करीब 28 साल पहले भारतीय जनसंचार संस्थान के इसी क्लास रूम में कभी छात्र के रूप में आया था। कभी पिछली बेंच पर तो कभी आगे की बेंच पर बैठकर पढ़ाई की थी। वक्त का पहिया घूमा, संस्थान के हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम के डायरेक्टर राकेश उपाध्याय ने आमंत्रित किया तो छात्रों के साथ करीब 3 घंटे बिताने का मौका मिला। थोड़ा भावुक पल भी था। जहां हम लोग बैठा करते थे, वहां ढेर सारे विद्यार्थी बैठे थे। जैसे हम लोग अपने अध्यापकों को उत्सुकता भरी नजरों से देखते थे, वैसी नजरों से वे मुझे देख रहे थे। जहां पर खड़े होकर हमारे गुरुजनों ने हमें पढ़ाया था, वहां मैं खुद खड़ा था और बच्चों को पढ़ा रहा था। ये अनुभूति बहुत सुखद थी।
हम लोग जब पढ़ते थे तब डॉ. रामजी लाल जांगिड सर हमारे कोर्स डायरेक्टरथे। जोशी सर, धूलिया सर, जेठवानी मैडम, काजी सर, दुआ सर, प्रदीप माथुर सर हमें पढ़ाते थे। तब हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम में 35 सीटें थीं। अब 68 सीटें हैं। छात्रों की संख्या बढ़ी तो क्लासरूम भी बड़ा हो गया है। नए दौर में नई तकनीक से पढ़ाई हो रही है। ब्लैक बोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड लग गया है। क्लास में हो क्या रहा है, इसे देखने के लिए कैमरे भी लगे हुए हैं। नए दौर के छात्रों के भीतर जोश भरपूर है, तकनीकी रूप से दक्ष भी हैं। समझ भी ठीक है। ये बच्चे यहां से निकलेंगे तो अपना रास्ता तलाशेंगे, अपनी मंजिलों की तरफ बढ़ेंगे। संस्थान का नाम आगे बढ़ाएंगे। इन बच्चों को मेरी तरफ से ढेर सारी शुभकामनाएं
(टीवी न्यूज चैनल न्यूज नेशन के वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्र की कलम से)
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