पैसे की दौड़ में ईमानदारी तेजी गायब हो रही है। गांव-देहात में जब कहीं दिख जाती है दिल खुश हो जाता ही नहीं बल्कि दोस्तों संग शेयर करने को भी करता है। इटावा जिले से एक मित्र ने फोन करके एक ऐसी ही कहानी सुनायी तो आप संग शेयर करने को खुद को रोक नहीं पा रहा हूं। इटावा जिले के भरथना विकास खण्ड क्षेत्र के ग्रामीण अंचल की एक महिला ने ईमानदारी की जो मिशाल पेश की वह परिजनों सहित पूरे गांव क्षेत्र में ही नहीं बल्कि जिले में चर्चा का विषय बनी है।
कहानी कुछ यूं है भरथना विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम रमायन निवासी भाजपा नेता देवेन्द्र सिंह की धर्मपत्नी राम कुमारी बीतेे बुधवार को भरथना डांक घर मे संचालित अपने खाता से भैंस खरीदने हेतु कुछ रुपये निकालने पहुँची थी। उन्होंने कैश काउंटर से विड्राल फार्म भरकर 45 हजार रुपये निकाले थे। कैश काउंटर और आस-पास भीड़ भाड़ अधिक होने के कारण वे कैश काउंटर से प्राप्त नोटों की गड्डियां सुरक्षित रखकर घर पहुँच गईं। नोटों से भरे बैग को घर में रख दिया। शाम को जब राम कुमारी के पति देवेन्द्र सिंह कहीं वाहर से लौटे और भैंस वाले को रुपये देने के लिए पत्नी राम कुमारी से रुपये मांगे तो उन्होंने नोटों से भरा बैग ज्यों का त्यों अपने पति देवेन्द्र सिंह को थमा दिया। और जब पति ने बैग ने 45 हजार के स्थान पर 85 हजार रुपये देखे तो उन्होंने पत्नी को पुनः आवाज लगाकर बुलाया और कहा कि तुमसे डांकघर से मात्र 45 हजार रुपये निकालने को कहा गया था। तुमने 85 हजार रुपये क्यों निकाले है। जिसपर पत्नी ने उन्हें बताया कि मैने तो विड्राल 45 हजार का ही भरा था,रुपये भी 45 हजार ही होंगे। फिर पति-पत्नी ने अच्छी तरह नोटों की गड्डियां चैक की लेकिन उनके हिसाब से 40 हजार रुपये अधिक होने पर गुरुवार की सुबह पति-पत्नी दोनों डांक घर पहुँचे और घटना क्रम बताते हुए उन्हें लिखा पढ़ी के तहत 40 हजार रुपये बापस किये। राम कुमारी व उनके पति देवेन्द्र सिंह ने बताया कि कैश काउंटर और आस-पास अधिक भीड़ भाड़ होने के कारण उन्होंने मौके पर कांउटर से प्राप्त नोटों की गड्डियां चैक नही की और सही समझ कर वे घर पहुँच गकिं थीं। उधर डाक घर के कैश काउंटर पर देर रात्रि तक टोटल में 40 हजार रुपये कम होने के चलते हंगामा कटा रहा,पता चला कि कैश काउंटर से नोटों की एक गड्डी जायदा चली गई थी। रामकुमारी के साथ उनके पति देवेंद्र की ईमानदारी देखकर डाककर्मी जब दिल से प्रणाम किए वहीं गांव-देहात से लेकर हर डाकघर में यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
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