आजकल लगन ,सहालगों का समय चल रहा है ।नए नए समाचार मिल रहे है । निमंत्रण पत्र अब WhatsApp पर आने लगे है । Destination weddings हो रही है । कोई रहता Canada में है शादी करने Miami Beach जा रहे हैं । अमेरिका से भारत आकर तमिलनाडु के महाबली पुरम में परिणय सूत्र में बंध रहे हैं ।दिल्ली की भाग दौड़ वाली ज़िंदगी से दूर उत्तराखंड की शांत वादियों में भीम ताल में सात फेरे लेना चाह रहे हैं ।कोई राजस्थान की हवेलियों को बुक करा रहा है तो कोई महाराष्ट्र के महाबलेश्वर,लोनावाला के गेस्ट हाउस ।दिल्ली के सारे बड़े होटल और फार्म हाउसों की बुकिंग महीनों पहले हो चुकी है । किसी को बाबा की पवित्र नगरी काशी में माँ गौरा के आशीष के साथ माँग में सिंदूर भरना है तो कोई तिरुवनंतपुरम में बालाजी के प्रांगण में बैठ कर मंगल सूत्र पहनना चाहता है ।
डिज़ाइनर लहंगा बन रहा है branded शेरवानी आ रही है दाम सुनेंगे तो कान बंद हो जाएँगें ।फूल विदेश से आ रहे है । special light effects के साथ कैमरे फ़िट हो रहे है event manager रखे जा रहे हैं । बैंड बाजे छोड़िए नामचीन गवैये और नाचने के लिए बॉलीवुड के सितारे आ रहे है ।मेकअप का विशेष प्रबंध है ।दूल्हा दुल्हन के लिए अलग और परिवार जन के लिए अलग ।अब तो साड़ी पहनानेवाले के भी भाग्य खुल गए है ।
अच्छा है बहुत अच्छा है जिनके पास बहुत है वहाँ से निकल कर ज़रूरतमंदों के पास पैसा आ रहा है । कुछ इन्हीं कुछ महीनों में साल भर चूल्हा जल सके इतना कमाने की कोशिश करते हैं । किसी की बेटी के ब्याह और किसी के बेटे की पढ़ाई का प्रबंध हो जाता है कही घर की छत पड़ जाने की आशा बंध जाती है तो कोई बूढ़े माँ बाप के इलाज का सोचने लगता है । समाज में सम रसता लाने का सीधा सरल उपाय है ।
समस्या यह है कि इस तरह का माहौल देख कर बहुतों का मन भटक जाता है । एक ललक मन में उठती है और कभी-कभी उसके दबाव में आकर माता-पिता के साथ ही बेटे बेटी भी सच्चाई से मुँह मोड़ कर दिखावे की धार में बह जाते हैं ।जीवन की नई शुरुआत हँसी-ख़ुशी सच्चाई के धरातल पर चल कर करे । माता-पिता के कंधों पर क़र्ज़ का बोझ डाल कर डोली में बैठना या घोड़ी पर चढ़ने का मानस न बनाए । यहाँ दो समझदारी के निर्णय के बारे में लिखना चाह रही हूँ जो मुझे सटीक लगे ।
मेरे एक रिश्तेदार का बेटा civil service में आ गया रिश्ते आने लगे ।एक civil service वाली लड़की का प्रस्ताव आया प्रारंभिक बातों से संतुष्ट होने पर लड़के के पिता ने लड़की के पिता को फ़ोन कर कहा कि हम मिलना चाहेंगे । अपने शहर के एक नामी क्लब का नाम बताया कहा हम लोग वहाँ लंच के लिए मिलते हैं । पिता ने बेटी से कहा , उसने कहा नहीं पापा आप उन्हें अपने घर बुलाइए । वो लोग मान गए । पता एक मोहल्ले का था गाड़ी सड़क पर खड़ी कर गली में आए । मध्यम वर्गीय परिवारों का इलाक़ा था । इनका घर भी एक मंज़िला छोटा मकान था । माता-पिता ने आदर स्नेह से स्वागत किया । कमरा बिना तामझाम के सुरुचि पूर्ण व्यवस्थित था । बेटी और छोटा भाई नाश्ता ले कर आए । नाश्ता सब घर का बना सामान था । चाय के कप को छोड़ कर सब स्टील के बर्तनों में था ।