डेहरी ऑन सोन बिहार राज्य के रोहतास जिले में स्थित है। यह बिहार की राजधानी पटना से करीबन 163 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में है। डेहरी ऑन सोन को लोग कई नाम से जानते है जैसे डिहरी, डेहरी, डेहरी डालमियानगर लेकिन इन सब नामों का मतलब एक ही है।
डेहरी का अर्थ होता है दहलीज यानि चौखट। यदि आप पूर्व की दिशा से डेहरी शहर में आते है तब आप मगध क्षेत्र (औरंगाबाद जिला) को छोड़ भोजपुरी क्षेत्र (शाहाबाद क्षेत्र, रोहतास जिला) में प्रवेश कर जाते हैं और जब आप डेहरी से वापस पूर्व की दिशा में जाते हैं तो मगध क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। यानि डेहरी शहर एक दहलीज है जहां से भोजपुरी क्षेत्र में आते हैं और यहां से बाहर निकलकर मगध क्षेत्र में जाते हैं।
क्या आप जानते है इस शहर के नाम का अर्थ? यदि नहीं तो हम आपको बताते है डेहरी ऑन सोन एक अंग्रेजी नाम है जिसका अर्थ यह कि सोन नदी के किनारे बसा हुआ शहर।
डेहरी कई दशक तक औद्योगिक नगरी के नाम से भी जाना जाता रहा है जिसका मुख्य कारण डालमिया नगर इंडस्ट्रीज था, कई लोग इसे रोहतास इंडस्ट्रीज के नाम से भी जानते थे।
एक समय पूरे एशिया में मशहूर थी डालमियानगर इंडस्ट्रीज।
यह इंडस्ट्री कितना विशाल थी कि इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि उस समय संयुक्त बिहार झारखंड में डालमिया नगर इंडस्ट्रीज भारत देश ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया था। डेहरी शहर का इतिहास काफी पुराना और ऐतिहासिक रहा है।
चीनी, डालडा, पेपर, सीमेंट, एस्बेस्टस एवं रसायन समेत करीबन एक दर्जन से अधिक फैक्ट्री का संचालन डालमियानगर के परिसर में होता था। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि इस शहर और अगल बगल के क्षेत्र के लोगों के लिए यह फैक्ट्री कितना मायने रखती होगी।
डालमिया नगर औद्योगिक समूह के कारण 20वीं सदी में ही यह शहर इतना विकसित हो गया था कि उस समय हमारे शहर में वो सभी सुविधाएं मौजूद थीं जो उस समय के बड़े शहरों में हुआ करती थी।
उस दिनों डेहरी ऑन सोन से बंजारी होते हुए रोहतास के दक्षिणी क्षेत्र पिपराडीह तक लाइट रेलवे का परिचालन हुआ करता था। जिससे फैक्ट्री में प्रयोग होने वाले कच्चे माल को पहाड़ी क्षेत्रों से डेहरी तक लाया जाता था। इसके साथ आमलोगों के लिए यात्री ट्रेनों की सुविधा भी मौजूद थी जिससे लोग डेहरी से रोहतास तक का सफर आसानी से कर पाते थे।
रेल, रोड कनेक्टिविटी की वजह से औद्योगिक क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। यह जगह औद्योगिक क्षेत्र के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कनेक्टिविटी के मामलें में डेहरी ऑन सोन बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है यह शहर हावड़ा-नई दिल्ली ग्रैंड कॉर्ड रेल लाइन, वर्तमान में मालगाड़ियों के लिए बन रहे लुधियाना-डानकुनी (पश्चिम बंगाल) ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के साथ साथ कोलकाता-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग से भी सीधा जुड़ा हुआ है। इसके साथ यह बिहार के अन्य इलाकों से सड़क और रेल के माध्यम से जुड़ा हुआ है। अब तो अतीत के पन्नों में सिमट गया है डालमियानगर।
शहर की सबसे खास बात यह है कि सोन नदी के किनारे बसे होने के बावजूद यह शहर बरसात के समय भी नहीं डूबता है जब सोन नदी पूरे उफान पर होती है। जबकि ऐसी स्तिथि में पटना शहर डूब जाता है लेकिन शहर पर कोई भी आंच नहीं आती है।
यह बनारस और गया के बीच महत्वपूर्ण शहर है। इस शहर की कनेक्टिविटी इतनी शानदार है कि आप यहां से भारत देश के किसी भी कोने में बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।
