कल रात मेरी गाड़ी की चाबी गायब हो गई थी। हुआ ये था कि एक मित्र के बुलावे पर इंदिरापुरम गया था। अपनी गाड़ी एक जगह खड़ी कर दी और मित्र की गाड़ी से आगे चला गया। जब रात में हम लौटे, मैं अपनी गाड़ी तक पहुंचा तो पता चला कि चाबी गायब हो गई। खूब तलाश हुई, चाबी नहीं मिली। कार की दूसरी चाबी घर पर थी। मैंने पत्नी को फोन किया कि दूसरी वाली चाबी कहां है, ढूंढो। मिल जाए तो बताना। श्रीमतीजी ने पूरा घर छान मारा, चाबी नहीं मिली। तीन घंटे की तलाश हुई, चाबी मिली ही नहीं। खैर देर रात गाड़ी वहीं छोड़कर घर आ गए। आज दिन भर तलाश चली, चाबी नहीं मिली। दूसरी चाबी कहीं कभी किसी के घर तो नहीं छूट गई, ये पता करने के लिए दोपहर बाद कुछ प्रियजनों को फोन किया। फोन ज्योतिषाचार्य छोटे भाई संतोष उपाध्याय Santosh Upadhyay को भी किया। संतोष ने बताया कि चाबी उनके यहां तो नहीं छूटी है, साथ ही उन्होंने एक नुस्खा बताया, बोले-'भइया नीचे लॉन में दूब होगी। दूब के दो हिस्सों को मिलाकर गांठ बांध दीजिए और कहिए- दुबवा, दुबवा हमार चभिया मिलि जाय। भइया बहुत ही कारगर टोटका है। ये करने के बाद फिर से आप तलाश कीजिए, मिल जाएगा। जब मिल जाए तो गांठ जरूर खोल दीजिएगा।'
दूब के दो हिस्सों को मिलाकर गांठ बांध कर कहा- दुबवा, दुबवा हमार चभिया मिलि जाय और मिल गई कार की चाभी
जुलाई 25, 2023
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आचार्य संतोष ने इस टोटके को लेकर तर्क दिया कि दूब का राहु से संबंध है और राहु की वजह से चीजें गायब होती हैं, दूर्वा बंधन में राहु छटपटाता है तो खोई हुई चीज मिल जाती है।
मेरा तो ऐसी बातों पर कतई भरोसा नहीं है, लेकिन श्रीमतीजी ने कहा कि एक बार कर लीजिए, क्या बिगड़ जाएगा। बेमन से गया नीचे। बारिश की वजह से लॉन में दूब के पौधे बड़े हो गए हैं। दो पौधों को मिलाकर गांठ बांधी, बोला-दुबिया दुबिया हमार चभिया मिल जाए। फिर हिंदी में भी बोला- हे दूब हमारी चाबी मिल जाय। दरअसल चाबी मिलनी दो वजहों से जरूरी थी। एक तो गाड़ी खुली अवस्था में थी, जहां थी, वहां असुरक्षित थी। दूसरा ये कि इस तरह की दूसरी चाबी बनवाने का खर्च 10 हजार रुपये के आसपास का था।
लॉन में दूब के दो पौधों का गठबंधन करके अपने टॉवर में आया, गार्ड से कहा कि जरा अपने दराज में तलाश करो, कहीं कोई चाबी तो नहीं है। दरअसल कई बार ऐसा होता है कि मैं नीचे से गाड़ी से जरूरी सामान लेकर किसी दूसरी गाड़ी से चला जाता हूं, चाबी गार्ड को दे देता हूं, घर का कोई सदस्य फिर चाबी ले जाता है। खैर, गार्ड ने खोजा, चाबी नहीं मिली। श्रीमती ने कल रात में भी गार्ड से पूछा था, उसकी दराज खंगलवाई थी। मैं ऊपर आ गया, अपनी किताबों की आलमारी में चाबी तलाश करने लगा। पूरी आलमारी छान मारी, चाबी नहीं मिली। खीझकर मैं कमरे में आ गया। श्रीमतीजी से कहा कि अब नहीं खोजूंगा। कल नई चाबी बनवा लूंगा। अपने प्रिय कार किंग नीरज Neeraj Mishra (वर्तमान में टाटा के चार शोरूम के जीएम) को फोन करके हाल बताया। नीरज ने कहा-सर कल गाड़ी क्रेन से उठवा लेंगे, चाबी बनवाकर भिजवा देंगे।
