रोमांचकारी सफ़र के तीस दिन
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अब तक का सफ़र रोमांचकारी रहा ।ये सफर लंबा जरूर था लेकिन थकाऊ और उबाऊ कत्तई नहीं। प्लेन से लेकर ट्रेन ,राजमार्ग से लेकर जलमार्ग। जल थल से लेकर टापू । हिंदुस्तान से अमेरिका आए आज एक माह पूरे हो गए । अगर बात करूं किलोमीटर की तो करीब 21 हजार और मील की बात करूं तो करीब तेरह हजार से कुछ ज्यादा। अंकगणित की बात करूं तो ये यात्रा एक दिन में औसतन 700 किमी की रही । अगर मौसम की बात करूं तो शून्य से लेकर 25 डिग्री तक । 17 अप्रैल को जब शिकागो के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर निकला तो बर्फबारी हो रही थी। सार्थक मेडसन से एक दिन पहले आ चुका था। हवाई अड्डे से बाहर आने में हमें करीब डेढ़ घंटे लग गए । खराब मौसम में निकास द्वार के बाहर इंतजार और बेचैनी में एक एक लम्हा भारी पड़ रहा था सार्थक के लिए । मेडसन से रवाना होते वक्त सार्थक अपने साथ दो जैकेट लाया था जिसे हमें तुरंत पहनना पड़ा। पार्किंग तक पहुंचते पहुंचते बर्फबारी तेज हो चुकी थी। हमारे लिए इस तरह का मौसम नया था। करीब 17 घंटे की हवाई यात्रा के बाद भी मौसम ने थकान को झिड़क दिया था । करीब साढ़े दस हजार मील का सफर, वह भी सीट पर बैठे बैठे । नई दिल्ली के इंदिरागांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे रात साढ़े नौ बजे हमारे विमान ने उड़ान भरी।रात क़रीब साढ़े 11 बजे आबू धाबी पहुँचे । तीन घंटे बाद एक बार हम शिकागो के लिए रवाना हुए । 17 अप्रैल को सुबह साढ़े नौ बजे शिकागो पहुँचे । यहाँ से मेडसन पहुंचने में करीब ढ़ाई घंटे लगे । हाईवे किनारे पर दूर तक तक बर्फ जमी थी । मकानों की छत भी बर्फ से आच्छादित थी। ऐसा लग रहा था मानो सफेद चादर से मकान को ढक दिया गया हो । ऐसा लग रहा था जैसे हम अमेरिका में नही कश्मीर की वादियों में हैं । मौसम का जादू कहें या अवयुक्त से मिलने की बेताबी। शिकागो से मेडसन की 130 मील की दूरी कब खत्म हो गई, पता ही नहीं चला। इधर घर पर प्राची और अवयुक्त हमारा इंतजार कर ही रहे थे। सार्थक के दोस्त श्रीधर पत्नी हायमा समेत घर पर केक लेकर आ चुके थे। केक अवयुक्त की तरफ से था। लिखा था-यूएस पहुंचने पर दादा-दादी का स्वागत है। ये सफर का पहला पड़ाव था। सार्थक-प्राची की तरफ से एक सरप्राइज इंतजार कर रहा था। 8 मई को हमारी शादी की सालगिरह को यादगार बनाने का। चार मई को हम सभी रवाना हुए। हमारा पहला पड़ाव था-बफलो । बफलो प्राकृतिक संपदा से भरपूर वही रमणीय पर्यटन स्थल जहां के विश्व विख्यात नियाग्रा जलप्रपात की कलकल छलछल की दुनिया में गूंज होती है। यहीं आकर यूएस की सीमा समाप्त होती है, कनाडा की सीमा शुरू होती है। बफलो का सफर शुरू हुआ शिकागो हवाई अड्डे से। हम लोग रात बफलो हवाई अड्डे से कार ली और पहुंच गए नियाग्रा फॉल। नियाग्रा की रमणीयता के बारे में विस्तार से बाद में बात करूंगा । 5 मई को कार से सफर शुरू होता है गगनचुंबी इमारतों के लिए विश्व विख्यात शहर न्यूयॉर्क के लिए। न्यूयॉर्क में तीन दिन में तमाम दर्शनीय स्थलों को देखा। 8 मई को सालगिरह का सेलिब्रेशन यहीं हुआ । 9 मई को हम सभी ट्रेन से वाशिंगटन डीसी के लिए रवाना हुए। व्हाइट हाउस से लेकर संसद तक देखा। 11 मई की रात हमारी उड़ान शिकागो के लिए थी। वाशिंगटन डीसी से शिकागो की दूरी करीब 696.3 मील है। उधर शिकागो से बफलो 532.3 मील दूर। जब कि बफलो से न्यूयॉर्क 372.5 मील। इस तरह से एक माह के भीतर करीब 21 हजार किमी की यात्रा सुखद रही। हमारे यूएस पहुंचने के तीसरे दिन अवयुक्त चार माह के हुए। एक माह में उनकी शरारतें 360 डिग्री तक पहुंच गई है। विस्तार से आगे लिखूंगा। कथानक......किरदार,अपार है।
(अमर उजाला के कई संस्करणों के संपादक रह चुके वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र त्रिपाठी की कलम से)
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