23 जुलाई 2023 को शाम चार बजे लखनऊ में पुराने मित्रों संग वरिष्ठों का जमावड़ा हो रहा है, मौका है हिंदुस्तान लखनऊ के लॉन्चिंग संपादक सुनील दुबे सर की स्मृतियों पर एक किताब के लोकार्पण का। मैं इसमें चाहकर भी नई दिल्ली से नहीं पहुँच सका इस कारण मन बहुत व्यथित है। मन जब भी परेशान होता है तो इंडिया गेट चला आता हूं। कर्तव्य पथ पर चहलकदमी करने संग उन दिनों और उन लोगों को याद करता हूं जिन्होंने कर्तव्य की बलिवेदी पंर शहीद होकर लोगों की ज़िंदगी में उजाला भर गए। सरहद पर शहीद जवानों के नाम के अमर जवान ज्योति पर लगे शिलालेख को देखकर स्पर्श करके एक अलग ऊर्जा मिलती है। कुछ शिलालेख पर चढ़े परिजनों की तरफ से पुष्प उनकी शहादत के तारीख बताते हैं। देश के लिए जिस तरह इन जवानों की शहादत मायने रखती है उसी तरह हर आदमी की ज़िंदगी में मां बाप के अलावा कोई होता जो बहुत मायने रखता है। मेरे लिए वह शख्स थे सुनील दुबे सर, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके आशीर्वाद से देश के कई राज्यों व गैर हिंदी भाषी प्रांतों में काम करने का मौका मिलने के साथ उनके बताए संघर्ष के मंत्रों संग मजबूती से डटा रहा। आज की तारीख में सम्पादकों को अपने खास चेले के अलावा कोई नहीं दिखता वहीं सुनील सर की शिष्य परंपरा में यूपी बिहार ही नहीं देश के कई राज्यों में फैले लोग मिल जाएंगे। हिंदुस्तान लखनऊ लॉन्चिंग के समय लखनऊ यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई करके निकले एक छात्र को बिना किसी पहचान के मौका देकर पत्रकारिता की पिच पर उतारने का काम किया। कुछ दिन ट्रायल लेने के बाद सिटी चीफ प्रभात रंजन दीन के हवाले करके पहला सुपर स्ट्रिंगर बना दिया। विधानभवन के सामने होने वाले धरना प्रदर्शन को कवर करने की जिम्मेदारी दे दी गई। एक साल में ही ट्रेनी स्टाफर बनाकर गोरखपुर हर्षवर्धन शाही के हवाले कर दिया। साल भर गोरखपुर काम किया फिर गोण्डा हिन्दुतान का ब्यूरोचीफ बनाकर भेज दिया। उस समय मोबाइल नहीं आया था,फैक्स से खबरें भेजी जाती थी। एक दिन शाम को सुनील सर के पीए रमेश शर्मा का फोन आया पंडित जी आपको कल सर ने लखनऊ बुलाया है। इस फोन के बाद प्रभात रंजन दीन और उदय सर (न्यूज़ एडिटर) को फोन मिलाया, दोनों लोग ने कहा कल आगे की बात होगी। सबेरे लखनऊ पहुँच गया, सम्पादक जी शाम को आए। सम्पादक जी के कमरे में प्रवेश किया तो उदय सर और प्रभात रंजन दीन पहले से बैठे थे, मुझे देखते ही बोले आ गए प्यारे.. जी सर के साथ चरण स्पर्श किया तो पीठ ठोंककर बोले महादेव। कुर्सी पर बैठने का आदेश दिया। पूछे कभी बनारस गए हो ? नहीं सर। बनारस में कोई नातेदारी रिश्तेदारी है ? नहीं सर। आगे बोले बनारस ब्यूरो की स्थिति ठीक नहीं है, पीटीआई नई दिल्ली से शेखर कपूर को लाया था वह इस्तीफा दे दिया है। उदय जी और प्रभात जी की तरफ इशारा करके बोला इन लोगों की सिफारिश है तुमको भेज दिया जाए, सब ठीक हो जाएगा। मैं भी महादेव का आदेश मानकर तुम्हारा ट्रांसफर बनारस कर रहा हूं, एक सप्ताह में जाकर जॉइन कर लो, कमरे से निकलने से पहले शेखर कपूर के इस्तीफे की कई पन्नों की फोटोकॉपी थमाते हुए कहा इसको पढ़ना बनारस ब्यूरो का हाल समझने में मदद मिलेगी। मेरे लिए महादेव सुनील सर ही थे उनका आदेश मानकर बनारस पहुँच गया। लक्सा पर बेरीबाला धर्मशाला में एक कमरा लिया, सबेरे गोदौलिया पर कचौड़ी जलेबी खाकर पहुँच गया सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के सामने मौजूद हिंदुस्तान दफ्तर। वाराणसी के ब्यूरोचीफ एके लारी के साथ आशुतोष पाण्डेय, आदर्श शुक्ला, राजीव द्विवेदी, राधेश्याम कमल, जय प्रकाश श्रीवास्तव, रमेश श्रीवास्तव, सुधीर दुबे, शिवराज सिन्हा, अनिरबन भौमिक से परिचय कराया। टाइम्स ऑफ इंडिया के बिनय सिंह की मदद से एक सप्ताह बाद शिवपुरवा में एक कमरे का मकान लिया। ज़िंदगी अब बनारस के रस को चखने से लेकर समझने और सीखने की पटरी पर आ गई। गांव देहात की खबरों के सम्पादन के साथ विशेष खबर लिखने की आज़ादी थी। इसी काशी की विधवाओं को वेश्यावृत्ति करते दिखाने वाली पटकथा पर एक फ़िल्म बनाने प्रसिद्ध फ़िल्म निर्मात्री दीपा मेहता के साथ शबाना आजमी, नंदिता दास के साथ पूरी फिल्म यूनिट आ पहुँची। फ़िल्म का विरोध चालू हो गया था, काशी की विधवाओं से बात करके इस फ़िल्म को लेकर एक विशेष खबर करने के बाद इस आंदोलन की कवरेज में आदर्श शुक्ला के साथ मैं भी शामिल हो गया। उस समय लखनऊ से छपकर हिंदुस्तान बनारस आता था, बनारस से छपने वाले अखबारों की तुलना में स्टाफ और प्रसार कम था लेकिन तेवर तल्ख था। सुनील सर के आशीर्वाद से वाटर फ़िल्म के खिलाफ काशी में चल रहे आंदोलन की जो कवरेज हिंदुस्तान में हो रही थी, वैसा तेवर किसी अखबार में नहीं था। आंदोलन की कड़ी में एक दिन आठ कॉलम में हेडिंग लगी बनारस से बोरिया बिस्तर बांधेगी दीपा मेहता। शबाना आजमी और नंदिता दास विधवा को रोल करने के लिए सिर मुड़ा चुकी थी। आंदोलन जोर पकड़ रहा था, इस आंदोलन के खिलाफ वामपंथी गैंग काशी की विधवाओं से वेश्यावृत्ति कराने की कहानी को सही ठहराने पंर आमादा था। हिंदुस्तान की बैनर हेडिंग देखकर दूसरे अखबारों को सांप सूंघ गया था। सबेरे आफिस पहुँचा तो लारी जी पहले से थे पता चला सुनील सर का फोन आया था उन्होंने कहा है दिनेश आए तो कहना बात करें। लारी जी अपने स्टाइल में मूंछो के बाल को ताव देते हुए यह संदेश दिए। अपनी।कुर्सी पर बैठने के बाद मैंने सुनील सर को फोन मिलाया। सुनील सर के दूसरे पीए जीवन झा ने फोन उठाया। बोले पंडित जी आपके फोन का ही सर इंतजार कर रहे थे। प्रणाम किया... बोले प्यारे दीपा मेहता अगर बोरिया बिस्तर काशी से नहीं समेटी तो तुम समेट लेना। मैने कहा सर महादेव ने काशी भेजा तो महादेव ही सब देखेंगे। सुनील सर से इस संवाद के बाद आंदोलन की कवरेज में निकल गया। आंदोलन तेज होने के साथ गंगा तट पर शिवसैनिक अरुण पाठक गले में पत्थर बांधकर हाथ में सल्फॉस की टेबलेट के साथ एक नाव पर सवार हो गए। घाट पर फ़िल्म के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी के बीच अरुण पाठक नांव लेकर बीच में गए और कूद गए। डीएम ने फ़िल्म की शूटिंग पंर रोक लगा दी। यह खबर जैसे ही आदर्श शुक्ला आफिस लाए हर हर महादेव निकल उठा। मुझे लगा महादेव ने सुनील सर से कबीर जिस मगहर में प्राण त्यागे उस सरजमी में पैदा हुए इस अक्षर मजदूर को काशी भिजवाया। महादेव की कृपा से ही काशी से कश्मीर, दिल्ली से दार्जलिंग सहित देश के कई हिस्सों में काम करना का मौका मिला। महादेव की कृपा से ही रोमिंग जॉर्नलिस्ट ब्लॉग बनाया। जिसके सहारे खबरों से इत्तर कलमकारों की दुनियां से रूबरू कराने के साथ पुरानी यादें बांट संकू। हर हर महादेव
दीपा मेहता बोरिया बिस्तर नहीं बांधी तो तुम बांध लेना दिनेश...
अगस्त 11, 2023
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