दस साल पहले देखा छत का सपना, लाखों देकर मिला सिर्फ दिल में दर्द आंखों में आंसू
मई 12, 2023
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नोएडा। यूपी के शो-विंडो में कल-कारखानों के साथ नई-नई योजनाओं की घोषणाओं संग चमक-दमक के बीच ऐसे लोग भी मिल जाते हैं,जिनसे मिलने व बात करने के बाद लगता है एक छत का सपना इनकी खुशियों का लुटेरा बन गया है। नोएडा में एक फ्लैट खरीदने के लिए घर की पूंजी के साथ बैंक कर्ज संग सुख-चैन लुटाने के बाद भी खाली हाथ न्याय के लिए संघर्ष करते ऐसे लोगों की भीड़ ही दिखती है। एक खोजो तो ऐसे दर्द समेटे सैकड़ों मिल जाएंगे। सबसे ज्यादा भीड़ सुपरटेक बिल्डर के हाथों ठगे महसूस कर रहे घर खरीदारों की है। सुपरटेक ईकोविलेज-2 के घर खरीदार तो दुःख, चिंता, बेबशी के मंझधार में फंसे हैं। ऐसे घर खरीदार उम्मीद व आशा के बीच किस तरह सालों से झूल रहे हैं, ऐसे दर्द को समेटे सैकड़ों में से एक राजीवा प्रसाद है। सुपरटेक के अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जब सुप्रीमकोर्ट ने आईआरपी तैनात किया तो इनको उम्मीद दिखा कि अधूरा प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा। इस उम्मीद के 14 महीने बीत गए लेकिन अधूरे प्रोजेक्ट पर दो ईंट भी रखने का काम नहीं हुआ। अदालत का आदेश था सुपरटेक को 70 प्रतिशत धनराशि अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने पर खर्च करेगा। अदालत के इस आदेश के बाद आई-1,2,जे-1,2, या एचके-1 टॉवर पूरा करने की उम्मीद इनके अंदर भी जगी। दस साल से घर से इंतजार कर रहे राजीवा प्रसाद रिटायरमेंट के बाद जो पैसा मिला सब एक फ्लैट के लिए सुपरटेक को दे दिया। आज की तारीख में राजीवा को घर तो नहीं मिला लेकिन जब फ्लैट बुक कराए थे उस वक्त की छोटी बेटी आज विवाह योग्य हो गयी है। इनको समझ में नहीं आ रहा है बेटी की शादी कैसे करें। आज की तारीख में 25000 रुपये किराया देने के साथ भविष्य के लिए बचत के नाम पर इनके पास कुछ नहीं है। एक घर की कोशिश में यह अपनी कमाई का सारा पैसा सुपरटेक को दे चुके हैं लेकिन मायूसी के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा है। सुप्रीमकोर्ट की तरफ से नियुक्ति आईआरपी को अपनी पीड़ा की चिठठी पर चिठठी लिख चुके हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनको मालूम नहीं कि उन्हें घर का सुख मिलेगा कि नहीं। ऐसे अनगिनत खरीदार है जो सुपरटेक बिल्डर को लाखों रुपये देने के बाद धक्के खा रहे हैं। दस साल पहले घर का पैसा देने के बाद धक्के खा रहे राजीवा प्रसाद अकेले नहीं है बल्कि उनके जैसे सैकड़ों नहीं हजारों लोग नोएडा में हैं जो भटक रहे हैं। इनके दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार हो या सुप्रीमकोर्ट सिर्फ कार्रवाई के नाम पर समय कट रहा है छत नहीं मिल रहा है जबकि इन सब घर खरीदारों की आर्थिक हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है।
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