मेलबोर्न में लॉयड गॉस --जीवन जीने का एक अंदाज यह भी
8० साल के लॉयड गॉस का देश -दुनिया , सभ्यता -संस्कृति , रंग-रूप , खान-पान सब कुछ अलग है लेकिन हम दोनों में एक दूसरे की दिलचस्पी है। मैं लॉयड को पसंद करता हूँ , इसकी वजह यह है कि मुझे ऑस्ट्रेलिया का इतिहास आकर्षित करता रहा है और लॉयड इस अनोखे इतिहास की किताब का एक रोचक पन्ना है। लॉयड जिसने ऑस्ट्रेलिया की फ़ौज में रहते हुए मशीनगन और राइफल भले ही चलाई हों ,लेकिन दुनिया में वह अमन- चैन का जबरदस्त पक्षधर है , इंसानियत की एक शानदार मिसाल है। लॉयड भारत कभी नहीं आया लेकिन उसे भारत के इतिहास , भारत के वाशिंदों और ताजमहल से अटूट लगाव है।
मेलबोर्न में मैं इस विलक्षण परदेशी से कई बार यानि बार-बार मिला हूँ लेकिन पिछले दो वर्षों से कोई खैर खबर नहीं थी। अचानक पिछले दिनों लॉयड की खबर मिली तो मैं बैचेन हो उठा। रह-रह कर उसकी छवि एक बार फिर मेरी आँखों के सामने तैरने लगी ।
लॉयड के पूर्वज करीब दो सौ सालों से यहाँ बसे हैं , बसे क्या थे, पौने दो सौ साल पहले जब आस्ट्रेलिया की धरती ने सोना उगलना शुरू किया तो एक पूर्वज आयरलैंड से कुदाल-फावड़े लेकर आया था। अपनी जिंदगी बेहतर बनाने के सपने लेकर आये परदेशी आज ऑस्ट्रेलियन कहे जा रहे हैं। मजेदार बात यह है लॉयड के पास अपने खानदान का वंशवृक्ष ही नहीं हैं बल्कि उनके घर में १५० साल पहले उसके पूर्वजों द्वारा इस्तेमाल किया गया लकड़ी का कुछ फर्नीचर भी है जिसे वह विरासत में मिला खजाना कहते है।
कुल मिलाकर लॉयड एक रोचक कहानी का एक पात्र सरीखा है । लॉयड का 'सेन्स ऑफ़ ह्यूमर' गजब का है । हमारी मौजूदगी में वह अपनी बुजुर्ग पत्नी शार्ली को शालीनता और शरारत से छेड़ते है तो वातावरण में एक गुदगुदाहट पैदा होती है और हमें लगता है जैसे हम मेलबोर्न में एक गोरे के घर में न होकर मथुरा के एक चौबे परिवार में बैठे हों । लॉयड के व्यंग अपनी सास यानि शार्ली की मां को लेकर होते हैं। अपने पति की बे सर-पैर की बातों पर शार्ली को नाक- भौं सिकोड़ते मैं देखता हूँ तो मुस्करा उठता हूँ।
लॉयड को देखकर मुझे ''नेकी कर दरिया में डाल '' कहावत का स्मरण होता है । लॉयड अपने पड़ौसियों की अनुपस्थिति में उनके बंद घरों की हिफ़ाजद बिना किसी को बताये करता है। लॉयड की हृदय की विशालता , दरियादिली और भलमनसात के अनेक किस्सों को मैंने जब जाना तो अंग्रेजी लेखक गोल्डस्मिथ के लेख '' Man In Black '' का स्मरण हो गया। इस लेख का प्रमुख पात्र अनजान लोगों की मदद ऐसे करता है जिसे न कोई देखे और न कोई जाने। एक हाथ द्वारा की भलाई की भनक दूसरे हाथ को न लगे।
मेलबोर्न में मेरा घर लॉयड के सामने है सो मैं उसके परोपकारी और मानवीय आचरण को दूर से निहारकर आनंदित होता हूँ । लॉयड और उसकी पत्नी अपनी पेंशन का एक हिस्सा चैरिटी में खर्च कर मुदित होते हैं। लॉयड ने एक सूडानी लड़की की शिक्षा के खर्चे की जिम्मेदारी उठाई और उसे पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा किया । लॉयड को दुनिया की अन्य भाषाओँ को जानने की जिज्ञासा है। वह एक दिन मुझे अपने साथ स्पेनिश भाषा की कक्षा में ले गया । बुजुर्ग लोगों को स्पेनिश पढ़ाते एक बुजुर्ग शिक्षक से लॉयड बीच-बीच में दिलग्गी करते तो अट्टहास से कमरा गूँज जाता। चलती कक्षा से लॉयड चुपचाप उठे और केंटीन में जाकर दो कप कॉफी बनाकर लाये ---हम दोनों के लिए।
