सूरत के डायमंड टायकून के नाम से पहचाने जाने वाले गोविंदभाई धोलकिया... इन्हें लोग प्यार से गोविंद काका भी कहते हैं।
हुआ यूं कि गोविंद काका को लीवर संबंधित बडी तकलीफ हो गई, जिसका इलाज सिर्फ लीवर प्रत्यारोपण से ही संभव था। लीवर प्रत्यारोपण का खर्च विदेशों में करीब दो करोड़ रुपये तक होता....और यहीं भारत में ये काफी कम खर्च मैं हो सकता था, दूसरी बात भारतीय चिकित्सकों पर भरोसा। आपने देखा होगा कैसे छोटी छोटी बिमारियों के लिए बडे बडे लोग विदेश दौडे जाते हैं।
गोविंदभाई के लिए दो करोड़ रुपये कोई बडी बात नहीं थी, उन्होंने लीवर ट्रांसप्लांट अपने देश में ही करवाने का फैसला लिया, स्वदेशी चिकित्सकों पर पूरा विश्वास करते हुए यहीं सर्जरी करवाई। विदेश मैं इसका खर्च दो करोड़ करीब होता, और यहाँ हमारे देश मैं तो काफी कम पैसे मैं काम हो गया।
बस यहीं से फिर गुजराती दिमाग काम मैं लग गया, यार ये जो दो करोड़ रुपये में से जो बच गया उसका क्या किया जाए?
गोविंदभाई ने सोचा कि इस बचे हुए पैसों से कोई भलाई का सकारात्मक कार्य कर दिया जाए, और एसा कार्य जो उन्हें आजीवन मदद हो जाए। काका के दिमाग में आया कि क्यों न हमारे देश के शहीद सैनिकों के लिए कुछ किया जाए, वे हमारे देश की हमारी रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं तो हमारी भी तो कुछ ड्यूटी बनती है उनके प्रति।
गोविंदभाई ने सोचा कि, शहीदों के परिवार को एक एक लाख रूपये भी दे दिए जाएं तो वो रूपये भी चार पांच महीनों में खत्म हो जाएंगे। उन्होंने आईडिया लगाया कि वे इस बचे हुए पैसों से देश पर बलिदान हुए सैनिकों के घर पर सोलर प्लांट लगवा कर देंगे, सोलर प्लांट की बीस वर्ष तक की गारंटी वारंटी होती है तो परिवार को लंबे समय तक बिजली बिल से छुट्टी मिलेगी।
उन्होंने एक फाऊंडेशन बनाई, जिसने देश के शहीद सैनिकों के नाम पता ढूंढने का काम किया, कई परिवार एड्रेस फोन नंबर बदल जाने के कारण ट्रेस नहीं हो पाए, फिर भी सबसे पहले 750 शहीद सैनिकों की लिस्ट तैयार की गई। जिसमें से गुजरात के करीब 150 शहीद सैनिकों के घर पर अबतक सोलर प्लांट इंस्टॉल हो चुके हैं और अब गुजरात के बाहर के शहीद सैनिकों के घरों पर सोलर पैनल इंस्टालेशन का कार्य शुरू कर दिया गया है। गोविंदभाई का कहना है कि 3000 शहीद सैनिकों के परिवारों की सूची तैयार की गई है धीरे धीरे आगे बढते जाएंगे।
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/