डेहरी शहर के हृदय से कोलकाता-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग 19 ( पुराना नाम NH-2) गुजरता है, जिसे लोग जीटी रोड के नाम से भी जानते हैं। यह भारत देश का सबसे पहला राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग है।
इसके अतिरिक्त इस शहर से ही NH 119 भी शुरू होता है जिसे डेहरी-रोहतास राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम से जाना जाता है। यह सड़क डेहरी शहर को डेहरी अनुमंडल के पर्वतीय एवम दुर्गम इलाके को सीधे तौर पर जोड़ती है।
अगर बात करें रेलमार्ग कि तो इसमें भी यह बेहतरीन है क्योंकि डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन नई दिल्ली-हावड़ा ग्रैंड कॉर्ड लाइन का प्रमुख स्टेशन है, जो गया जं–पंडित दीन दयाल उपाध्याय जं (मुगलसराय) के बीच में मौजूद है।
डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन से बरकाकाना (झारखंड) के लिए रेल मार्ग भी है जो बीडी सेक्शन के नाम से जाना जाता है।
डेहरी ऑन सोन में ही वर्ष 1900 में अंग्रेजों द्वारा भारत के सबसे लंबे रेल ब्रिज (3.063 km) का निर्माण कराया गया था, वर्तमान में यह ब्रिज भारत की पांचवा सबसे लंबा रेल ब्रिज है।
रोहतास जिले में पर्यटन का यह केंद्र भी है। अगर हम डेहरी अनुमंडल की बात करें तो यहाँ पर्यटकों के घूमने के लिए कई बेहतरीन जगह मौजूद हैं जहाँ आप पूरे परिवार समेत आनंद उठा सकते हैं। यहाँ आपको प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक स्थल का कुछ अलग ही ऐहसास मिलेगा।
सोन नदी पर बना विश्व का चौथा सबसे लम्बा बराज भी इंद्रपुरी इलाके में स्थित है।
डेहरी में एनीकट रोड शहर की जन्नत है। यहाँ आप सोन किनारे प्रकृति का सुन्दर नजारा, दार्शनिक स्थल व सुकून भरे पल का आनंद उठा सकते हैं। यहाँ पर आपको कुछ ऐतहासिक स्थल भी देखने को मिलेंगे। सोन नदी पर पहला बाँध भी यहीं बनाया गया था।
इसके अतिरिक्त यहाँ आप प्राचीन मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं, जिसमें प्रमुख रूप से झारखंडी मंदिर और नवलखा मंदिर है।
वर्ष 1871 में अंग्रेज़ों द्वारा बनाई गई प्रचीन धूप घड़ी भी यहीं पर मौजूद है। इस धूप घड़ी के महत्व का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि ब्रिटिश शासन काल में ब्रिटेन से तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोग यहाँ आते थे।
डेहरी अनुमंडल के तिलौथू प्रखंड में आपको तुतला भवानी जलप्रपात एवं माँ तुतला भवानी मंदिर भी है। माता के दर्शन एवं वाटरफॉल का आनंद लेने के लिए काफी दूर-दूर से लोग यहाँ आते हैं। अब इसे इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
कैमूर पहाड़ियों से घिरा हुआ तुतला भवानी जलप्रपात का शानदार व मनोरम दृश्य किसी के भी मन मोहने के लिए काफी है। मानसून के समय इस जलप्रपात का रूप काफी विकराल होता है।
इसके अतिरिक्त डेहरी से करीबन 30 किलोमीटर दूर अमझोर में कशिश जलप्रपात भी है। इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 800 फ़ीट है। यह बिहार के सबसे खूबसूरत जलप्रपात में से एक है।
भारत देश के सबसे प्राचीन किला में से एक रोहतासगढ़ किला भी है। यह प्राचीन धरोहर डेहरी अनुमंडल के रोहतास प्रखंड में लगभग 1500 मीटर की ऊँची पहाड़ियों पर स्थित है।
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक़ इस किले का निर्माण राजा हरिश्चन्द्र ने करवाया था। उन्होंने इस किले का नाम अपने पुत्र रोहिताश्व के नाम पर रोहतास किला रखा था। इसी कारण से इस जिले का नाम भी रोहतास है।
(काशी के कलमकार अनूप कर्णवाल की कलम से)
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/