*विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस*
*आज उन्हें याद करने का दिन, जिनका जीवन बंटवारे की बलि चढ़ गया*
*14 अगस्त, 1947 की तारीख भारत भला कैसे भूल सकता है!*
*एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी, तो वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे*
*भारत-पाक विभाजन की घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी रही*
*यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था*
*कभी नहीं भूली जा सकती वह रात*
14 अगस्त 1947 की तारीख भारत भला कैसे भूल सकता है! एक तरफ 200 वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिलने वाली थी तो वहीं दूसरी ओर देश के दो टुकड़े हो रहे थे। लाखों लोग इधर से उधर हो गए। घर-बार छूटा। परिवार छूटा। लाखों की जानें गईं. यह दर्द था, विभाजन का। भारत के लिए यह विभीषिका से कम नहीं थी। इसी दर्द को याद करते हुए पिछले साल आजादी की सालगिरह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का बड़ा ऐलान किया था।
इसी परिप्रेक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के तहत आज सोमवार 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जा रहा है। 14 अगस्त 1947 को देश के बंटवारे के दौरान विस्थापन का दर्द झेलने वाले लोगों की याद में ये दिन मनाया जाता है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारतवासियों को श्रद्धापूर्वक याद करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है, जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे सभी लोगों को देश शत-शत नमन कर रहा है।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्ष पूर्व घोषणा की थी कि हर साल 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के तौर पर मनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता,सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।
1947 में देश ने आजादी पाई थी, मगर देश को दो टुकड़ों में बांटे जाने का जख्म भी झेलना पड़ा। भारत से कटकर पाकिस्तान नया देश बना और बाद में पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से ने 1971 में बांग्लादेश के तौर पर एक नए देश की शक्ल ली।
भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया था। ऐसे में इस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के आयोजन के जरिए भेदभाव, मनमुटाव, दुर्भावना को खत्म कर एकता, सामाजिक सद्भाव की भावना को बढ़ाया जा रहा है।
भारत का विभाजन देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं थी। इसका दर्द आज भी देश को झेलना पड़ रहा है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने पाकिस्तान को 1947 में भारत के विभाजन के बाद एक मुस्लिम देश के रूप में मान्यता दी थी। लाखों लोग विस्थापित हुए थे और बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के चलते कई लाख लोगों की जान चली गई थी। इससे पहले ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के लिए भी लाखों भारतीयों ने कुर्बानियां दी थीं। 14 अगस्त, 1947 की आधी रात भारत की आजादी के साथ देश का भी विभाजन हुआ और पाकिस्तान अस्तित्व में आया। विभाजन से पहले पाकिस्तान का कहीं नामो- निशान नहीं था। अंग्रेज जा तो रहे थे, लेकिन उनकी साजिश का फलाफल था, कि भारत को बांटकर एक अन्य देश खड़ा किया गया।
विभाजन की घटना को याद किया जाए तो 14 अगस्त, 1947 का दिन भारत के लिए इतिहास का एक गहरा जख्म है। वह जख्म तो आज तक ताजा है और भरा नहीं है। यह वो तारीख है, जब देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना। बंटवारे की शर्त पर ही भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली।
भारत-पाक विभाजन ने भारतीय उप महाद्वीप के दो टुकड़े कर दिए। दोनों तरफ पाकिस्तान (पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान) और बीच में भारत। इस बंटवारे से बंगाल भी प्रभावित हुआ। पश्चिम बंगाल वाला हिस्सा भारत का रह गया और बाकी पूर्वी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान को भारत ने 1971 में बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र राष्ट्र बनाया।
देश का बंटवारा हुआ, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से नहीं। इस ऐतिहासिक तारीख ने कई खूनी मंजर देखे। भारत का विभाजन खूनी घटनाक्रम का एक दस्तावेज बन गया, जिसे हमेशा उलटना-पलटना पड़ता है। दोनों देशों के बीच बंटवारे की लकीर खिंचते ही रातों-रात अपने ही देश में लाखों लोग बेगाने और बेघर हो गए। धर्म-मजहब के आधार पर न चाहते हुए भी लाखों लोग इस पार से उस पार जाने को मजबूर हुए। इस अदला-बदली में दंगे भड़के, कत्लेआम हुए। जो लोग बच गए, उनमें लाखों लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई। भारत-पाक विभाजन की यह घटना सदी की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई। यह केवल किसी देश की भौगोलिक सीमा का बंटवारा नहीं बल्कि लोगों के दिलों और भावनाओं का भी बंटवारा था। बंटवारे का यह दर्द गाहे-बगाहे हरा होता रहता है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस इसी दर्द को याद करने का दिन है।
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