कुछ ऐसा ही बिना दाढ़ी का ओवर वेट के साथ पहुंचा था मैं 19 महीने पहले जम्मू-कश्मीर। उस वक्त जुलाई का मौसम था। बचपन से सुनते आ रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में बर्फ ही बर्फ़ रहती है। मौसम काफी ठंडा होता है। इस लिए एतियातन जैकेट और स्वेटर रखकर लखनऊ से ट्रेन पकड़ ली। मगर जब जम्मू तवी स्टेशन पर उतरा तो ऐसा लगा मानों लखनऊ में ही हों। वही चिलचिलाती हुई गर्म और मैं चौड़िया के जैकेट डाले एसी कोच से बाहर आया। अब आधे लोग तो मुझे पागल समझ बैठे। इसके साथ ही साथ परिवारिजनों, मित्रों और अन्य जानने वालों ने जम्मू-कश्मीर के नाम पर इतना ज्ञान दे दिया था कि ऐसा लग रहा था कि मैं पाकिस्तान जा रहा हूं। कुछ लोगों का तो रिएक्शन कुछ ऐसा था कि मैं जैसे सीमा पर बंदूक लेकर खड़ा रहूंगा। एक-दो लोगों ने तो कुछ इस हद तक कह दिया कि भैया बच के रहना वहां कभी भी और कहीं भी बम फूट जाता है। मगर आपको सच्ची बताएं इन सभी दक़ियानूसी बातों को अगर किनारे रख दें तो जम्मू-कश्मीर सच में जन्नत है। यहां के लोग बहुत बड़े दिल वाले हैं। इतनी शांति और सुरक्षा आपको पूरे देश में कहीं नहीं महसूस होगी जितना जम्मू-कश्मीर में है। क्राइम जीरो ही समझिए और लोगों को हीरो ही समझिए..(नवभारत टाइम्स नईदिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार प्रांजल दीक्षित की कलम से)
जम्मू-कश्मीर में जैसा देश वैसा भेष
अगस्त 10, 2023
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कुछ ऐसा ही बिना दाढ़ी का ओवर वेट के साथ पहुंचा था मैं 19 महीने पहले जम्मू-कश्मीर। उस वक्त जुलाई का मौसम था। बचपन से सुनते आ रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में बर्फ ही बर्फ़ रहती है। मौसम काफी ठंडा होता है। इस लिए एतियातन जैकेट और स्वेटर रखकर लखनऊ से ट्रेन पकड़ ली। मगर जब जम्मू तवी स्टेशन पर उतरा तो ऐसा लगा मानों लखनऊ में ही हों। वही चिलचिलाती हुई गर्म और मैं चौड़िया के जैकेट डाले एसी कोच से बाहर आया। अब आधे लोग तो मुझे पागल समझ बैठे। इसके साथ ही साथ परिवारिजनों, मित्रों और अन्य जानने वालों ने जम्मू-कश्मीर के नाम पर इतना ज्ञान दे दिया था कि ऐसा लग रहा था कि मैं पाकिस्तान जा रहा हूं। कुछ लोगों का तो रिएक्शन कुछ ऐसा था कि मैं जैसे सीमा पर बंदूक लेकर खड़ा रहूंगा। एक-दो लोगों ने तो कुछ इस हद तक कह दिया कि भैया बच के रहना वहां कभी भी और कहीं भी बम फूट जाता है। मगर आपको सच्ची बताएं इन सभी दक़ियानूसी बातों को अगर किनारे रख दें तो जम्मू-कश्मीर सच में जन्नत है। यहां के लोग बहुत बड़े दिल वाले हैं। इतनी शांति और सुरक्षा आपको पूरे देश में कहीं नहीं महसूस होगी जितना जम्मू-कश्मीर में है। क्राइम जीरो ही समझिए और लोगों को हीरो ही समझिए..(नवभारत टाइम्स नईदिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार प्रांजल दीक्षित की कलम से)
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