इस लड़की की कहानी बड़ी दिलचस्प है और साथ ही हम सबको प्रेरणा देती है. इस लड़की यानी सतोरिया इकबाल खान का बड़ा भाई मिशाल खान पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रदेश के मरदान शहर में स्थित अब्दुल वली खान यूनिवर्सिटी में मास कम्युनिकेशन में पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई कर रहा था.
एक दिन यूनिवर्सिटी के कुछ छात्रों ने उसके ऊपर सोशल मीडिया पर ईशनिंदा का आरोप लगाया और फिर यूनिवर्सिटी के ही तमाम हजारों छात्र यूनिवर्सिटी के तमाम स्टाफ जिसमें टीचर कंप्यूटर ऑपरेटर लैब टेक्नीशियन आदि शामिल थे उन्होंने मिशाल खान पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर पीट पीट कर मार डाला और मौलवियों ने यह भी हुक्म दे दिया कि इसके परिवार के सदस्यों को भी जहां देखो वहां पीट-पीटकर मार डालो.
तब से मिशाल खान का पूरा परिवार एक अपने घर में कैद हो गया उसकी बहन जो 12वीं पढ़ चुकी थी वह घर से बाहर नहीं निकलती थी और पाकिस्तान की किसी भी यूनिवर्सिटी में या किसी कॉलेज में उसका एडमिशन नहीं हो रहा था
फिर उस लड़की यानी सतोरिया इकबाल खान ने दुनिया भर की तमाम यूनिवर्सिटी को अपनी पूरी कहानी अखबारों की कटिंग और उस खबरों की वीडियो फुटेज की सीडी बनाकर तमाम यूनिवर्सिटी को भेजा और लिखा है कि वह 12वीं में 94% अंकों के साथ पास हुई है उसके भाई पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर पीट पीट कर मार डाला गया है और मौलवियों ने हमारे पूरे परिवार को भी क़त्ल करने का हुक्म दिया है हम घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं हमारी पढ़ाई नहीं हो पा रही है उसने यह पत्र तुर्की और कुछ यूनिवर्सिटी इजिप्ट की तमाम यूनिवर्सिटी सऊदी अरब की यूनीवर्सिटीज को भी भेजा था लेकिन उन देशों से उसे कोई जवाब नहीं आया.
फिर अमेरिका की बफ़ेलो यूनिवर्सिटी को भी इस लड़की का पत्र आया और पूरी कहानी पढ़ी फिर उन्होंने पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों से कहा कि वह उस लड़की का वीजा रेडी करा कर उसे हमारे यहां पढ़ने के लिए भेजें और इस तरह उस लड़की ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी से बायो टेक्नोलॉजी बैचलर डिग्री हासिल किया और अमेरिका की पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री पढ़ाई कर रही है.
अमेरिका की बफैलो यूनिवर्सिटी ने इसे स्कॉलरशिप दिया और साथ ही साथ मलाला यूसुफजई के फाउंडेशन ने भी इसे मलाला स्कॉलरशिप दिया.
इस कहानी के कई पहलू हैं सबसे बड़ा पहलू यह है कुछ ही सालों बाद यह लड़की इन काफिरों यानी ईसाइयों का एहसान भूल जाएगी.
और दूसरा बड़ा पहलू है यह तमाम मुस्लिम देश मुस्लिमों की कोई मदद नहीं करते आप लोगों को याद ही होगा कि रोहिंग्या जब सऊदी अरब में शरण के लिए जा रहे थे तब सऊदी अरब की नेवी ने उनके ऊपर भयंकर गोलीबार कर दिया था सैकड़ों रोहिंग्या समुंदर में मारे गए थे.
और सबसे बड़ा पहलू यह भी है कि सर्वधर्म समभाव दया और मदद का ठेका इस विश्व में सिर्फ हिंदू ईसाई यहूदी जैन बौद्ध सिख यदि धर्म ने ही ले रखा है
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/