"कैमरे के शाह" प्रदीप शाह ने किए सत्तर पार
प्रदीप शाह कुमाऊंनी। जन्मस्थल पहाड़ों का हुस्न उत्तराखंड। कर्मस्थल नज़ाकत का शहर लखनऊ।
उम्र- सत्तर साल पार लेकिन अभी भी सत्रह साल के किशोर जितनी ऊर्जा।
ख़ास बात- इसे पहाड़ी मेहनतकशी की विरासत कहिए या लखनऊ की पत्रकारिता का नशा, प्रदीप शर्मा कुमांऊंनी शायद पहले ऐसे शख्स हैं जिन्होंने पैंतिस बरस से ज्यादा समय तक एक ही अखबार (द पायनियर) में निरंतर काम किया। इससे भी अहम बात ये है कि अखबारी फोटोग्राफी का ये बूढ़ा शेर 68 साल की उम्र के बाद भी युवा चीता की तरह ग्राउंड कवरेज पर उस तरह मौजूद रहा जितने सक्रिय वो तीस साल पहले थे।
क़रीब पचास साल तक अपने शहर लखनऊ में ही बतौर फोटो जर्नलिस्ट ये चप्पे-चप्पे की कवरेज करते रहे। शुरुआत एक फोटो एजेंसी से की, फिर एक अखबार में रहे। अस्सी के दशक में द पायनियर टॉप अखबार था। उसमें जुड़े, इसके बाद सन 2000 के बाद इस अखबार में अप-डाउन होते रहे। परेशानी और मुश्किलें भी झेलीं लेकिन पायनियर का साथ ना छोड़ा। प्रदीप जी बताते हैं कि वो जितने अर्से पायनियर में रहे इस दौरान लखनऊ से करीब एक दर्जन बड़े अखबार शुरू हुए, कई अख़बारों से उनके पास नौकरी का प्रस्ताव आया लेकिन उन्होंने पायनियर का साथ नहीं छोड़ा। और करीब सत्तर साल की उम्र तक पायनियर के लिए फील्ड में एक्टिव रहे।
आधे दर्जन से ज्यादा यूपी के मुख्यमंत्रियों का शपथग्रहण समारोह कवर करने से लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन, भीषण दंगे, बीस से अधिक चुनाव, गेस्टहाऊस कांड, चर्चित हत्याकांड.. से लेकर नाली खड़नजा और रूटीन धरने तक कवर करने वाले इस बुजुर्ग छायाकार का अखबारी फोटोग्राफी में विशिष्ट स्थान रहा। राजधानी में जब छायाकारों का संगठन बना तो ये उसके अध्यक्ष चुने गए। प्रदीप के कैमरे ने यूपी की सियासत से लेकर हुकुमतों, संस्कृतियों, दंगों, त्योहारों, खूबियों, लाचारियों, खेलों और सामाजिक सरोकारों को क़ैद किया है।
कैमरे के इस शाह का आज जन्मदिन है। 70 पार कर प्रदीप शाह कुमांऊनी आज इकहत्तरवें बरस में प्रवेश कर रहे हैं।
- नवेद शिकोह की कलम से शुभकामनाओं सहित प्रेषित
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