सैकड़ों टन वजनी लोहे के पुल को उठाए जाते हुए बार-बार देखना भले ही स्थानीय लोगों के लिए रोजाना होने वाली एक घटनात्मक पुनरावृत्ति मात्र हो, मगर यह मेरे लिए पर्याप्त कौतुक का विषय जरूर था। जहां यह होता है वह जगह भी कोई बहुत दूर नहीं है।
रोचेस्टर से दक्षिण में 17 किलोमीटर और मेरे घर से 10 किमी की दूरी इस स्थान पर पहुंचने में तय करनी पड़ती है। यहां का नाम है फेयरपोर्ट। न्यूयॉर्क स्टेट में आता है। फेयरपोर्ट एरी नहर के किनारे बसा हुआ है। इसे बंदरगाह कहना चाहिए।
यहां पहुंचने के लिए कार से मात्र 15 मिनट का रास्ता है। जब हम वहां पहुंचे तो यह समझ में नहीं आ रहा था कि फेयरपोर्ट को शहर कहना चाहिए अथवा गांव? क्योंकि मेरी नजर में अमेरिका में शहर और गांव में कोई खास फर्क दिखाई नहीं पड़ता है। हां अगर अंतर खोजना पड़े तो मुझे यही समझ में आता है कि शहर वहां है , जहां पर खेत नहीं होते।
यद्यपि नहर के किनारे लगे बोर्ड को पढ़ने से मेरी उलझन का समाधान हो गया कि फेयरपोर्ट शहर नहीं अपितु गांव है। और पेरिंटन शहर के अंतर्गत आता है। मनी नामक मैगजीन ने 2005 में इसे न्यूयॉर्क राज्य में रहने योग्य सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक बताया था। इस बेहद शांत इलाके में संपन्न लोग रहते हैं।
2021 में यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय औसतन 53 हजार डालर वार्षिक थी, जबकि 2022 के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्या मात्र 5381 ही है। फेयरपोर्ट का नाम ऐरी नहर बनने के बाद महत्वपूर्ण हो जाता है ।
इस ऐरी कैनाल का इतिहास ऐरी झील से शुरू होता है। यह झील उत्तरी अमेरिका की पांच बड़ी झीलों में चौथे क्रम में आती है। जल परिवहन के व्यावसायिक दृष्टिकोण को सामने रखकर ऐरी नहर का निर्माण कराया गया था ।
ऐरी नहर न्यूयॉर्क राज्य के अल्बानी शहर के पास हडसन नदी से आरंभ होती है और बफलो के पास नियाग्रा नदी में जाकर मिल जाती है । अल्बानी से बफलो तक इसकी लंबाई 363 मील है। इतनी लंबी नहर का एक छोटा हिस्सा ही हम देख रहे थे। नहर का निर्माण 1817 में आरंभ हुआ जो 1825 में पूरा हुआ था।
इसे उत्तरी अमेरिका का सबसे बड़ा जलमार्ग कहा जाता है। आठ वर्ष इसके निर्माण कार्य में लगे थे । नहर औसतन चार फीट गहरी और 40 फीट चौड़ी है।
जब सड़क मार्ग से यातायात कम होता था, तब इसके पानी में मालवाहक जहाज सामान की ढुलाई करते थे। जिसके चलते कई शहरों, गांवों और कस्बों का भी विकास हुआ।
अल्बानी, सेराक्यूज, रोचेस्टर, बफलो जैसे नगर से होकर ऐरी नहर गुजरती है । फेयरपोर्ट पर ऐरी नहर के किनारे जब हम पहुंचे, तो ठीक बगल में आइसक्रीम की दुकान दिखी।
यहां पर आइसक्रीम खाते हुए खिड़की से नहर का दृश्य भी साफ-साफ दिख रहा था ।
अमेरिकन आइसक्रीम और चॉकलेट बहुत खाते हैं, जबकि यह दोनों ही मुझे बहुत पसंद नहीं हैं। इसे पिछली बार खरीद कर कब खाया था, मुझे याद नहीं आ रहा है । वैसे
हम तो ठहरे मिष्ठान्न प्रेमी, वह भी भारतीय हो तो बेहतर।
