हमको गर्लफ्रेंड तो चाहिए पर पत्नी बिना बॉयफ्रेंड की चाहिए। यही कारण है कि हम पत्नी में सीता का आदर्श देखना चाहते हैं पर स्वयं में राम नहीं देखना चाहते हैं ।अगर हमको सीता चाहिए तो स्वयं को राम बनना पड़ेगा यही समाज की विडंबना है कि आज टूटते परिवारों की लाइन लगी हुई है। पति पत्नी के रिश्ते आपसी समझदारी पर निर्भर हैं इन रिश्तो में पद प्रतिष्ठा का कोई स्थान नहीं है अगर हम पत्नी की पीड़ा व उसके मनोभावों को नहीं पढ़ सकते तो मुझे पति कहलाने का कोई अधिकार नहीं है अगर पत्नी में कुछ कमी भी है तो हम काउंसलिंग करके दूर कर सकते हैं ना कि सोशल मीडिया पर उसकी इज्जत की धज्जियां उड़ा कर। पति पत्नी के रिश्ते आपसी विश्वास पर आधारित है कोई भी स्त्री चरित्रहीन नहीं होना चाहती है पर कभी-कभी उसकी परिस्थितियां उसके जज्बातों को ना समझना भी उसे चरित्रहीन बना देता है। शक वह दीमक है जो पति-पत्नी के रिश्ते को चाट कर खा जाती हैं और जब रिश्तो में दरार आ जाती है तो रिश्तो में विकृतियां पैदा हो जाती हैं जो चरित्रहीनता के स्वरूप को जन्म देती हैं। जन्म से कोई व्यक्ति चरित्रहीन नहीं होता है और ना ही भारत की कोई भी संस्कृति, सभ्यता और संस्कार उसको चरित्रहीन बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। पुरुष तो चरित्रहीन होता ही नहीं है। पर महिला को चरित्रहीन बनाने में अगर कोई जिम्मेदार है तो पुरुष ही है।
(उत्तर प्रदेश पुलिस में डिप्टी एसपी सुनील दत्त दुबे के निजी विचार )
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