पिछला सप्ताह कुछ खास था... मुझे, जिसने कभी किसी कॉलेज में पढ़ाई नहीं की, उसे कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में वहां के स्टूडेंट्स से बात करने के लिए आमंत्रित किया जाना और मेरा वहां का सेशन एक सपने से कम नहीं था...
वहां मैं होनहार युवाओं से घिरा हुआ था, जो उत्साह से भरपूर मुझ से मिल रहे थे और एक मीठी मुस्कान के साथ परिचय दे रहे थे।... मुझे याद आया कि जब मैं उनकी उम्र का था तब काफी शर्मीला था, मैं लोगों से मिलने में झिझकता और ज़रूरत पड़ने पर टूटी-फूटी अंग्रेजी बोल लेता ... आज के युवाओं के कॉन्फिडेंस को देखकर मुझे बहुत प्रेरणा मिलती है...
मुझसे पूछा गया कि मैंने अपनी कंपनी कैसे स्थापित की? कैसे मैं बड़ी डील्स करने में कामयाब रहा? इस तरह के सवालों के जवाब मेरी असफलताओं की कहानियों में छुपे हैं... मैंने 20 से 30 साल की उम्र तक बहुत स्ट्रगल देखा ... उन दिनों मैं सफल लोगों को देख ये सोचता था कि मैं वहां कब पहुंचूंगा! सबसे खास बात ये कि नौ बार बिज़नेस के असफल प्रयास और सालों डिप्रेशन से लड़ने के बाद, मुझे पहली सफलता मिली...
कैंब्रिज में स्टूडेंट्स के लिए मेरा मेसेज था: "कभी हार मत मानो।" सफलता के लिए आपको किसी डिग्री, फैमिली बैकग्राउंड या अच्छी अंग्रेजी की ज़रूरत नहीं है। ये चीज़ें आपकी मदद करती हैं, लेकिन जो बात आपको दूसरों से अलग बनाएंगी वो है अपने सपनों को पूरा करने की ज़िद ... ज़िद्दी बनो, फीयरलेस रहो!
(अनिल अग्रवाल की कलम से)
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