बेटी ने बात शुरू की कहा आप को पता है पापा एक प्राइवेट कालेज में पढ़ाते है कुछ समय में रिटायर होने वाले है , पेन्शन नहीं मिलेगी । मेरे नाम के आगे लगे इन तीन अक्षरों को मेरी पहचान न माने मैं किस साधारण परिवेश में पली हूँ आप उसे देखे । मेरी शादी भी ऐसे ही होगी इनके पास जो है उसे इनके बुढ़ापे के लिए रखना चाहूँगी । भाई अभी पढ़ रहा है उसे settle होने में समय लगेगा । हर माँ बाप अपनी बेटी की शादी का अरमान रखते है ये अपने हिसाब से ही कर सकते हैं । कल को आपको न लगे कि आपके हिसाब से नहीं हुआ । पापाजी नाश्ता बाहर से मंगाना चाह रहे थे मैंने कहा नहीं वो तो कोई भी कभी भी खाता रहता है माँ को उनका स्वागत करने दीजिए । इन्होंने मुझे पढ़ाया यहाँ तक पहुँचाया,संस्कार दिए यही महत्वपूर्ण है । मैं चाहती थी कि आप हमारी जीवन पद्धति देखे समझे इसीलिए घर आने का अनुरोध किया । मेरी एक शिष्या डाक्टर हो गई एम डी कर लिया शादी उससे एक साल सीनियर से तय हो गई । पिता का अपना कारोबार था अच्छा खाता पीता परिवार था घर में एक छोटी बहन फिर सबसे छोटा भाई था दोनों पढ़ रहे थे । बेटी ने माँ से कहा पापा की उम्र हो रही है उतना stress नहीं लेना चाहिए, काम कम करना चाहिए । ये दोनों छोटे है आप के पास जो है उसे आप अपने पास रखे मेरे लिए कोई गहना ज़ेवर बनाने की ज़रूरत नहीं है न ही कई भारी भरकम बनारसी ख़रीदे मैं डा हूँ काम करूँगी ये सब अलमारी में बंद पड़ा रहेगा । चार छे सलवार सूट वनवा दे । पापा से कहा धूम धाम की ज़रूरत नहीं है आपका एक पुराना मकान जिसमें आप फ़ैक्टरी का पुराना सामान रखते है ख़ाली करा कर उसकी पुताई मरम्मत करा के हमें दो साल के लिए clinic बनाने को देंदे प्रैक्टिस जमने पर हम नई ज़मीन ख़रीद लेंगे । लड़के ने भी अपनी माँ से कहा उसको कोई लहंगा,कंगन हार नहीं चाहिए । मेरे लिए कुर्ता उसके लिए एक साड़ी बहुत है । जो पैसा है मुझे clinic का सामान ख़रीदने के लिए देदे । घर के लोग शामिल हों समाज के हॉल में दिन में शादी कर दे । काम जम जायगा तब एक फ़ंक्शन कर लेना बुआ मौसी को साड़ियाँ बाँट देना । दोनों परिवारों के मिलाकर क़रीब पचास -साठ लोग थे । पूरे विधि विधान से रीत रिवाज से पूरे हुए वैवाहिक कार्यक्रम,चार घंटे में सब संपूर्ण हो गया ।मेहमानों के स्वागत के लिए स्नेह चाहिए आदर सम्मान चाहिए । जैसा उन दोनों ने कहा था आज नई बिल्डिंग में उनका नामचीन अस्पताल है । ईश्वर ने दिया है तो दोनों हाथों से खर्च करो पर चादर के अंदर पैर रख कर । (लखनऊ की गोपी त्रिवेदी ने यह संस्मरण भेजा है,पढ़े अच्छा लगे तो शेयर भी करें अपनों संग )
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