महाराष्ट्र के पुणे में भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग अपने साथ कई रहस्यों को समेटे हैं। महाराष्ट्र के पांच ज्योर्तिलिंग में से एक यह है। भीमा नदी का उदगम स्थल पर मौजूद इस मंदिर में पहुंचने के लिए आपको 230 सीढ़ियां चढ़कर जाना होगा। भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग जमीन की तुलना में नीचले स्तर पर है। श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के सामने लगे घंटे को देखेंगे तो आपको यह कुछ अलग दिखेगा। यह घंटा महादेव गर्भगृह से ठीक सामने एक छोटे से शनि मंदिर पर लगा है... इसपर ध्यान से देखो... तो उसपे चर्च का निशान और 1729 लिखा है। मंदिर के पुजारी जी बताते कि यह घंटा पेशवा कोकण क़िले के चर्च से पुर्तगालियों को हराकर लाए थे, यह अद्भुत कुछ अलग सा दिखने वाला घंटा कोई मामूली घंटा नही.. अपितु महान हिंदू पराक्रम का प्रतीक है। इसे पेशवा बाज़ीराव नही... बल्कि उनके छोटे भाई वीर चिमाजी अप्पा जीतकर लाए थे। यह एक नही बल्कि ऐसे पाँच घंटे पुर्तगालियों की भुजाओं को कुचलकर, मराठा साम्राज्य की विजय के प्रतीक के रूप में महाराष्ट्र के पाँच विभिन्न मंदिर प्रांगणों में स्थापित किए गए। उन घंटों को "स्मारक एवं वीर स्मृति" रखने के लिए उन पर स्थित चर्च और सन बनाए रखा गया।
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि एक दिन राजा को भगवान शिव की आराधना करते हुए भीम ने देख लिया और भीम ने उस शिवलिंग को तोड़ना चाहा ताकि राजा दोबारा उस लिंग की पूजा ना कर सके। इसके पश्चात भगवान शिव उस जगह में स्वयं प्रकट हुए। भगवान शिव ने इसी जगह पर स्वयं प्रकट होकर राजा के प्राण बचाए। इसके पश्चात से वह ज्योतिर्लिंग के रूप में यही स्थापित हो गए।
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