बीती आधी सदी से भी ज्यादा अर्सा बीत गया। इस दौरान मैने भारतीय क्रिकेट सिरीज को रेडियो पर सुना, टेलीविजन और मैदान से अनगिनत बार देखा होगा। न जाने कितने ऐसे क्षणों का मै साक्षी बना जब रोमांच अपने चरम पर हुआ करता था। आंखो देखा हाल सुनाने वाले अपने श्रोताओं और दर्शकों को सावधान करते हुए ये कहते सुने और देखे गए- " कमजोर दिल वाले मैच से दूर रहें धड़कनें रुक सकती हैं। लेकिन सच कहता हूं कि आज यानी 23 अगस्त की शाम छह बज कर चार मिनट के अपने पूर्व नियोजित समय पर जब चंद्रयान- 3 ने हौले से चंद्रमा की धरती का स्पर्श किया तब देशवासियों की तेज होती धड़कनों को कहीं जाकर विराम लगा। क्रिकेट के वे रोमांचक पल इस रोमांच की तुलना में पासंग भी नहीं ठहरते ।
चंद्रयान के अंतिम 22 आरपार के वे मिनट हर किसी के लिए अकल्पनीय थे। देश - विदेश के तमाम टीवी चैनलों पर इसरो के सौजन्य से सीधा प्रसारण देख रहे अरबों लोगों में आपका यह नाचीज पत्नी विमला वर्तमान पीढी की वैज्ञानिक पुत्रवधू सोनल और हमारे भविष्य सुपौत्र निवान सर ने एक साथ इतिहास बनते देखा। कहने का तात्पर्य यह कल-आज और कल ने देखा कि कैसे अंतिम 22 मिनट के दौरान चंद्रयान ने चार पड़ाव सफलतापूर्वक पार करते हुए भारत को अमेरिका, रूस और चीन के समकक्ष चंदा मामा को विजित करने वाला चौथा देश बना दिया। इससे भी महती गौरवपूर्ण उपलब्धि यह रही कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना तिरंगा सफलतापूर्वक फहराने वाला भारत पहला देश बन गया। निवान सर जब मेरी उम्र के होंगे तब अपने पोते- पोतियों को बताएंगे कि उन्होंने आठ बरस की उम्र में विरल ऐतिहासिक घटना को अपने सामने देखा था तब उनकी आंखों मे जो चमक, चेहरे पर छलकता दर्प और अभिमान होगा उनकी मैं कल्पना कर सकता हूं।
मुझे याद है कि 2019 में जब चंद्रयान- 2 को अपने मिशन के अंतिम क्षणों में नाकामयाबी मिली तब इसरो में मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बिलखते तत्कालीन इसरो प्रमुख को गले लगाते हुए कहा था- हार के बाद जीत और असफलता के बाद ही सफलता हाथ लगती है। उनका यह भरोसा रंग लाया। ष्रिक्स समिट में भाग लेने दक्षिण अफ्रीका में मौजूद मोदी जी ने वर्चुअली इस असाधारण सफलता का न केवल दीदार किया वरन राष्ट्र को संबोधन के दौरान इसरो के समस्त वैज्ञानिकों और
140 करोड़ देशवासियों को ढेरों बधाई देते हुए कहा कि यह एक शुरुआत भर है । सूर्य और शुक्र के मिशन के अलावा गगनयान अभियान भी बहुत दूर नहीं है।
विपक्ष इस अवसर पर भी सियासत से बाज नहीं आया। कांग्रेस ने जहां इसका श्रेय जवाहरलाल नेहरू को देते हुए उनके चित्र के साथ ट्वीट किया वहीं ममता दीदी यह कहने से नहीं चूकीं कि यह सफलता किसी एक राजनीतिक दल की नहीं है।
दीवाली अभी दूर है। लेकिन सृष्टि के रचयिता गाड पार्टिकल भगवान शिव के परमप्रिय श्रावण मास में देशवासियों ने आज की शाम ही दीवाली मना ली । बताने की जरूरत नहीं कि पुराधिपति के मस्तक पर चंद्रमा शोभायमान है जिस पर भारत ने अपनी अविश्वसनीय मुहर लगा दी है। विजयी भवः भारत । ( देश के प्रसिद्ध खेल पत्रकार पदमपति शर्मा की कलम से)
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