भारतीय रेलवे में आम आदमी के लिए जगह घटती जा रही है। कोरोना के पहले चलने वाली साधारण ट्रेन जहां अभी तक बंद ही चल रही है वहीं मेल व एक्सप्रेस में साधारण डिब्बे घटते जा रहे हैं। काशी से कश्मीर,दिल्ली से दार्जिलिंग तक एक दशक पहले साधारण डिब्बे में ट्रेन करने के अनुभव है। साधारण डिब्बे में सफर करने वाले तमाम मेहनतकश कौम से मित्रता है। सालों न मिलने के बाद संपर्क बना है। ऐसे ही एक मित्र ने भारतीय रेलवे में साधारण डिब्बों की घटती संख्या के साथ स्लीपर में आम यात्रियों की बढ़ती भीड़ की तरफ से ध्यान दिलाते हुए पीड़ा पहुंचाने के लिए मेल भेजा है। देश में आज भले ही वंदेभारत एक्सप्रेस पटरियों पर दौड़ने के साथ बुलेट ट्रेन चलाने के लिए पटरी बन रही है लेकिन आम आदमियों के लिए भारतीय रेल अब सांसत की रेल बनती जा रही है। ट्रेन के जनरल एवं स्लीपर डिब्बे में यात्रियों की जबरदस्त भीड़ और रेलवे द्वारा यात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं के दावों की पोल खुल रही है। उमस और 44 डिग्री तापमान के बीच ट्रेनों के जनरल एवं स्लीपर डिब्बों में लोग भारी भीड़ में यात्रा करने को विवश हैं। कुछ ट्रेन के दरवाजे के गेट पर बैठने को विवश हैं तो वहीं, कुछ यात्रियों को कोच के गलियारे में ही जगह मिल पा रही है। आखिरी मंजिल तक पहुंचने के लिए यात्री क्या करें। 72 सीटों का डिब्बा 300 यात्रियों के यात्रा का आसरा बना हुआ है। एक ट्रेन से पांच स्लीपर डिब्बों का हटना अर्थात 360 बर्थ घट जाना। अत: अब शेष बचे हुए कोचों में दोगुनी भीड़ होनी शुरू हुई, इसके साथ ही जनरल डिब्बे कम करने पर जनरल में होने वाली भीड़ भी स्लीपर डिब्बों में शिफ्ट कर गई। ऐसे में इस प्रकार की भीड़ और उमस भरी गर्मी को झेलते हुए जैसे - तैसे यात्री अपनी यात्रा पूरी कर रहे हैं। चुटकियों में तत्काल टिकट बुक कराने का दावा करने वाली आइआरसीटीसी की साइट भी इन दिनों यात्रियों के परेशानी का सबब बन चुकी है। फास्ट इंटरनेट और सभी सटीक उपकरणों के बावजूद भी तत्काल के समय पर साइट में बफरिंग की समस्या आ रही है। ऐसे में जहां तत्काल का हाल बेहाल है। वहीं अब यात्री या तो वेटिंग या फिर यात्रा के दौरान ही फाइन भरकर टिकट बनवाने को विवश हैं।
भीड़ बढ़ने का बड़ा कारण है 360 बर्थों का घटना
ट्रेनों में भीड़ को नियंत्रित करने का फार्मूला एवं
दावा फेल हो चुका है। एक तरफ रेलवे के द्वारा चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनें
जहां लंबी वेटिंग और लेट लतीफी का शिकार हैं, वहीं दूसरी तरफ यात्रियों को
काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेनों के जनरल और स्लीपर डिब्बों
में भीड़ बढ़ने के कई कारण हैं। सबसे पहला कारण यह है कि कई महत्वपूर्ण
ट्रेनों से उनके आधुनिक एलएचबीफिकेशन के नाम पर पांच से छह स्लीपर डिब्बों
की कटौती कर दी गई और जनरल डिब्बे भी कम कर दिए गए या हटा दिए गए हैं।
( पश्चिम बंगाल से दिल्ली आ रहे पवन शुक्ला की ई-पाती )
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