हम दुकान में ही बैठे थे तभी एक मोटरबोट पर्यटकों को लेकर सामने से गुजर गई। दुकान से बाहर निकले तो ऐरी नहर में एक युवा छोटी स्टीमर से पानी में करतब दिखाते दिखे। यह दृश्य देखने वाले सैकड़ों लोग जमा थे।
उनके करतब दिखाने पर लोगों की तालियां बजती थीं। हवा में स्टीमर को उछालना काफी मजेदार लग रहा था । तकरीबन 15 मिनट तक उनका खेल चलता रहा । इस बीच कई लोगों ने तस्वीरें खींची और वीडियो बनाए। उन लोगों में मैं भी अपने आपको शामिल पाता हूं।
तकनीकी का कमाल: उठा दिया जाता है पूरा पुल
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फेयरपोर्ट की पहचान ऐरी नहर पर बने हुए पुल से भी है। यह पुल इसलिए भी खास है क्योंकि पानी के बड़े जहाजों के आने पर इसे उठा दिया जाता है ।
वैसे इस स्थान पर 1886 में भी एक पुल बना था, लेकिन बाद में नहर के चौड़ा हो जाने के बाद उसको हटा दिया गया था। चूंकि वर्तमान पुल से सड़क का आवागमन भी होता है इसलिए उठाए जाने से पूर्व पांच मिनट के लिए रास्ता रोक दिया जाता है। लेकिन इतना वजनी पुल उठता कैसे है?
इसके पूर्व पुल के बारे में जानना दिलचस्प होगा। करीब सौ साल से अधिक पुरानी इंजीनियरिंग का कमाल पुल में दिखाई पड़ता है। इसका निर्माण 1914 में इस्पात से किया गया है। जिसका पूरा वजन 345.8 टन है। जल और थल पर यातायात को सुगमता से चलते रहने के लिए पुल का निर्माण कराया गया था। इसकी लंबाई 49 मीटर , जबकि चौड़ाई 11 मीटर है।
इस पुल पर पैदल चलते हुए मैं सोच रहा था कि काश इसको उठाए जाते हुए देखने का अवसर मिल जाता! यह संयोग था कि कुछ देर में ही एक मोटरबोट आती हुए दिखाई पड़ी। ऊंचाई देखकर मुझे लगा कि शायद पुल को उठाना पड़े। मेरा अनुमान बिल्कुल सही निकला। पुल को उठाने वाली घंटी लोगों को सावधान करने के लिए बजने लगी थी। इसी के साथ पुल पर यातायात रोक दिया गया और पुल धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठने लगा।
मोटरबोट के गुजर जाने के बाद पुल अपने स्थान पर आ गया। मेरे ख्याल में पुल को 6- 7 फीट ऊपर तक उठाया गया था। इतने वजनी पुल को इलेक्ट्रिक मोटर से उठाया जाता है। पुल को उठाने का कोई निश्चित समय नहीं है । चूंकि अब जलमार्ग से परिवहन कम हो गया है इसलिए औसतन दिन में दो बार इसे उठाया जाता है ।
कोई विलियम्स नाम के इंजीनियर थे, जिनको इसके निर्माण का श्रेय दिया जाता है । ऐरी नहर सामान्यतः चार फीट गहरी और 40 फीट चौड़ी है। लेकिन पुल के पास गहराई तीन-चार मीटर तक है।
नहर में स्टीमर, मोटरबोट के अलावा चप्पू वाली नावें भी चलती हैं। दूर से ही मैं एक अधेड़ दंपत्ति को नाव का चप्पू चलाते देख रहा था। सच में यह स्थान बड़ा ही शांत और कोलाहल रहित लगता है।
जहां तक अपराध की बात है तो फेयरपोर्ट को अपराध शून्य ही कहना चाहिए । कितनी अच्छी जगह है। साल भर में दहाई का आंकड़ा भी अपराध के क्षेत्र में पार नहीं हो पाता। इसीलिए तो फेयरपोर्ट को क्रॉउन ज्वेल भी कहा जाता है।
क्रमश: .....
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