अभी इस बात को दस मिनट भी नहीं बीते होंगे कि डोरबेल बजी। मुस्कुराता हुआ गार्ड खड़ा था। चाबी उसके हाथ में थी। कहा कि सर एक और जगह है, जहां हम लोगों का कुछ सामान रहता है, वहां खोजा तो चाबी मिल गई। चाबी क्या मिली, खुशियों की चाबी मिल गई। गार्ड को मिठाई खिलाई, इनाम दिया। संतोष को फोन लगाकर फीडबैक दिया। ये भी कहा कि आपने बताया था कि 'दुबवा-दुबवा हमार चभिया मिल जाए, बोलना है', लेकिन मैंनो तो 'दुबिया दुबिया' बोल दिया था। संतोष ने ठहाका लगाया, बोले भइया बस भाव ही प्रगट होना चाहिए, संबोधन कुछ भी हो। उन्होंने फिर बताया कि ये खोए हुए सामान को ढूंढने का अचूक नुस्खा है। खैर ये नुस्खे का असर था या फिर संयोग। भगवान जाने।
हर घर में सामान गायब होने और मिलने का सिलसिला चलता ही रहता है। दूर्वा बंधन तो मेरे लिए नया था, लेकिन हम लोगों के यहां कुछ सामान गायब होने पर 'भुलैना बाबा' बांधे जाते हैं। अब ऐसे देवता का नाम तो कहीं पढ़ा नहीं है, लेकिन भुलैना बाबा हमारे पूर्वांचल में प्रचलन में हैं। कुछ भी गायब हुआ तो भुलैना बाबा को बांध दिया जाता है। होता कुछ नहीं है। साड़ी, गमछा या फिर दुपट्टे में एक सिरे में गांठ लगा दी जाती है। माना जाता है अब भुलैना बाबा बंध गए हैं, अब इन्हें तभी खोला जाएगा, जब सामान मिल जाएगा। ये नुस्खा भी बहुत प्रचलित है और इसे बहुत कारगर बताया जाता है।
हमारे घर में हमारी श्रीमतीजी Shasya Mishra कोई भी चीज कहीं रखकर भूल जाने में अव्वल हैं। हाल ही में श्रीमती जी के एक बटुए से एक हजार का एक नोट और पांच सौ रुपये के पुराने दो नोट निकले हैं। गायब सामान खोजने की महारथी भानजी रुचि शुक्ला हैं। जब भी कोई चीज गायब हुई तब भुलैना बाबा बांधे जाते हैं और जब चीज मिल जाती है तो गांठ खोलकर भुलैना बाबा को रिहा कर दिया जाता है।
हमारे घर, नाते रिश्तेदारी की महिलाओं को पूर्ण यकीन है भुलैना बाबा पर। एक बार बंधे नहीं कि खोया सामान मिलने की गारंटी। यहां तक कि अगर पुत्र समन्वय Samanway का भी कोई सामान गायब होता है तो अपनी मां से कहते हैं कि मम्मी भगवान से प्रेयर कर लो और भुलैना बाबा को बांध दो, ताकि खोई हुई चीज मिल जाए। अब इसे आस्था कहें, अंधविश्वास कहें, जो भी कहें। ये नुस्खे आजमाने वाले तो इसे रामबाण ही मानते हैं। खोई हुई चाबी पाने के लिए भी भुलैना बाबा रविवार की रात ही बांध दिए गए थे, लेकिन इस बार चाबी मिलने का श्रेय तो दूब ले गई।
अगर आप भी किसी बात के लिए ऐसा कोई प्रचलित नुस्खा या टोटका जानते हों या ऐसे टोटकों के बारे में सुना हो तो शेयर कर सकते हैं। (चित्र में आचार्य संतोष संतोषी, गायब हुई चाबी, दूब और बांधे हुए भुलैना बाबा हैं)
@ टीवी न्यूज चैनल न्यूज नेशन के वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्र की कलम से
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