दिल्ली की सत्ता पाने के पूर्व " मैं बहुत छोटा आदमी हूं जी और मुझे अपनी औकात पता है जी" का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल का यह कथन वाकई सही निकला। "
"आपरेशन शीशमहल" से बौखलाए बाल्मीकि का मुखौटा लगाने वाला "रत्नाकर" केजरीवाल न सिर्फ हद से ज्यादा छोटा आदमी निकला बल्कि उसने अपनी औकात भी दिखा दी कि वह कितना गिरा हुआ तथाकथित "आम आदमी" है। मेरी बात पर भरोसा न हो तो पूछिए उन दर्शकों से जिन्होने पिछली रात नौ बजे टीवी चैनल टाइम्स नाउ नवभारत पर 21 वर्षीया रिपोर्टर भावना किशोर पर खालिस्तानी आतंकियों के समर्थन और पैसे से बनी आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार के इशारे पर राज्य की पुलिस ने कानून की धज्जियां उड़ा देने वाले जुल्म की दास्तान खुद पीड़िता के मुंह से देखी और सुनी।
विश्वास कीजिए कि यह देख कर मै रात भर सो नहीं सका। भावना के साथ कैमरामैन और ड्राइवर को किस तरह एक पूर्व नियोजित षड्यंत्र के तहत ट्रैप किया गया। सूर्यास्त के पश्चात महिला को पुलिस हिरासत मे न रखने के कानून का मुंह चिढ़ाते हुए भावना को मानसिक यातना दी गयी उसे देख कर किसी की भी रूह कांप जाएगी। 'मैं कोई सरकारी बंगला नहीं लूंगा' का दावा करने वाले केजरी ने किस तरह से 45 करोड का अपने लिए राजमहल निर्मित किया, यह चैनल ने क्या दिखा दिया कि इंतकाम की आग में झुलसा दिल्ली का यह सीएम लुधियाना एक कार्यक्रम कवर करने गयी इस रिपोर्टर बच्ची पर ही जुल्म ढा बैठा। केजरीवाल को इस मोहल्ला क्लीनिक से जुड़े कार्यक्रम का उद्घाटन करना था।
सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल किस तरह से पुलिस- प्रशासन को अपनी उंगलियों पर नचाते हैं इसका एक शर्मनाक नमूना देखने को मिला जब इस बहादुर बेटी ने बताया कि थाने के पुलिस अधिकारी ने उससे कहा कि मेरी भी दो बेटियां हैं और मै उनको जवाब नहीं दे सकूंगा कि तुम्हारे साथ ऐसा क्यों किया गया। विश्वास करो कि थाने और पुलिस का कोई दोष नहीं, सब 'ऊपर' के इशारे से किया गया है। आप सोचिए कि एक महिला पत्रकार से कहा जाता रहा कि जो कुछ भी करो तो वाशरूम का दरवाजा खुला रहे। भावना पर झूठी एससीएसटी धारा तक लगायी गयी।
किस तरह से भावना और उसके दोनो साथियों की जिला कोर्ट में पेशी हुई और रात में महिला मजिस्ट्रेट व जिला जज ने किस तरह से फटकार लगायी। भावना का जेल का अनुभव और उसको अंतरिम जमानत देते वक्त हाई कोर्ट की पुलिस पर तीखी टिप्पणी पंजाब सरकार के कुकृत्य की धज्जियां उड़ाने के लिए काफी है।
कैमरामैन के बच्चे के ब्रेन ट्यूमर का हिरासत मे रखने वाली रात को मैक्स हास्पिटल में आपरेशन होने वाला था । वो गिड़गिड़ाता रहा कि एक काल पत्नी को कर देने दीजिए लेकिन पुलिस का तब भी दिल नहीं पसीजा। कैमरामैन और ड्राइवर की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए मंगलवार को दोनो को भी हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी थी। लेकिन उनकी रिहाई आज बुधवार को ही हो सकेगी।
हम मीडियाकर्मियों को ऐसी मुश्किलों से दो चार होना ही पड़ता है। 1990 की कार्तिक पूर्णिमा पर अयोध्या में निरीह मासूम निरपराध कारसेवकों का नरसंहार करने वाले मुलायम सिंह यादव ने काशी से मेरे नेतृत्व में कवरेज करने गयी दैनिक जागरण की टीम पर मुकदमा कर दिया था। अखबार के प्रकाशन पर भी उस रात प्रतिबंध लगा दिया गया था। गनीमत यह रही कि जनता की भावना के समुद्र से उठते ज्वार को देखते हुए सरकार को तीसरे दिन मुकदमा वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा और हम जेल जाने से बच गए लेकिन भावना इतनी भाग्यशाली नहीं रही।
(काशी के वरिष्ठ पत्रकार पदमपति शर्मा की कलम से)
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