#मणिपुर डायरी#
बात 17नंबर,2009 की है... केंद्रीय हिंदी निदेशालय की ओर से नवलेखक शिविर के लिए चयनित हुई थी. उस समय दैनिक जागरण में संपादक ज्ञानेश्वर पाण्डेय जी थें. मणिपुर का नाम सुनते ही 'बिग नो ' था. पर मेरे जिद्दी स्वाभाव के कारण वो मुझे रोक नहीं सके. वहाँ जाकर पता चला कहाँ चली आयी!?यहाँ हिंदी बोलना जुर्म है. सीधे ठोक दिया जाता है. जहां सेमिनार हो रहा था, कुछ दिन पहले ही वहाँ छात्र ने अपने ही प्रोफेसर को मौत के घाट उतार दिया था. दहशत की कोई सीमा नहीं. फिर भी मुझे पसंद है मणिपुर. वो फूलों का पहाड़. एकदम शुद्ध हवा, मेडिसनल गार्डन... हिंदी विभाग... प्रोफेसर कंचन शर्मा... प्रोफेसर अखिलेश शंखधर , निदेशालय के उप निदेशक नसीम बेचैन के बीच मुझे गोलियों की आवाज़ नहीं सुनाई देती थी ...( पश्चिम बंगाल की कलमकार रीता दास की कलम से)
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