एक बार पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार लॉयड मुझे अपनी कार में बैठाकर मेलबोर्न के बोक्सिल इलाके में स्थित RSL क्लब जो ऑस्ट्रेलिया के सेवानिवृत फौजियों का बहुत पुराना व प्रतिष्ठित क्लब है, में ले गए । किचिन में वेजेटेरियन कुछ न था सिर्फ सलाद और ब्रेड के अलाव। लॉयड अपनी पत्नी से लंच क्लब में लेने की बात कहकर आये थे। मैंने देखा लॉयड ने मेरे साथ सलाद और ब्रेड ही खाई। तब मेरे मुंह से बरबस निकल पड़ा -'' लॉयड ! यू आर ग्रेट। ''
खाने की मेज पर दुनिया भर की बातें हुई , खासतौर पर भारत और ऑस्ट्रेलिया में अंग्रेजों के साम्राज्यवादी चरित्र और उनके द्वारा बनबाये गए भवनों को लेकर । लॉयड बोले -'' भारत में यदि १८५७ का स्वाधीनता आंदोलन कामयाब हो जाता और गोरों को मार भगाया होता तो क्या हमारे देश बिल्डिंगे,रेल ,स्टेशन, सड़कें आदि ऐसी होती जैसी आज हैं ? '' मैंने लॉयड की बात का विरोध नहीं किया ।
एक बार मैं मथुरा से लॉयड के लिए श्रीकृष्ण की छवि , एक राधा-कृष्ण का दुप्पटा और द्वारिकाधीश मंदिर के पास की दूकान से कन्नौज का गुलाब का इत्र ले गया था। लॉयड ने सभी उपहार ऐसे लिए जैसे कोई मूल्यवान खजाना हो, पत्नी शार्ली ने अपने मोबाइल पर यूट्यूब खोलकर एक वेजेटेरियन सब्जी बनाई जिसे हमने चावल के साथ बड़े चाव से खाया। घर आया तो लॉयड का मेल मिला जिसमें लिखा था ---'' अशोक , हमने लार्ड कृष्णा को अपने ड्रॉइंग रूम में सजा दिया है। ''
दो वर्ष पहले मैंने देखा था लॉयड के तन पर उम्र सवार है पर मन में बसंत सी उमंग और उल्लास है । उनके चेहरे पर चढ़ती उम्र को लेकर न तो कडुवाहट थी और न मृत्यु का भय। लॉयड को देखकर मुझे अंग्रेजी कवि टेनिसन की कविता ' Ulysses ' का स्मरण हुआ । Ulysses (the legendary Greek Hero ) है जो - नए लोगों से मिलने, उन्हें समझने और उनकी सभ्यता ,संस्कृति को जानने की अदम्य लालसा से लैस है। मुझे लॉयड युलिसस जैसा ही लगा।
मुझे खबर मिली है मेरे युलिसस यानि लॉयड की आँखों की रौशनी चली गई है और उसकी पत्नी शार्ली को सुनना बंद हो गया है। मकान में दोनों अकेले हैं , साथ है तो एक अदद उनकी प्यारी बिल्ली। लॉयड की जिंदगी में आने वाली भांति भांति की दिक्कतों की कल्पना कर मैं थरथराने लगा हूँ। जैसे , मैं , जल्द ही मैं मेलबोर्न जाऊँगा और लॉयड के दरवाजे की घंटी बजाऊंगा तो अंदर बैठा लॉयड सुन लेगा लेकिन जब वह अपने पत्नी शार्ली से दरवाजा खोलने की बात कहेगा तो वह सुन न पाएगी , लॉयड के घर मैं कैसे प्रवेश करूंगा ?
इस कल्पना के साथ मेरे मन में एक कल्पना और है ---- लॉयड अपने जीवन में आई इस भीषण और विचित्र विप्पत्ति को लेकर जब-कभी चिंतित होता होगा तो अंग्रेजी कवि रोवर्ट ब्राउनिंग की बुलंद आवाज में जरूर कहता होगा ---'' I was ever a fighter, so—one fight more,. The best and the last! '' ( मैं सदैव से योध्दा रहा हूँ ,सो एक लड़ाई और , सबसे बड़ी और आखिरी।
(मथुरा के शिक्षक मित्र अशोक बंसल की
कलम से)
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