कश्मीर से लद्दाख का संपर्क 12 महीने न होने का दर्द बचपन में अखबारों में पढ़ा था। जम्मू-कश्मीर में अमर उजाला के लिए काम करने के दौरान जब वहां पहुंचा तो नजदीक से देखने के साथ महसूस किया। छह महीने तक संपर्क न होने के कारण लोगों को कितना संकट झेलना पड़ता है, यह देश-दुनिया से छिपा नहीं है। इस दर्द को कश्मीर के साथ लद्दाख के मित्र बातचीत में अक्सर चर्चा करते रहते थे। अब प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ हमारे देश का इंफ्रास्ट्रक्चर भी कमाल का है! दुनिया के सबसे लंबे रेलवे प्लेटफॉर्म से लेकर सबसे ऊंचे स्टैच्यू तक, कई तरह की अद्भुत चीज़ें आपको भारत में देखने को मिलेंगी, जिनपर हर भारतीय गर्व कर सकता है। आज बात दनिया के सबसे ऊंचे व एशिया के सबसे बड़े टनल की करने जा रहा हूं। कुछ देर पहले कश्मीर के मित्र दीपक ने फोन करके बतया कि जोजिला टनल का काम तेजी से चल रहा है। इस साल के अंत तक पूरा हो सकता हैै। जम्मू-कश्मीर से लद्दाख के बीच बन रही जोजिला टनल दुनिया के सबसे ऊंचाई पर बन रही सबसे लंबी टनल होगी।
कश्मीर से लद्दाख का संपर्क 12 महीने बनाए रखने के लिए जोजिला टनल इस साल के अंत तक हो जाएगी पूरी,दुुनिया की सबसे ऊंची व एशिया की सबसे बड़ी होगी यह टनल
जुलाई 20, 2023
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तय समय में सुरंग का निर्माण पूरा करने के लिए बर्फीले तूफान और माइनस 40 डिग्री तापमान के बीच भी काम जारी रखा गया है। सुरंग में पानी का रिसाव हाेता रहता है और बर्फ की परत 8 माह जमी रहती है। इन हालात में भी काम जारी रहा है।
1.40 लाख करोड़ रुपए से 31 टनल बन रही
कश्मीर में जोजिला टनल के साथ कुल 31 सुरंग बन रही हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय इन पर 1.40 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। कश्मीर में 32 किमी की 20 टनल और लद्दाख में 20 किमी लंबाई की 11 टनल हैं। सभी का अधिकांश निर्माण अगले दो साल में खत्म होना है।
इसके बनने के बाद कश्मीर से लद्दाख का संपर्क 12 महीने बना रहेगा, जो भारी बर्फबारी के बीच 6 महीने तक बंद रहता है। साथ ही अति संवेदनशील और खतरनाक जोजिला दर्रे को पार करने में लगने वाला साढ़े 3 घंटे का सफर सिर्फ 15 मिनट में ही पूरा हो सकेगा।
11 हजार 578 फीट की ऊंचाई पर श्रीनगर-लेह नेशनल हाइवे-1 पर बन रही जोजिला टनल में हर तरह की सुविधा का भी ध्यान रखा गया है। अगर बीच में किसी यात्री को किसी भी वजह से गाड़ी रोकनी हो, तो सुरंग के भीतर सड़क के दोनों तरफ, हर 750 मीटर पर इमर्जेंसी ले-बाई होंगे। इसके अलावा टनल के अंदर हर 125 मीटर की दूरी पर इमर्जेंसी कॉल करने की सुविधा होगी। अगर कभी आग लगने जैसा खतरा हो तो, पूरी सुरंग में ऑटोमेटिक फायर डिटेक्शन सिस्टम लगाया जाएगा और मैनुअल फायर अलार्म का बटन भी होगा।
करीब 14.15 किलोमीटर लंबी यह सुरंग केवल आम जनता और पर्यटकों लिए ही नहीं, बल्कि भारतीय सेना के लिए भी बेहद अहम है। सेना के लिए यह सड़क सियाचिन तक जाती है, इससे श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह के इलाके जुड़े रहेंगे।
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