोर्ट, टूरिज्म और ट्रेड के लिए मशहूर था लेकिन आज यह क्षेत्र इन दिनों सेक्स रैकेट,
ड्रग, जाली नोट, हथियार तस्करी,
सोना तस्करी, मानव तस्करी , मवेशी
तस्करी के साथ साइबर ठगी का बड़ा हॉटस्पॉट बनता जा रहा हैं। इन सभी अवैध धंधा का मुख्य केंद्र बिंदु बन गया है सिलीगुडी। इन दिनों साइवर क्राइम की घटना में आए तेजी के लिए लोग साइबर थाना को ही जिम्मेदार मान रहे है। शहर के उधोगपति विमल डालमिया का कहना है की हाल में ही लक्ष्मण बंसल को एक फोन आया। उस समय वह किसी काम में व्यस्त थे। मोबाइल फोन की घंटी ने उनकी तंद्रा तोड़ी। दूसरी ओर उन्हें एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई पड़ी। एक पुराना सहयोगी, जिसे इलाज के लिए पैसों की सख्त ज़रूरत थी। व्यापारी का दिल पसीज आया, लेकिन उन्होंने इस तरह के फ्रॉड के बारे में सुन रखा था, तो वह पूरी तरह कंफर्म कर लेना चाहते थे कि कॉल करने वाला उनका परिचित ही है। उनके कहने पर उस शख़्स ने विडियो कॉल किया। व्यापारी को तसल्ली हुई और उन्होंने 2 लाख तो एक दूसरे व्यापारी ने 40 हज़ार रुपये ट्रांसफर कर दिए। व्यापारी ने पूरी सतर्कता बरती थी, लेकिन अफसोस कि उन्हें ठगा जा चुका था। उनका दावा है कि उन्हें डीपफेक के जरिये झांसा दिया गया। उन्होंने कोझिकोड के साइबरक्राइम पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई । सभी जानते हैं कि सावधानी में ही सुरक्षा है, इसके बाद भी लोग साइबर अपराधियों की ठगी के शिकार हो रहे हैं। साइबर क्राइम वास्तव में एक अपराध ना होकर विभिन्न अपराधों का समूह है जिसमे हैकिंग, ऑनलाइन ठगी, फिशिंग, स्पैम ईमेल, रैनसमवेयर, पोर्नग्राफी, ऑनलाइन ब्लैकमेल एवं इसी प्रकार के अन्य अपराध आते है। साइबर क्राइम के लिए अपराधियों द्वारा विभिन सॉफ्टवेयर को विक्टिम के सिस्टम से जोड़ दिया जाता है एवं इसके पश्चात विक्टिम के सिस्टम का नियंत्रण अपने हाथ में लेकर विभिन प्रकार के आपराधिक कृत्य किये जाते है। इसमें वित्तीय चोरी से लेकर डाटा को नष्ट करना एवं निजी जानकारी चुराने से लेकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराध शामिल है। कहते है की यहां शिकायत लेकर आने पर शिकायतकर्ता से कह दिया जाता है की मामला दर्ज कराने से क्या फायदा? इस प्रकार की शिकायतें रोज आ रही है। सवाल यह उठता है की इस प्रकार की शिकायत रोज आ रही है तो पुलिस और साइबर थाने की टीम को और सक्रिय होकर इसपर रोक लगाने के सुरक्षात्मक इंतजाम करने होंगे। शिकायतकर्ता को
लौटना या हताश नहीं करना होगा। स्टडी में साइबर क्राइम के 10 बड़े हॉटस्पॉट की लिस्ट बनाई गई है जिसमे उत्तर बंगाल के आठ जिलों में 70 फीसदी से ज्यादा साइबर क्राइम होते हैं।
उत्तर बंगाल क्यों बन रहा है साइबर क्राइम का गढ़?
पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार। अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय सीमा से जुड़े होने के कारण यहां साइबर क्राइम बढ़ रहा है। सीमावर्ती क्षेत्र में
यहां न तो रोजगार के बहुत ज्यादा मौके हैं, जिस वजह से कमाई के लिए लोग साइबर क्राइम की ओर बढ़ रहे हैं। लोगों में जागरुकता और डिजिटल लिटरेसी की भी कमी है। दूसरी वजह
टूरिस्ट डेस्टिनेशन होने की वजह से उत्तर बंगाल में साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं। फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन भी यहां काफी ज्यादा होता है। कारोबारियों और लोगों में जागरुकता की कमी है। असम, सिक्किम, नेपाल,भूटान के नजदीक है, जिस कारण साइबर अपराधी यहां एक्टिव हैं। यहां अपराधियों को विक्टिम भी आसानी से मिल जाते हैं। सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां भी इसे बढ़ा रही हैं। कानूनी एजेंसियां और साइबर क्राइम यूनिट में एक्सपर्ट्स की कमी के कारण यहां साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं। कॉर्पोरेट और आईटी हब होने के कारण साइबर अपराधी यहां काफी एक्टिव हैं। आर्थिक रूप से चाय व रियल इस्टेट और पर्यटक के लिए काफी समृद्ध है, लेकिन यहां के लोगों में डिजिटल लिटरेसी और साइबर सिक्योरिटी को लेकर जागरुकता की कमी है। साइबर क्राइम यूनिट और कानूनी एजेंसियों के पास संसाधनों की कमी के कारण साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं. इसके अलावा कमाई के लिए भी अपराधी साइबर ठगी का काम कर रहे हैं। उत्तर बंगाल सुदूर इलाके में बसा हुआ है, इस कारण कानूनी एजेंसियों की पहुंच काफी सीमित है। इस कारण साइबर अपराधी बढ़ रहे हैं। साइबर क्राइम बढ़ने के पांच कारण: ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं : साइबर क्राइम में आने के लिए कोई बहुत ज्यादा स्किल की जरूरत नहीं पड़ती। हैकिंग टूल और मैलवेयर आजकल आसानी से मौजूद हैं। केआईसी और वेरिफिकेशनः ऑनलाइन प्लेटफॉर्म में केआईसी और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया खराब है। साइबर अपराधी फर्जी आईडी बना लेते हैं, जिस कारण इन्हें ट्रैक कर पाना भी मुश्किल होता है। फर्जी दस्तावेजों की भरमार: आजकल फर्जी दस्तावेजों की भरमार है। इसका इस्तेमाल कर अपराधी फर्जी सिम कार्ड खरीद लेते हैं और गुमनाम तरीके से काम करते हैं। अफॉर्डेबल एआई टूलः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अपराधी साइबर अटैक करते हैं। बेरोजगारीः साइबर अपराधी बेरोजगार लोगों का फायदा उठाते हैं। उन्हें ट्रेनिंग देते हैं और एक नेटवर्क तैयार करते हैं। 70 के दशक में उत्तर बंगाल क्राइम के लिए मशहूर था। आज संगठित अपराध के बदले तरह तरह की तस्करी के साथ ऑनलाइन फ्रॉड और फिशिंग जैसे साइबर क्राइम के लिए कुख्यात होने लगा है। यहां पर साइबर क्राइम का नेटवर्क संगठित तरीके से काम कर रहा है। इसे रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। डिजिटल इंडिया को भले ही सरकार बढावा दे रही है। दूसरी तरफ आज के समय में साइबर क्राइम को रोकने के लिए सरकार के पास कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर किसी के साथ साइबर ठगी हो जाए तो उसे सबसे पहले क्या कदम उठाना चाहिए। साइबर ठगी होने पर किस तरह से शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। आइए जानते है कैसे..
सबसे पहले साइबर क्राइम को करें कॉल
सरकार की ओर से साइबर फ्रॉड की घटनाओं से बचने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू किया गया है। साइबर धोखाधड़ी की किसी घटना के मामले में पीड़ित को सबसे पहले साइबर क्राइम को कॉल करना चाहिए या ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से शिकायत दर्ज करनी चाहिए। साइबर फ्रॉड होने की स्थिति में सबसे पहले 1930 डायल करें। साइबर फ्रॉड होने के 60 मिनट से भी कम समय में 1930 पर कॉल किया जा सकता है। साथ ही ऑनलाइन प्रक्रिया से भी शिकायत दर्ज करायी जा सकती है।
ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया
सबसे पहले आपको cybercrime.gov.in पर साइन अप करना होगा।
फिर अकाउंट लॉग इन करने के बाद आपको आईडी-पासवर्ड डालकर लॉग इन करना होगा।
आपको 'फाइल ए कंप्लेंट' विकल्प पर क्लिक करना होगा।
इसके बाद आपको नियम एवं शर्तें विकल्प का चयन करना होगा।
फिर आपको 'रिपोर्ट अंडर साइबर क्राइम' विकल्प पर क्लिक करना होगा।
इसके बाद एक पेज खुलेगा जिसमें एक फॉर्म दिखाई देगा।
इस फॉर्म में 4 भाग हैं जिनमें आपको अपनी जरूरी जानकारी दर्ज करनी है।
फॉर्म में घटना, संदिग्ध, पूर्वावलोकन और सबमिशन सहित शिकायत का विवरण दिया जाएगा।
यह सभी जानकारी दर्ज करने के बाद आपको सेव एंड नेक्स्ट पर क्लिक करना होगा।
सभी सूचनाओं की समीक्षा कर सबमिट करना होगा। सिलीगुड़ी के नवागत पुलिस आयुक्त सी सुधाकर का कहना है की अपराध और अपराधी से पर हर कीमत पर नकेल कसने के निर्देश सभी थानों को दी गई है। इसमें किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ( पश्चिम बंगाल में अशोक झा की कलम से)
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