एयरपोर्ट के तो मेरे कई इंसिडेंट्स हैं। लेकिन ये कुछ ज्यादा ही अजीब है। मुझे नागपुर से मुम्बई की फ्लाइट लेनी थी। बात 2014 की है। मेरे साथ मेरी एक महिला सहकर्मी भी थीं। हमारी टिकट साथ में एक ही PNR पर बुक थी। काउंटर चेक इन किया। सीट भी साथ में दी।
सिक्योरिटी में पहले तो पंगा हुआ। मेरे केबिन बैग में हमेशा मेरे कुछ मेडिकल इक्विपमेंट्स होते हैं जिन्हें वो रिचेक ज़रूर करते हैं। इसकी आदत हो चुकी है। लेकिन उस दिन जो बन्दा ड्यूटी पर था वो अड़ गया। खैर किसी तरह उसके डिप्टी कमांडेंट से बात करके मामला सुलझा। दिमाग तो भन्ना चुका था। एयर इंडिया वाले बोर्डिंग बन्द न करदें इसलिए महिला सहकर्मी को पहले ही भेज दिया था। लेकिन फिर भी मैं टाइम से पहुंच गया।
अब दूसरा पंगा इंतज़ार कर रहा था। हमारी सीट स्प्लिट कर दी थी। वो भी बहुत दूर दूर। जब केबिन क्रू से पूछा तो उसने बोला कभी कभी हो जाता है ऐसा। मैंने कहा हमारे बोर्डिंग पास और टिकट दोनों पर लिखा है फिर कैसे। कोई तार्किक जवाब नहीं था उनके पास।
खैर उन्होंने सीट एक्सचेंज एडजस्ट की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी। कोई अपनी सीट बदलने को तैयार नहीं था और हम अलग बैठने को नहीं। इतने में एक लेडी ने कमेंट किया why they are behaving like newly married couple. It's a matter of few minutes why can't they sit separate. ये मेरी सहकर्मी ने सुना था। मैं सुनता तो तुरंत रियेक्ट करने की बीमारी है। उसकी इस बात पे कुछ लोग हंसने लगे।
मेरा गुस्सा और इर्रिटेशन और बढ़ गयी। मैंने निर्णय लिया इनको झटका देना पड़ेगा। मैंने फ्लाइट लेने से मना कर दिया। deboard करने की डिमांड की। तब तक टेक ऑफ रोल स्टार्ट नहीं हुआ था। मेरी डिमांड लीगल थी। मैं रिफंड नहीं मांग रहा था। अपनी मर्ज़ी से फ्लाइट छोड़ रहा था और ये मेरा हक था। अब वो लगे समझाने। हम मानने को तैयार नहीं।
ग्राउंड बोर्डिंग स्टाफ, फ्लाइट कप्तान सब आ गए। अब लोगों की प्रतिक्रिया सुनिए। लोग कहने लगे। तो उतार दो ना। इतना भाव क्यों देना।
पायलट भी तैयार हो गया उतारने को। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि किसी को भी प्रोटोकॉल पता नहीं क्या?
सारे लोग तो अब लगभग चिल्ला रहे थे जल्दी उतारो इनको। फ्लाइट डिले होने लगी थी।
फिर ग्राउंड सिक्योरिटी वाले आये। उन्होंने कहा कि अगर फ्लाइट में बोर्डिंग के बाद कोई भी पैसेंजर जिसका बैग चेक इन मे है वो उतरेगा तो पूरे प्लेन को खाली करके सारे चेक इन बैगेज निकालके पूरे फ्लाइट को sanitize करके दुबारा बोर्डिंग होगी। इसमें लगभग दो घन्टे लगेंगे।
इतना सुनते ही जो यात्री अकेले होते हुए भी कोआपरेट करने को तैयार नहीं थे सब अपनी सीट छोड़कर खड़े हो गए और ऑफर करने लगे।
मुझे पता है मैंने जानबूझ कर chaos क्रिएट किया। लेकिन कई बार लोगों को बेसिक कोऑपरेशन सिखाने के लिए करना पड़ता है।
खैर फ्लाइट टेक ऑफ हुई लेकिन ये शायद मुसीबत की फ्लाइट थी।
पहले एक छोटा सा इंसिडेंट हुआ। सुनने में छोटा सा है। लेकिन ध्यान से पढियेगा। एक 14 - 15 साल की बच्ची टॉयलेट में थी और गेट जैम हो गया। वो अंदर से पीटने और चीखने लगी। उसके साथ उसकी मदर थीं। वो काफी घबरा गयीं। वो डायबिटिक थी और हाइपरटेंशन के मेडिकेशन पर भी थीं। उनका BP बढ़ गया और उनकी दवाइयां उस वेस्ट पाउच में थी जो उस बच्ची के साथ टॉयलेट में लॉक था।
खैर वैसे भी रेगुलर BP मेडिसिन ऐसे sudden पैनिक BP शूट अप में कुछ खास असरकारी नहीं होतीं।
Anounce हुआ कि कोई डॉक्टर ऑन बोर्ड हो तो हेल्प करे।। संयोग से प्लेन में तीन डॉक्टर ऑन बोर्ड थे। एक मैं, मेरी सहकर्मी और एक और काफी सीनियर और संयोग से कार्डियोलॉजिस्ट ही जो पहले इस हक में थे कि मुझे प्लेन से उतार दिया जाए।
एक टीम टॉयलेट का दरवाजा खुलवाने में बिजी थी और उस बच्ची को कंसोल करने में। कप्तान भी पहुंच गए थे। वो डॉक्टर साहब ने कुछ बेसिक चीजों की डिमांड की जो इन फ्लाइट होनी चाहिए लेकिन नहीं थी। आफ्टर आल उस टाइम का एयर इंडिया। अब क्या हाल है पता नहीं। वो एकदम कप्तान पर चिल्लाने लगे।
मैंने अपने बैग से हमारे थेरेपी इक्विपमेंट निकाले। क्विक BP कंट्रोल के लिए दो थेरेपी एक साथ करनी होती है। एक मेरे सहकर्मी ने और दूसरा मैंने शुरू किया। उस लेडी को 7-8 मिनट में ही आराम मिल गया।
इस बीच टॉयलेट का दरवाजा भी खुल गया। चीजें ठीक हो चुकी थी ऑलमोस्ट।
उस लेडी ने ऑलमोस्ट रोते हुए कहा आप नहीं होते तो हमारा क्या होता। बाद में जाके हम सीट पर बैठे। तो सहकर्मी ने बताया की वो newly married couple वाला कमेंट इसी ने किया था। मन तो किया जाकर वापस BP बढ़ाने वाला थेरेपी दे दूं। लेकिन कंट्रोल किया। उन दिनों गुस्सा जल्दी आता था मुझे। कई लोगों ने अपने विजिटिंग कार्ड एक्सचेंज किये उतरते वक़्त।
उतरते वक़्त केबिन क्रू ने बताया वो लोग काफी डरे हुए थे क्योंकि वो कार्डियोलॉजिस्ट पीछे बोल रहे थे कि ये लोग पता नहीं क्या थेरेपी कर रहे हैं, मार देंगे उसको।
पूरे घटनाक्रम में एक बात हुई। उस फ्लाइट से आज मेरे पास 18 परमानेंट क्लाइंट हैं और वो डॉक्टर साहब के पनवेल के क्लीनिंक में हमारे इक्विपमेंट्स इस्तेमाल होते हैं। (दिल्ली के मशहूर चिकित्सक अनुराग सिंह की कलम से)
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/