जिनकी एक झलक पाने के लिए उनके चाहने वाले जान तक देने को उतारू रहते हैं, फिल्मों का वह महानायक संत परंपरा, संतों का कितना सम्मान करता है उसे बताने के लिए यह तस्वीर काफी है।
लोगों की समझ में यह बात आ जानी चाहिए कि दक्षिण भारतीय फिल्में इतनी लोकप्रिय क्यों होती हैं। दक्षिण भारतीय फिल्में और दक्षिण भारतीय लोग सनातन धर्म और संतों का कभी अपमान नहीं करते हैं, इस कारण भी दर्शक उन्हें पसंद करते हैं।
एक संत को देखकर श्रद्धा से उनके चरण छूना... है तो एक छोटी सी घटना लेकिन इसका संदेश बड़ा है।
फिल्मों के इस महानायक ने यह साबित किया है कि वह फिल्मों का ही नहीं असल जिंदगी का भी नायक है।
सच में, यूं ही नहीं कोई बन जाता है रजनीकांत।
डॉक्टर त्रिभुवन सिंह का मानना है कि ड्रविडियन और आर्य जैसे मुद्दे उछालकर उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों के बीच कुछ लोग खाईं खोदने में लगे रहते हैं,, परंतु भारतीय संस्कृति की गहराई में जो संस्कार रोपे हुए हैं उन संस्कारों में पले बढ़े भारतीय जानते हैं कि उन्हें अपनी श्रद्धा के पुष्पों को कहां किस प्रकार समर्पित करना है... भले ही ऐसे लोग कितनी भी ऊंचाई पर बैठकर करोड़ों दिलों पर राज कर रहे हों, बावजूद इसके उन्हें कहां झुकना है यह उनके संस्कारों से आज भी बहुत ही विनम्रता से प्रकट होता रहता हैं।
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