पहलगाम से करीब 50 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान शेषनाग और गणेश टॉप के बीच एक ऐसे बाबा जी खड़ी चड़ाई करते दिखे जो दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। भगवान भोले बाबा, गुरुजनों, यात्रा के साथियों और अपने पारिवारिक बड़े बुज़ुर्गों की प्रेरणा से मुझसे बाबा का यह हाल देख रहा न गया। बाबा को आगे की कठिन यात्रा के लिए तुरंत एक घोड़ा कर उसपर बैठाया तो मुझे बहुत सुकून मिला, यात्रा का सारा थकान दूर हो गया। बाबा ने दोनों हाथ उठाकर खूब आशीर्वाद दिया और आगे बढ़ गए, लेकिन करीब 6-7 किलोमीटर चलने पर मुझे घोड़ा वाला अकेले ही मिला, अब मैं अचंभित था। मैंने उससे पूछा बाबा जी कहां गए उसने बताया बाबा जी यह कहकर घोड़े से उतर गए कि अगर ज़्यादा देर मैं घोड़े पर बैठा तो तबियत ख़राब हो जाएगी और पैदल ही आगे बढ़ गए। मैंने वहीं से उन्हें पुनः प्रणाम किया। मुझे पैदल यात्रा करने में ऐसे पुण्यात्माओं से भरपूर ऊर्जा मिली, युवा पीढ़ी को बाबा से सीख लेकर अपने सनातन धर्म की रक्षा के लिए धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़चढ कर हिस्सा लेना चाहिए। बारिश के बीच पहलगाम से पैदल यात्रा कर बाबा के दिव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सुखद अनुभूति
(लखनऊ के कलमकार शोभित मिश्र की कलम से)
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