रोचेस्टर की डायरी 8
ओंटारियो झील पार्क 2
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ओंटारियो झील के बारे में मैंने पिछले दिनों लिखा था। इस बार इसी झील के एक अन्य स्थान जिसे ओंंटारियो बीच पार्क कहा जाता है, वहां शाम का नजारा देखने पहुंच गया । यहां पर उद्यान तो है ही, बंदरगाह भी है। जिसे मरीना पोर्ट रोचेस्टर के नाम से पहचाना जाता है ।
यहां की सबसे बड़ी खूबसूरती यह लगी कि झील पर पुल बना हुआ है, जो तकरीबन 1 किमी या अधिक लंबा भी हो सकता है । पुल जहां पर समाप्त होता है , वहां एक टावर है जो पानी में दूर से लाइट हाउस की तरह प्रतीत होता है ।
इस स्थान से पानी की लहरों का कोलाहल ही सुनाई पड़ता है। पुल से ही सूर्यास्त होते देखना और बादलों की ओट से धीरे- धीरे झांंकते चंदा मामा की रोशनी का दीदार करना सचमुच प्रफुल्लित करने वाला दृश्य था। तीनों तरफ झील का लहराता पानी और पीछे की तरफ रोचेस्टर शहर की झिलमिलाती रोशनी का पानी में प्रतिबिंबित होना बड़ा ही मनभावन था।
कई बार शब्दों से अधिक प्रभावी चित्र होते हैं, यही मानकर इस पल को यादगार बनाने के लिए मैंने कई वीडियो बनाए । तस्वीरें खींचीं। यद्यपि जैसे-जैसे रात अपना असर दिखाने लगी, पुल पर आवाजाही कम होने लगी। सन्नाटा पसरने लगा तब मुझे भी लौटना समीचीन लगा।
@ काशी के कलमकार आशुतोष पाण्डेय की कलम से
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