रोचेस्टर की डायरी : 12
थैंक्स गिविंग डिनर उत्सव
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अमेरिका आने से पूर्व मैं थैंक्स गिविंग डिनर उत्सव से पूूरी तरह से अनजान था । जबकि यह यहां का महत्वपूर्ण पारंपरिक त्योहार माना जाता है। दरअसल हमें इसका पता तब चला, जब रोचेस्टर में रहने वाले एक भारतीय परिवार ने इस अवसर पर रात्रि भोज के लिए आमंत्रित किया। यह भोज किस तरह का था , उसमें खाने की क्या चीजें थी , इस पर चर्चा थोड़ी देर के लिए विराम देते हैं।
पहले यह जानना रोचक होगा कि यह थैंक्स गिविंग डिनर होता क्या है? तेज इंटरनेट के युग में इस विषय पर प्रचुर सामग्री उपलब्ध होने के बावजूद मैंने सिर्फ उन जानकारियों पर भरोसा किया , जो परस्पर विरोधाभासी नहीं थीं। जिनका विवरण तर्कसंगत प्रतीत हो रहा था। इसके बाद थैंक्स गिविंग डिनर दिवस की जो तस्वीर उभर कर सामने आई, वह आगे की पंक्तियों में प्रस्तुत है ।
यहां दो बातें मुझे समझ में आती हैं। एक, हम जिनके प्रति कृतज्ञ हैं उनको धन्यवाद देना चाहिए । धार्मिक परंपरा से देखें तो सबसे पहले हमें परमात्मा का धन्यवाद देना चाहिए। उससे प्रार्थना करनी चाहिए हमें एक अच्छा जीवन व्यतीत करने का अवसर देने के लिए । इस क्रम में लोग चर्च भी जाते हैं ।
दूसरा तथ्य जो सामने आता है , वह यह कि फसलों के तैयार होने के बाद इस पर्व को मनाने की परंपरा रही है। इस प्रकार अच्छी फसल तैयार होने पर भी ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए । क्योंकि ईश्वर की कृपा से ही हमें भोजन मिलता रहा है। आने वाले समय के लिए भी ईश्वर से खुशहाली की दुआ मांगी जाती है। धार्मिक दृष्टि से विचार करने पर मुझे यह सब जवाब संतोषजनक ही लगे।
इस पर्व के बारे में यह भी बताया जाता है कि जब सर्दियों से पहले ब्रिटेन के लोग अमेरिका में बसने के लिए आए थे। तब यहां के लोगों ने उनकी बड़ी सहायता की थी। उन लोगों ने यहां के मौसम के अनुरूप खेती आदि करना सिखाया था । इस प्रकार जब पहली बार फसल तैयार हुई तो ब्रिटेन वासियों ने स्थानीय लोगों के लिए भोज का आयोजन किया और उनको मदद देने के लिए धन्यवाद दिया।
पुराना है थैंक्स गिविंग का इतिहास
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वैसे थैंक्स गिविंग डिनर का इतिहास काफी पुराना है। अमेरिकी परंपरा में पहला थैंक्स गिविंग डिनर 1621 में दिया गया था। यह अच्छी फसल के धन्यवाद के रूप में था। तब तीन दिनों तक दावत चली थी । पहले यह धार्मिक अनुष्ठान के रूप में प्रचलित था । बाद में धीरे-धीरे परंपरा बन गई ।
इस दिन लोग परिवार, संबंधियों और मित्रों के साथ रात्रिभोज का आयोजन कर साथ-साथ खाना खाते हैं । स्वादिष्ट खाने के बाद एक दूसरे को धन्यवाद दिया जाता है। अच्छी सेहत की कामना की जाती है। इसी तरह एक दूसरे को उपहार देने की भी रवायत है ।
अमेेरिका में थैंक्स गिविंग डे को सर्दियों के मौसम की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है । क्योंकि क्रिसमस और नया साल के उत्सव आगे आते हैं । अमेरिका में यह त्यौहार हर साल नवंबर के चौथे गुरुवार को मनाया जाता है । इस बार यह 24 नवंबर को था। इस भोज के लिए एक खास मैैन्यू भी होता है ।
भोजन में टर्की पक्षी है खास
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जिसमें अन्य व्यंजनों के साथ भुना हुआ टर्की पक्षी को खाने की मेज पर परोसा जाता है। पता नहीं यह परंपरा कहां से शुरू हो गई और अमेरिकियों को यह पक्षी खूब भाने लगा।
हो सकता है यह पक्षी अमेरिका में प्रचुर मात्रा में पाया जाता हो। अथवा किसी धार्मिक विश्वास से जुड़ा होने के कारण ही इसे लोगों का भोज्य पदार्थ बनना पड़ता हो। इसकी महत्ता के कारण ही कभी-कभी इस दिन को टर्की दिवस भी कहा जाता है ।
एक सूचना के अनुसार वर्ष 2015 में धन्यवाद भोज के दौरान 45 मिलियन टर्की पक्षी भोजन के रूप में इस्तेमाल हो गए थे। यह भी माना जाता है कि इस दिन अमेरिकन कुछ ज्यादा खाना खाते भी हैं। नई फसलों से तैयार व्यंजन भी इस भोज में शामिल किए जाते हैं।
अमेरिका में थैंक्सगिविंग डिनर का पर्व इतना महत्वपूर्ण माना जाता है कि इस दिन कार्यालयों में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। कर्मचारी छुट्टी मनाते हैं , लेकिन उनको उस दिन का वेतन दिया जाता है ।
अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 1863 में थैंक्स गिविंग को राष्ट्रीय दिवस घोषित कर दिया था, ताकि स्वर्ग में रहने वाले हमारे परोपकारी पिता की स्तुति करके उसे धन्यवाद दिया जा सके ।
यही नहीं व्हाइट हाउस में भी इस अवसर पर आयोजन किया जाता है। यहां पर लोगों द्वारा राष्ट्रपति को टर्की पक्षी को उपहार में देने की परंपरा भी रही है। कहा जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी पहले राष्ट्रपति थे, जिन्होंने उपहार में प्राप्त टर्की पक्षियों को छोड़ने की घोषणा की थी।
थैंक्स गिविंग समारोह की देशव्यापी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि धीर-धीरे विभिन्न खेल भी इस उत्सव के अंतर्गत समाहित हो गए । फुटबॉल के प्रति अमेरिका में वैसे भी काफी दीवानगी दिखाई पड़ती है । कहा जाता है कि पहला थैंक्स गिविंग खेेल येल और प्रिस्टन के बीच 1876 में खेला गया था।
थैंक्स गिविंग सेरेमनी के बाद क्रिसमस को देखते हुए बाजार में भारी छूट का दौर शुरू हो जाता है । बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल में 60 - 70 प्रतिशत तक की छूट के बोर्ड लगे दिखाई पड़ते हैं । ठीक वैसे ही जैसे भारतीय बाजारों में त्योहारों के अवसर पर देखने को मिलता है । थैंक्स गिविंग के अगले दिन ब्लैक फ्राईडे मनाया जाता है । यह दिन मूल अमेरिकियों द्वारा अपने देश में किए योगदान को याद करने के लिए श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है। वैसे अमेरिका के अलावा यह त्यौहार कनाडा , ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
थैंक्स गिविंग का इतिहास लंबा होता जा रहा है , इसलिए अब इसे यही समेेटते हुए सीधे धन्यवाद भोज की मेज तक पहुंचते हैं। हम जिनके मेहमान थे, वे डॉ. गौरव सिंह और नंदिनी हैं। व्यवसाय से डॉक्टर गौरव मूलत: पंजाब से जुड़ाव रखते हैं जबकि नंदिनी गुजराती हैं।
यह दंपति रोचेस्टर में कई वर्षों से रह रहा है । वैसे अमेरिका में रहते हुए उन्हे दो दशक से ज्यादा हो गया है । यह उनके हिंदी उच्चारण से और भी समझ में आ जाता है ।
इस परिवार का मेरे दामाद देवेश जी और ऋतंभरा बिटिया से बड़ा ही आत्मीय बंधन है । लिहाजा उन्होंने उन दोनों के अलावा अंकल- आंटी यानी हम पति-पत्नी को भी आमंत्रित किया था ।
विदेशी व्यंजन वह भी शाकाहारी
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खाने में शाकाहारी व्यंजन ही होंगे , यह उन्होंने पहले ही आश्वस्त कर दिया था। लेकिन खाने की मेज पर पता चला कि शाकाहारी व्यंजन तो हैं लेकिन वह भारतीय नहीं हैं।
विदेशी व्यंजन वह भी शाकाहारी, सचमुच कौतूहल पैदा करने वाला था। मैंने मेजबान से भोजन से पहले उनके नाम भी पूछे ।
जिसे उन्होंने बड़े उत्साह से बताया । नाम भी कितने अजीब थे, उनको पहली बार सुनने का अवसर मिल रहा था। मिसाल के तौर पर कुछ नाम उल्लेखनीय हैं- नाचोज (Nachos) , एंचीलाडा (Enchilada,), क्वासाडीला ( Quessadilla) , गुवाकामोल ( Guacamole) , क्रैनबेरी सॉस ( Cranberry sauce), कोल्ड सलाद ( Cold salad)आदि ।
आदि शब्द का इस्तेमाल इसलिए कर रहा हूं क्योंकि कुछ का नाम तो मैं भूल ही गया । भोजन के साथ-साथ मेरी जानकारी भी बढ़ी कि इन्हें मैक्सिकन फूड कहा जाता है ।
इन्हें कैसे तैयार किया जाता है यह तो गूगल पर सर्च करना पड़ेगा । परंतु खाना अविस्मरणीय बन गया , क्योंकि विदेशी व्यंजन मेरे लिए पहला अवसर था । खास बात यह थी कि यह सब कुछ घर में ही बनाया गया था । इस भोज में डॉक्टर गौरव के भाई तथा साढू का परिवार भी शामिल था।
उन सब से बातें करके अच्छा लगा। न्यूयॉर्क में भारतीयों की गतिविधियों पर भी खूूब चर्चा हुई । डॉक्टर गौरव के साढू न्यूयॉर्क में रहते हैं । उन्होंने न्यूयॉर्क आने का न्योता भी दिया। बातों बातों में ही रात के 10:00 बज चुके थे। वैसे भी रोचेस्टर शहर जल्दी सोने और जल्दी उठने में विश्वास करता है । 7:00 बजे रात में ही काफी सियापा हो जाता है ।
सिर्फ हाईवे पर वाहनों का आवागमन जारी रहता है। कुल मिलाकर मैक्सिकन फूड भी लाजवाब रहा, जो डॉ. गौरव के साथ साथ-साथ थैंक्स गिविंग डिनर की याद दिलाता रहेगा।
(काशी के कलमकार आशुतोष पाण्डेय की कलम से)
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