नियाग्रा फॉल अपने आकर्षण की वजह से दुनिया भर में मशहूर है। एक अनुमानित आंकड़े के अनुसार सालाना 12 मिलियन से अधिक लोग नियाग्रा पहुंचते हैं । यहां भारतीय ही नहीं अन्य देशों के पर्यटक भी खूब दिखते हैं । अरेबियन पोशाक में पुरुष, बुर्के वाली महिलाएं भी नजर आती हैं।
अभी तक अमेरिका के जिन पर्यटन स्थलों पर हमें जाने का अवसर मिला था, उनमें सर्वाधिक चहल-पहल हमने यहां पर देखी।
सड़कों के किनारे वाहनों पर खाने-पीने की दुकानें और उनके सामने उपस्थित ग्राहक बिल्कुल भारतीय शहरों का सा एहसास करा रहे थे । गंदगी या अव्यवस्था कहीं नहीं दिख रही थी । ऐसे ही एक सड़क के किनारे एक गाड़ी पर खाजाघर लिखा देखकर मुझे अपनी नेपाल यात्रा की याद हो आई। वहां तो जगह-जगह पर खाजाघर लिखा हुआ दिखाई पड़ जाता था।
देश का सबसे पुराना स्टेट पार्क
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अगर आंकड़ों पर भरोसा करें, तो नियाग्रा अमेरिका का सबसे पुराना स्टेट पार्क है। 1885 में इसे आरंभ कर दिया गया था ।
उद्यान लगभग 400 एकड़ भूमि पर विस्तृत है। इसे पैदल घूमना आसान नहीं है। हां तीन डालर का टिकट लेकर बस में बैठे-बैठे सरसरी नजर में पार्क को अवश्य ही देखा जा सकता है । और यही हमने किया भी । बस में कमेंटरी करने वाली लड़की बताती हुई चलती थी कि कहां पर क्या देखा जा सकता है। लेकिन हमने बस से उतरना मुनासिब नहीं समझा। क्योंकि पैदल घूम-घूम कर देखने के लिए इतना समय हमारे पास नहीं था। शायद यह भी कहा जा सकता है सामर्थ्य भी नहीं।
पार्क में घूमते समय कई जगह झरना नजर आया। लेकिन हम तो ऊंचाई से गिरने वाले झरने को देखने के लिए बेताब थे। खास बात यह है कि पार्क की 140 एकड़ जमीन इसी पानी में है ।
एक और उल्लेखनीय बात यह कि इस उद्यान की रूपरेखा भी फ्रेडरिक ला ओल्मस्टेड ने ही तैयार किया था । यह वही महाशय हैं, जिन्हें रोचेस्टर के कई पार्कों की डिजाइन तैयार करने का श्रेय जाता है।
हिमयुग से जुड़ा है इतिहास
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नियाग्रा झरने का इतिहास जानने चला तो यह हमें बहुत पीछे हिमयुग तक ले जाता है। विवरण के मुताबिक तकरीबन 12 हजार साल पहले जब ग्लेशियर पिघलने शुरू हुए थे , तब नियाग्रा जलप्रपात का जन्म होता है। वैसे इस झरने को मुख्य रूप से नियाग्रा नदी का पानी ही मिलता है, जो 58 किलोमीटर लंबी है। इसी नियाग्रा नदी में ऐरी और ओंटारियो नामक दो झीलें भी जुड़ जाती हैं।
नियाग्रा में हैं तीन झरने
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जिस नियाग्रा फाल को देखने हम पहुंचे थे , वहां तीन बड़े झरने हैं। जिन्हें अमेरिकन, ब्राइडल वेल और हार्सशू फाल के नाम से जाना जाता है । ब्राइडल वेल को लूना फाल भी कहा जाता है। इनमें पहले दो अमेरिका की सीमा में आते हैं, जबकि हार्सशू कनाडा के अंतर्गत आता है । जिनमें हार्सशू सबसे बड़ा है। इसे कनाडाई फाल भी कहा जाता है।
यदि झरने को किनारे से देखना हो तब तो बिना पैसा खर्च किए भी देखा जा सकता है। लेकिन झरने को नदी में उतर कर तेज बौछारों के बीच देखना और उन्हें अच्छे से महसूस करना हो तो मोटर बोट की सैर के लिए 30 डालर प्रति व्यक्ति खर्च करना होगा।
एक भारतीय नजरिए वाला आदमी इसे सस्ता तो नहीं रहेगा , लेकिन यह आधे घंटे वाला खर्चीला अनुभव नियाग्रा फाल देखने का असली रोमांच है। वास्तव में हम उस जगह पर पहुंच गए थे, जहां हमारे एक तरफ अमेरिका तो दूसरी तरफ कनाडा का ओंटारियो राज्य नजर आ रहा था। टोरंटो यहां से 120 किलोमीटर दूर है।
इस तरह नियाग्रा का झरना दोनों देशों की प्राकृतिक सीमा का निर्धारण भी करता है । नियाग्रा नदी से दोनों देशों के बीच की दूरी लगभग 1000 मीटर ही है। यहीं पर दोनों देशों को जोड़ने वाला पुल भी पास में ही दिख रहा था। पुल से गुजरने वाली गाड़ियां भी साफ नजर आ रही थीं। पानी में चाहे जितना घूम लें। लेकिन हम बिना वीजा के उस पार नहीं जा सकते थे।
क्रमश: ........
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