देश के कई हिस्सों में पिछले दो दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता करते-करते आज भले ही देश की राजधानी में पहुंच गया हूं लेकिन कई जगहों के लजीज व्यंजन व जायके ऐसे हैं, जेहन में जब वह याद आते हैं तो जीभ से पानी निकल पड़ता है। बस्ती से बुंदेलखंड,काशी-कश्मीर,सिलीगुड़ी से सिक्किम तक के सफर में ऐसे जायकों की भरमार रही,जिनकी लजीज यादें आज भी जी ललचाती है। जायके की जर्नी में आपको अब ऐसे बाजारों की भ्रमण के साथ उन जायके से भी परिचित कराएंगे जिनका यह खबरनवीस ही नहीं लाखों दीवानें हैं।
महानंदा नदी के किनारे हिमालय की तलहटी में स्थित पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग व जलपाईगुड़ी जिले में फैले सिलीगड़ी में दैनिक जागरण में काम करने के दौरान घुमक्कड़ी की आदत के चलते हांगकांग मार्केट से लेकर तमाम जगहों पर घूमने का मौका मिला। अपनी इस घुमक्कड़ी में हमसफर बने दैनिक जागरण के सिस्टम इंजीनियर कार्तिक। नई जगह, नए लोग, नए जायके से रूबरू होने के दौरान बंगाल बंद के समय रोटी की तलाश में घंटों का सफर न भूलने वाला रहा है। खैर बात आप चलिए रोमिंग जर्नलिस्ट संग सबसे सिलीगुड़ी के हांगकांग मार्केट। रंग-बिरंगी रोशनी और बैनरों से सराबोर हांगकांग का बाजार सिलीगुड़ी में खरीदारी करने वालों का सबसे पसंदीदा ठिकाना है । यह शहर के मध्य में स्थित है । चमकीले बैनरों और रोशनी से सराबोर हांगकांग मार्केट में कपड़ों, जूतों और अन्य वस्तुओं के विशाल संग्रह को देखकर लखनऊ के अमीनाबाद से लेकर बनारस की दालमंडी तक की यादें ताजा हो गयी। मोलभाव के साथ ब्रांडेड दुकानों की तुलना में सस्ती कीमत पर जरूरी सामान बेचने के लिए यह मार्केट प्रसिद्ध है। नए गैजेट से लेकर सुई तक आपको मिल सकती है, इस बाजार में। कहा जाता है हांगकांग मार्केट एक ऐसी जगह है जहां आपको यह सब मिल जाएगा। फैंसी मॉल के विपरीत, हांगकांग मार्केट में बेची जाने वाली वस्तुओं के लिए कोई निश्चित मूल्य टैग नहीं है, इसलिए एक पर्यटक उत्पाद खरीदने के लिए अपने तरीके से सौदेबाजी करने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करेगा। वाजिब सामान के साथ, कम कीमत पर तरह-तरह के कई भोजनालय हैं । इन बाजार में मोमो की एक मशहूर दुकान है। मोमो की चटनी के साथ खाने के लिए कतार लगी रहती है। हांगकांग मार्केट के इस मोमो के दुकान पर भीड़ के पीछे जायके का जादू भी है। सुबह 9:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुलने वाली इस मोमो के दुकान पर मोमो खाकर कई दिन लंच का काम भी होता है। एक साल से ज्यादा समय सिलीगुड़ी में काम करने के दौरान मोमो का मुरीद मैं हो गया तो दुकानदार भी परिचय होने के बाद मित्र हो गया। मोमो के निर्माण का तकनीक लगभग दस साल पहले जिस डायरी पर नोट किया था वह अचानक हाथ लग गयी तो आपको शेयर करने से रोक नहीं पा रहा हूं।
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