भारत में सौराष्ट्र के समुद्र तट पर स्थित भगवान श्री कृष्ण का मंदिर (श्री द्वारिकाधीश मंदिर, गुजरात) है। यह मंदिर ताजमहल से लाख गुना सुंदर व आकर्षक है। भारतीय शिल्पकला अद्भुत नमूना है। अगर इसे मुगलों ने बनवाया होता तो यह हमारे इतिहास की किताबों में पहले पन्ने पर होता। इस मंदिर में संपूर्ण हिन्दू पौराणिक कथाओं के शिल्प की झलक दिखाई देती है।
द्वारका आने वाले पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण द्वारकाधीश मंदिर (जगत मंदिर) माना जाता है कि इसकी स्थापना 2500 साल पहले भगवान कृष्ण के पोते वज्रनाभ ने की थी। प्राचीन मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार किया गया है, विशेषकर 16वीं और 19वीं शताब्दी की छाप छोड़कर। मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है, जहां तक पहुंचने के लिए 50 से अधिक सीढ़ियां हैं, इसकी भारी मूर्तिकला वाली दीवारें गर्भगृह को मुख्य कृष्ण मूर्ति से जोड़ती हैं। परिसर के चारों ओर अन्य छोटे मंदिर स्थित हैं। दीवारों पर पौराणिक पात्रों और किंवदंतियों को बारीकी से उकेरा गया है। प्रभावशाली 43 मीटर ऊंचे शिखर के शीर्ष पर 52 गज कपड़े से बना एक झंडा है जो मंदिर के पीछे अरब सागर से आने वाली हल्की हवा में लहराता है। मंदिर में प्रवेश और निकास के लिए दो दरवाजे (स्वर्ग और मोक्ष) हैं।
मंदिर में दर्शन का समय (सुबह 7 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और शाम 5 से 9 बजे तक)
संक्षिप्त इतिहास: काठियावाड़ प्रायद्वीप के पश्चिमी सिरे पर स्थित द्वारका को भारत के सबसे पवित्र स्थलों - चार धामों, जिनमें बद्रीनाथ, पुरी और रामेश्वरम शामिल हैं - के साथ जोड़ा गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण इस शहर का निर्माण करने के लिए उत्तर प्रदेश के ब्रज से यहां पहुंचे थे। मंदिर की स्थापना उनके पोते ने की थी। यह गोमती नदी और अरब सागर के मुहाने पर है, जो आध्यात्मिक स्थल को एक सुंदर पृष्ठभूमि प्रदान करता है। ऐसा कहा जाता है कि द्वारका छह बार समुद्र में डूबी थी और अब जो हम देखते हैं वह उसका सातवां अवतार है। इस मंदिर की अपने आप में एक दिलचस्प कथा है। मूल संरचना को 1472 में महमूद बेगड़ा ने नष्ट कर दिया था, और बाद में 15वीं-16वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। इसे 8वीं सदी के हिंदू धर्मशास्त्री और दार्शनिक आदि शंकराचार्य ने भी सम्मानित किया था।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच और जन्माष्टमी के दौरान है, जिसे यहां भव्य रूप से मनाया जाता है।
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