मैं धर्मांध नहीं हूं, बस कुछ परंपराओं का सम्मान करता हूं। अगर परंपराएं गंगा-यमुना को मां कहती हैं तो वे हमारी मां ही हैं और मां में कोई मलिनता देखूं, कोई विकार देखूं इतनी हैसियत नहीं है हमारी
आस्था के पथ पर

मैं धर्मांध नहीं हूं, बस कुछ परंपराओं का सम्मान करता हूं। अगर परंपराएं गंगा-यमुना को मां कहती हैं तो वे हमारी मां ही हैं और मां में कोई मलिनता देखूं, कोई विकार देखूं इतनी हैसियत नहीं है हमारी

आखिरकार हो गया महाकुंभ में संगम स्नान। महाकुंभ में जाने की भी एक कहानी बनी। 28 जनवरी को मेरे पास मुंबई के एक प्रिय मि…

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