दक्षिण की द्वारका:: जहां भक्त हाथी दान करते हैं
इस मंदिर में हाथी अभ्यारण ही बन गया है।
इस मंदिर में आपको दर्शन के लिए यहां का निर्धारित खास ड्रेस कोड पहनना पड़ेगा। नहीं तो आप इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। यह खास मंदिर है केरल के त्रिशूर जिले में स्थित गुरुवायुर मंदिर, यहां भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप भगवान गुरुवायुरप्पन की पूजा होती है।
मंदिर 5000 साल पुराना है और 1638 में इसके कुछ हिस्से का पुनर्निमाण किया गया था। भगवान श्रीकृष्ण बाल रुप में इस मंदिर में विराजमान हैं।इस मंदिर में हिंदुओं के अलावा दूसरे धर्मों के लोग प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
माना जाता है कि इस युग के प्रारम्भ में बृहस्पति को भगवान कृष्ण की मूर्ति तैरती थी। जिसके उन्होंने और वायु देवता ने इस युग के मानवों की सहायता के लिए इस मंदिर में स्थापित की। यह भी कहा जाता है कि गुरुवायुर में जो मूर्ति है, उसे द्वापर युग में भगवान कृष्ण द्वारा प्रयोग की गई थी।
मंदिर के पास एक गज अभयारणय है, जिसे पुन्नाथुर कोट्टा कहते है। इस अभयारण्य में करीब 60 हाथी है। खास बात यह है यहां के सभी हाथी भक्तों द्वारा दान किया गए हैं। इन हाथियों को मंदिर के कामों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। इनमें से एक अग्रवी हाथी का नाम गुरुवायुर केसवन है, जिसे मंदिर के पौराणिक साहित्य में स्थान दिया गया है।
यह मंदिर केरल में हिन्दु विवाहों का अहम स्थान भी है। यहां पर अत्यधिक संख्या में विवाह होते है। कभी कभी तो इस मंदिर में एक दिन में 100 से भी ज्यादा विवाह हो जाते है। इसके पीछे भक्तों को मानना है कि भगवान के सामने वैवाहिक जीवन शुरू करना बहुत शुभ होता है।
जय श्रीकृष्णा
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