मुझे बहुत अच्छे से सब याद है उनदिनों मैं ग्यारहवीं में पढ़ता था मेरे स्कूल में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ था उस से पहले मुझे कवि सम्मेलन के बारे में कुछ भी नहीं पता था ।हाफ़डे के बाद सातवीं से बारहवीं तक के सभी विद्यार्थिओं को स्कूल के हॉल में ही इक्कठा होने का निर्देश प्रार्थना सभा में सुबह ही दे दिया गया था ।
पाँच कवियों के साथ कवि सम्मेलन शुरू हुआ और पहले कवि जो हास्य रस के कवि थे ने छात्रों में मज़ा ही बांध दिया था ।हम सभी दोस्त आपस में बात भी कर रहे थे यार ये तो बहुत ही कमाल की चीज़ है ।बहुत मज़ा आ रहा था ।सभी कवि एक से बढ़कर एक दो घंटे कैसे बीते कुछ पता ही नहीं चला ।
लास्ट कवि बचे हुए थे उनके काव्यपाठ से पहले मैं हॉल से उठा पानी पीने चला गया साथ ही दो चार दोस्त भी उठ लिए । हम गप्पें लड़ाते हुए बहुत देर तक बाहर ही रहे कि तभी एक जादुई मखमली आवाज़ ने जैसे एक पल में ही मुझे सम्मोहित कर लिया हो । मैं उस आवाज़ के वशीभूत हॉल में खिचा चला गया ।माइक पर आदरणीय राजगोपाल सिंह खड़े थे और मैं मूर्तिवत एक टक उनको देखता उनके आवाज़ में खोया ही चला जा रहा था ।एक एक कविता औरों के साथ क्या कर रही थी यह सब तो पता नहीं लेकिन मुझे किसी तिलिस्म में ज़रूर बाँध रही थी ।उनकी आवाज़ का नशा आज तक मुझ से उतरा नहीं है ।मैं जीवन में जब भी कुछ अच्छा पाता हूँ तो मुझे वह दिन और वह शख़्सियत ज़रूर याद आतें हैं ।
कवि सम्मेलन ख़त्म होते ही मैं उनके पास पहुँच गया पैर छुए उनका पता और फ़ोन नम्बर लिया और उनके आशीर्वाद से आज जीवन का हर पहलू मुस्कुरा रहा है महक रहा है ।
अब गुरुजी भले ही पंचतत्व में विलीन हो गये है लेकिन मेरे भीतर दिन प्रतिदिन और अधिक सुगंध बिखराते रहे हैं ।
आज स्वर्गीय गुरुजी राजगोपाल सिंह जी का जन्मोत्सव है ।हर बार की तरह आज पूरे दिन गुरुजी के गीत ग़ज़ल और दोहे दिलों दिमाग़ पर छाये रहेंगे ।
उनकी एक ग़लज़ के कुछ शेर हैं -
चढ़ते सूरज को लोग जल देंगे
जब ढलेगा तो मुड़ के चल देंगे
मत उगा मोह के ये पेड़ तुझे
छाव देंगे ना मीठे फल देंगे
तुम हमें नित नई व्यथा देना
हम तुम्हें रोज़ एक ग़ज़ल देंगे
….
शत शत नमन -
(पसिद्ध कवि शम्भू शिखर का अपने गुरु राजगोपाल सिंह के प्रति भावांजलि )
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