#क्या_काशी_क्या_ऊसर_मगहर, #राम_हृदय_बस_मोरा
●काशी से मगहर की यात्रा...
●महान समाज सुधारक,संत कबीरदास की जन्मस्थली काशी से उनके निर्वाण स्थली मगहर की यात्रा उपरांत शीश नवाकर आत्मिक अनुभूति का संचार हुआ...
●आश्चर्य जनक है ये जानकर की कबीरदास की समाधि स्थल पर समाधि मंदिर संग मज़ार भी स्थित है, यद्यपि उसी प्रांगण में भव्य शिवजी का मंदिर और एक मस्जिद भी स्थित है।
●इस स्थिति के बारे में पता करने पर ज्ञात हुआ कि संत कबीर दास जी उस काल की सोच, की काशी में शरीर त्याग करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है, यद्यपि काशी कर्मस्थली होने के बावजूद इस सोच को खत्म करने के लिए उन्होंने ऊसर,बंजर मगहर हो प्राण त्यागने के लिए चुना। उनके अनुयायियों में हिन्दू मुस्लिम दोनों समभाव से थे, तो उन लोगों ने उनसे कहा कि हम आपके अंतिम क्रियाकर्म अपने धार्मिक रीति रिवाजों द्वारा करना चाहते हैं। तो कबीर दास जी ने दो चादर मंगाई और एक चादर बिछाकर ,दूसरे चादर को ओढ़ लिए और बोले मेरे अंतिम में जो आप लोगों को प्राप्त हो ,बराबर बराबर बाँट लेना।
आश्चर्यजनक रूप से अंतिम समय में चादर हटाने पर 2 फूल प्राप्त हुए और दोनों अनुयायियों ने उसको बांटकर समाधि मंदिर और मज़ार की स्थापना की। जोकि आज भी शानदार रूप से विद्यमान होकर समाज को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान कर रही....
● काशी से मगहर की आध्यात्मिक यात्रा के सूत्रधार रहे श्रद्धेय प्रोफेसर डॉ Vijay Nath Mishra सर ...
◆सम्पूर्ण यात्रा अत्यंत रोचक एवम अष्टभुजा मिश्रा जी के गांव में सुस्वादु ,स्नेहपूर्ण भोजन बाटी चोखा,दाल एवम विशेष काला नमक चावल एवम मिट्टी की हाड़ी में जमाया लाल दही...स्वाद के क्या कहने...
◆मगहर में कबीर भजनों को समर्पित ताना बाना ग्रुप के कबीर भजनों के मन मयूर झंकृत कर दिया।।।
●अभिनय की दुनिया के ख्यातिप्राप्त नायक श्री अष्टभुजा मिश्रा जी द्वारा कबीर साहब को समर्पित एकल नाट्य प्रस्तुति अद्भुत थी।
◆काशी घाट वाक एवम तीर्थायन ग्रुप के सभी सहयोगियों विषेतः हृदयांश Abhay Tiwari , हृदयांश Shailesh Tiwari ,प्रियवर अवधेश दीक्षित जी, हृदयप्रिय Devendra Das Dev एवम अन्य के असीम स्नेह ,साथ से मन प्रफुल्लित हुआ।।
◆यात्रा में सहयात्री के रूप में बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी प्रोफेसर अरविंद जोशी सर को पाकर धन्य हुआ।
◆खलीलाबाद में मित्र DrPrabhakar Rai एवम श्रद्धेय अग्रज DHMO, संत कबीर नगर डॉ Devendra Gupta बॉस का असीम स्नेह प्राप्त हुआ।
● विजय नाथ मिश्रा सर का आशीर्वाद सदा यूँही बना रहे।
(काशी के कलमकार डॉक्टर अनिल गुप्ता की कलम से)
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