मिखाइल के होठों पर किसी ने अवसाद का ब्लेड मार दिया हो जैसे!!
“यूपी टू यूक्रेन- (यूक्रेन पहुँचे पहले भारतीय पत्रकार की आंखो-देखी जंग) से”
“मिखाइल से मेरी पहली मुलाकात कीव के रेलवे स्टेशन के पास हुई थी। पतली, दुबली, छरहरी कदकाठी का मिखाइल उस राइफलधारी समूह का पहला व्यक्ति था जो खुद चलकर हमारे पास आया था। वो भी राइफल को नीची किए हुए। हम उस समय पैदल ही कीव की दमित्रिवस्का स्ट्रीट से स्टेशन की ओर जा रहे थे। हम जिस अपार्टमेंट में रह रहे थे, वह इसी स्ट्रीट पर था। यहां से स्टेशन की दूरी महज 2 किलोमीटर थी। जब काफी देर तक हमें टैक्सी नही मिली तो हमने पैदल ही आगे बढ़ने का इरादा किया।
“हे इंडियन जर्नलिस्ट…!” ये मिखाइल की आवाज़ थी।
एक पुरानी मोटरसाइकिल की सीट पर हैंडल की उल्टी दिशा में बैठे हुए मिखाइल के चेहरे पर एक अजीब सी चुहुलबाजी खेल रही थी। उसके हाथों की राइफल काफी थकी हुई मालूम पड़ती थी। वह उसके कंधों पर पड़े पड़े झपकियाँ ले रही थी। वह धीरे धीरे चलता हुआ हमारे नजदीक आया। न हमसे आई कार्ड माँगा। न ही पासपोर्ट देखने की बात कही। उसे हम पहली नज़र में भारतीय लगे थे। यही उसकी उत्सुकता की सबसे बड़ी वजह थी।
“इंडिया से यूक्रेन आए हो?” उसने पूछा।
“हाँ, अब तो काफी वक्त हो गया, आए हुए।” मैने मुस्कुराकर जवाब दिया।
“मैं इंडिया जा चुका हू्ं। दो बार। एक बार गोवा गया था। एक बार मुंबई। मेरी एक गर्ल फ्रेंड भी थी, इंडिया की।” वो हल्के से मुस्कुराया। गर्ल फ्रेंड का नाम लेते हुए उसकी देह में एक झुरझुरी सी दौड़ गई थी।
“गर्ल फ्रेंड थी? मतलब अब वो जा चुकी है?” वह अब तक एक तरन्नुम में बातें कर रहा था। मेरा ये सवाल उसके तरन्नुम पर किसी वज्र की तरह गिरा। वह कुछ परेशान सा हो उठा। उसके मुस्कुराते होंठ पर किसी ने अचानक से अवसाद का ब्लेड मार दिया हो जैसे।
“यस, प्यार में पहला धोखा मैने इंडिया में ही खाया था। शी डंप्ड मी।” ये कहते हुए वह हंस पड़ा। ये एक फीकी सी हंसी थी। वह मुझे एकाएक औपचारिक होता हुआ दिखाई दिया। जैसे बेपरवाही में उसने किसी ऐसी बात का जिक्र कर दिया हो जिसे उसने बड़ी मुश्किल से अपने सीने में दफ़न किया था। ज़बरिया दफ़नाई गई मोहब्बतें बड़ी ख़तरनाक होती हैं। वह अक्सर ही अपनी क़ब्रों से झांकती रहती हैं और एक रोज़ सतह तोड़कर बाहर आ जाती हैं। फिर वे उम्र भर प्रेत बनकर आपका पीछा करती हैं
(टीवी पत्रकारिता की दुनिया में एक चर्चित नाम है अभिषेक उपाध्याय,यूपी के बस्ती से जिले में पैदा होने के बाद पत्रकारिता में आने के बाद वह यूक्रेन की जंग कवर करने गए तो उसको किताब की शक्ल में दिया,आप इसको पढ़ेंगे तो युद्ध के मैदान में कलमवीर की कलम का कमाल से रूबरू होंगे)
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