एक साल हो गये। आज ही के दिन हम लोगों ने यूरोप की धरती पर लैंड किया था । आज ही के दिन पहले हम लोग अपने ड्रीम डेस्टिनेशन यात्रा पर निकले थे।एक तरफ उत्साह था तो अंदर से एक आशंका भी जिसे किसी से बताया नहीं ।नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर चेक इन बहुत आसानी से हो गया।बेटी के पास जा रहे थे तो सामान तो थोड़ा ज्यादा होना ही था । काउंटर स्टाफ द्वारा मुस्कुराते हुए अनुमति देने ने यात्रा का शुभ आगाज भी किया।माइग्रेशन काउंटरों पर बहुत भीड़ थी पर स्टाफ भी बहुत दक्ष था । कुछ पैसेंजर्स द्वारा अपने जरूरी कागजों को एक साथ नहीं देने के कारण अधिक समय लग रहा था । बहरहाल नम्बर आने पर हम लोगो का काम तुरंत ही हो गया। बेटी ने बहुत कायदे से हर स्टेप को ध्यान मे रखते हुए सभी पेपर्स तैयार किए थे । हमारे काउंटर पर बैठे सज्जन का आभार व्यक्त कर हम लोग सुरक्षा जांच के लिए प्रस्थान कर गए।
स्विट्जरलैंड घूमने के बारे मे हम दोनो सोचा तो अक्सर करते थे पर - - - -। लेकिन आज एम्सटर्डम की तरफ कदम बढ़ ही गये । पहली फ्लाइट अबू धाबी तक थी, फिर वहां से एम्सटर्डम । अबू धाबी को लेकर मन मे कुछ संशय अवश्य थे,शायद पूर्वाग्रहों के कारण । पर वहां पर बहुत अच्छा सहयोग मिला। जगह-जगह पर खड़े अफसर आसान हिन्दी, अंग्रेजी और ऊर्दू मे बात कर लेते थे और तत्परता से गाईड कर रहे थे । हम लोगों को अपने हैंड बैगेज के लिए ट्राली नही मिल रही थी । एक परिवार के पास दो ट्रालियां थी । उन्होंने तुरंत अपनी एक ट्राली खाली करके दे दी। कहीं कहीं पर स्वत:स्फूर्त सहयोग भी मिला।हम लोगों की प्रथमिकता अपनी अगली फ्लाइट के गेट पर पहुंचना था । इस बीच विन्डो शापिंग करते हुए एयरपोर्ट की कुछ दुकानों को जल्दी जल्दी देखा । अबू धाबी का एयरपोर्ट बहुत शानदार है।यहां की सबसे अच्छी बात लगी कि यहां पर अनेक लायब्रेरी हैं।वैसे समय की कमी के कारण हम लोग वहां जा नहीं सके । वहां पर किताबों की महत्ता के विषय मे कई स्थानों पर लगे बोर्ड्स को देख कर आश्चर्यजनक प्रतिक्रिया हुई । एयरपोर्ट पर शेख जायद बिन सुल्तान अल नाहयान की तस्वीरें अनेक स्थानों पर लगी हैं l संयुक्त अरब अमीरात के गठन के पीछे वह प्रमुख प्रेरणा शक्ति माने जाते है। जायद की प्रथमिकता अस्पतालों, स्कूलों और विश्वविद्यालयों जैसे संस्थानों का निर्माण और यूएई के नागरिकों के लिए उन तक मुफ्त पहुंच बनाना था। कृतज्ञ राष्ट्र ने एयरपोर्ट पर उनके तमाम चित्र लगा रखे हैं । अबू धाबी से एम्सटर्डम की उड़ान थी तो लम्बी पर ऊबाऊ नहीं लगी। एतिहाद एअरवेज से उड़ान सुविधाजनक थी। फ्लाइट के दौरान हमारे चयन के अनुसार स्वादिष्ट भोजन और पेय पदार्थ उपलब्ध कराये गये। कुछ सहयात्रियों द्वारा भोजन चयन मे गलती हो गई थी पर एयरहोस्टेस ने कुशलता पूर्वक समाधान कर दिया। खाते-पीते, पढ़ते-पढ़ते, टीवी देखते-सुनते हम लोग आखिरकार एम्सटर्डम पहुंच गए । इमाइग्रेशन की औपचारिकताएं आसानी से पूरी कर हम लोग अपना सामान लेने बैगेज बेल्ट पर पहुंचे। वहां पर थोड़ा कन्फ्यूजन था पर वह शीघ्र ही ठीक हो गया । बाहर निकलते ही बेटी दामाद से मिलकर मन प्रफुल्लित हो गया । एयरपोर्ट की चकाचौंध हम लोगों को चकित कर रही थी। बाद मे तो इस एयरपोर्ट पर इतना आना-जाना हुआ कि यह घर सा लगने लगा। इस तरह हम लोग अपने युरोपीय भ्रमण के पहले शहर पहुंचे । (लखनऊ के मानिंद राकेश श्रीवास्तव जब पहली बार यूरोप भ्रमण करने गए तो क्या रहा अनुभव पढ़े)
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